शिशु एवं बाल मृत्युदर कम करने के लिए दस्तक अभियान 18 जुलाई से, आशा, एनएनएम और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता घर-घर देंगी दस्तक
मातृ एवं शिशु मृतयु दल कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा दस्तक अभियान चलाया जाएगा। यह 18 जुलाई को शुरू होकर 31 जुलाई को खत्म होगा।

जिला स्तरीय अंतर्विभागीय कार्यशाला में दिए अभियान को संचालित करने के टिप्स
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । जिले में 0 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों में शिशु एवं बाल मृत्यु दर कम करने के लिए 18 से 31 जुलाई तक दस्तक अभियान लाया जाएगा. इसके अंतर्गत आशा, एएनएम व आंगनवाडी कार्यकर्ता घर-घर भ्रमण कर स्वास्थ्य एवं परामर्श सेवाऐं प्रदान करेंगी। अभियान की तैयारियों के संबंध में जिला स्तरीय अंतर्विभागीय कार्यशाला जिला प्रशिक्षण केंद्र विरियाखेड़ी में संपन्न हुई। इसमें अभियान से संबंधित जानकारी दी गई।
कार्यशाला में जिला महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यक्रम अधिकारी रजनीश सिन्हा ने निर्देशित किया कि विभागीय अधिकारी कर्मचारी समन्वित प्रयास कर कुपोषित बच्चों को आवश्यक संदर्भ सेवाऐं प्रदान करें। मैदानी अमले द्वारा स्तनपान संबंधी परामर्श जैसे शिशु जन्म के पहले घंटे में स्तनपान, शिशु जन्म के छ: माह तक केवल स्तनपान, छ: माह बाद पूरक पोषण आहार प्रदान करने तथा शिशु जन्म के दो वर्ष बाद तक स्तनपान कराने जैसे व्यवहारों को बढावा दिया जाए।
जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. वर्षा कुरील ने बताया कि दस्तक अभियान के दौरान बाल्यकालीन बीमारियों की पहचान एवं प्रबंधन पर बल दिया जाएगा ताकि बाल मृत्यु दर में कमी लाई जा सके।
ये रहे मौजूद
कार्यशाला में जिला महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यक्रम अधिकारी रजनीश सिन्हा, जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. वर्षा कुरील, डीपीएम डॉ. अजहर अली, सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग अंकिता पंड्या, डीसीएम कमलेश मुवेल, एम एंड ई अधिकारी आशीष कुमावत, एमईआईओ चौरसिया, जिले के विभिन्न सीडीपीओ, स्वास्थ्य विभाग के बीएमओ, बीईई, बीपीएम, बीसीएम एवं अन्य अधिकारी / कर्मचारी आदि उपस्थित रहे।
प्रमुख गतिविधियां
- समुदाय में बीमार नवजातों और बच्चों की पहचान प्रबंधन और रेफरल।
- 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में शैशव और बाल्यकालीन निमोनिया की त्वरित पहचान प्रबंधन और रेफरल।
- 5 वर्ष से कम उम्र के गंभीर कुपोषित बच्चों की सक्रिय पहचान प्रबंधन और रेफरल।
- 6 माह से 5 वर्ष के बच्चों में गंभीर एनीमिया की सक्रिय स्क्रीनिंग एवं प्रबंधन।
- 9 माह से 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों को विटामिन ए अनुपूरण।
- बाल्यकालीन दस्त रोग की पहचान एवं नियंत्रण हेतु ओआरएस एवं जिंक संबधी सामुदायिक जागरूकता एवं प्रत्येक घर में ओआरएस पहुँचाना।
- बच्चों में दिखाई देने वाली जन्मजात विकृतियों एवं वृद्वि विलंब की पहचान।
- समुचित शिशु एवं बाल आहर पूर्ति (स्तनपान व्यवहार) संबंधी समझाइश समुदाय को देना।
- एसएनसीयू एवं एनआरसी से छुट्टी प्राप्त बच्चों में बीमारी की स्क्रीनिंग एवं फॉलोअप को प्रोत्साहन।
- गृह भेंट के दौरान आंशिक रूप से टीकाकृत एवं छूटे हुए बच्चों की टीकाकरण स्थिति की जानकारी लेना।