एक और अनूठा आयोजन ! 'सुनें सुनाएं' का 30वां सोपान आधी आबादी के नाम, महिलाओं पर, महिलाओं द्वारा लिखी रचनाओं का महिलाएं करेंगी पाठ

इस बार का सुनें-सुनाएं आयोजन विश्व की आधी आबादी यानी महिलाएं के नाम रहने वाला है। इस सोपान के सभी सूत्र महिलाओं के हाथों में रहेंगे। महिलाओं पर महिलाओं द्वारा लिखी रचनाएं महिलाएं ही पढ़ेंगी।

एक और अनूठा आयोजन ! 'सुनें सुनाएं' का 30वां सोपान आधी आबादी के नाम, महिलाओं पर, महिलाओं द्वारा लिखी रचनाओं का महिलाएं करेंगी पाठ
महिला दिवस के उपलक्ष्य में महिलाओं के नाम रहेगा सुनें सुनाएं का 30वां सोपान।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । शहर में रचनात्मक गतिविधियों का प्रेरक और पर्याय बनते जा रहे 'सुनें सुनाएं' आयोजन का तीसवां सोपान महिलाओं को समर्पित रहेगा। 2 मार्च (रविवार) को सुबह 11 बजे जी. डी. अंकलेसरिया रोटरी हाल रतलाम पर आयोजित कार्यक्रम में महिला विषयक रचनाओं का पाठ किया जाएगा। इन रचनाओं की लेखिकाएं महिलाएं हैं और रचनाओं का पाठ भी महिलाएं ही करेंगी।

आधी आबादी को समर्पित इस सोपान में 10 महत्वपूर्ण रचनाएं प्रस्तुत की जाएंगी। डॉ. इन्दु सिन्हा द्वारा गगन गिल की रचना 'लड़की अभी उदास नहीं है', रश्मि शर्मा द्वारा सुषमा अरोड़ा की कविता 'स्त्री हूँ मैं', रजनी व्यास द्वारा अमृता प्रीतम की रचना 'मैं तुम्हें फिर मिलूंगी', प्रिया लोदवाल द्वारा कोकिला पारेख की कविता 'गर्व है मुझे मैं नारी हूं', डॉ. अदिति व्यास द्वारा मनीषा शुक्ला की रचना 'दाल मखनी', नूतन मजावदिया द्वारा श्रद्धा शौर्य की रचना 'हे, विरहनी व्यर्थ के आलाप गाना छोड़ दे', डॉ. स्वर्णलता ठन्ना द्वारा अनामिका की रचना 'स्त्रियां', भाग्यश्री प्रजापत द्वारा अनामिका अंबर की रचना 'ओंस की बून्दें हैं हम', डॉ. गीता दुबे द्वारा मालिनी गौतम की रचना 'पहले जैसा होना संभव नहीं' तथा योगिता राजपुरोहित द्वारा निर्मला पुतुल की रचना 'उतनी दूर मत ब्याहना' का पाठ किया जाएगा। इस सोपान के समस्त सूत्र महिलाओं के हाथों में ही रहेंगे। 

उल्लेखनीय है कि इस आयोजन में कोई अपनी रचना का पाठ नहीं करता है बल्कि अपने प्रिय रचनाकारों की रचनाओं का पाठ होता है। समय पर प्रारंभ और समय पर समाप्त होने वाले इस आयोजन में उपस्थित होने का 'सुनें सुनाएं' ने शहर के सुधिजनों से आग्रह किया है। आप स्वयं भी आएं और अन्य रचनाधर्मियों को भी साथ लाएं।