'युगबोध' के ग्रीष्मकालीन बाल नाट्य शिविर का समापन आज, मोबाइल और अन्न की बर्बादी से बचने का संदेश देंगे बाल कलाकार, आप भी अवश्य देखें
युगबोध के 30 दिवसीय ग्रीष्मकालीन बाल नाट्य शिविर का समापन 8 जून को होगा। इस दिन बच्चे मोबाइल फोन तथा अन्न की बर्बादी से बनने पर आधारित दो नाटकों का मंचन करेंगे।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । नन्हे कलाकारों को मंच से जोड़ने एवं उन्हें रंग कर्म की बारीकियों से अवगत कराने के उद्देश्य से 'युगबोध' नाट्य संस्था द्वारा ग्रीष्मकालीन बाल नाट्य शिविर का आयोजन किया गया। इसका समापन 8 जून (शनिवार) को शाम 7:30 बजे महाराष्ट्र समाज भवन, स्टेशन रोड रतलाम पर होगा। इस दौरान बच्चे दो नाटकों का मंचन करेंगे।
उक्त जानकारी देते हुए युगबोध के अध्यक्ष एवं शिविर के प्रशिक्षक, वरिष्ठ रंगकर्मी ओमप्रकाश मिश्रा ने बताया कि युगबोध द्वारा 2009 से प्रतिवर्ष ग्रीष्मकालीन बाल नाट्य शिविर का आयोजन किया जा रहा है। कोरोना काल को छोड़कर यह शिविर प्रतिवर्ष आयोजित होता रहा। इसके माध्यम से शहर के बच्चों को रंगकर्म से जोड़ने की कोशिश की जाती है। शिविर पूर्णतः निःशुल्क होता है। इसमें बच्चों को रंगकर्म के प्रशिक्षण के साथ संवाद अदायगी, भाषा एवं उच्चारण तथा कला के विभिन्न पक्षों की जानकारी प्रदान की जाती है। इस वर्ष शिविर की शुरुआत 6 मई को हुई थी। शिविर में 20 बच्चों ने हिस्सेदारी की।
दो नाटकों का होगा मंचन
रंगकर्मी मिश्रा ने बताया कि शिविर के दौरान बच्चों ने दो नाटक तैयार किए हैं। साहित्यकार आशीष दशोत्तर ने दोनों नाटक लिखे हैं। पहला नाटक 'मुन्ना मोबाइल' है, जो मोबाइल की लत एवं उससे बचाव का संदेश देता है। दूसरा नाटक 'समझो मेरे यार' है, जो समारोहों में भोजन की बर्बादी से बचने का संदेश देता है। उन्होंने शहर के रंगकर्मियों एवं सुधिजन से आयोजन में उपस्थित होने का आग्रह किया है।