इस बच्चे की बहादुरी को सलाम : 14 साल के यशवर्धन ने दिखाई ऐसी दिलेरी कि भाग खड़े हुए चोर, जानिए पूरा मामला

रतलाम के गोपाल गोशाला कॉलोनी में एक बच्चे ने बहादुरी और सूझबूझ से काम लेते हुए चोरों को खदेड़ दिया, जिससे बड़ी वारदात टल गई। बच्चा 8वीं कक्षा का छात्र है और महज 14 साल का है। घटना के वक्त वह घर में अकेला था।

इस बच्चे की बहादुरी को सलाम : 14 साल के यशवर्धन ने दिखाई ऐसी दिलेरी कि भाग खड़े हुए चोर, जानिए पूरा मामला
अपने दादा अशोक गांधी के साथ रतलाम का बहादुर बच्चा हर्षवर्धन।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । जिस उम्र में बच्चे खिलौनों से खेलते हैं उसमें 14 साल के एक किशोर ने ऐसी सूझ-बूझ और दिलेरी दिखाई कि चोर भाग खड़े हुए। किराये के घर में रहने वाले इस किशोर ने चोरों को देखकर हौसला नहीं खोया बल्कि किचन से संडासी लाकर हमला बोल दिया। घर में ताला लगा देखकर खुसे चोर अचानक हुए हमले के कारण वारदात को अंजाम नहीं दे पाए। जानकारी मिलने पर दीनदयालनगर पुलिस मौके पर पहुंची और घटना की जानकारी लेकर बदमाशों की तलाश शुरू कर दी है। 

छोटे हैं, बड़े हैं या बुजुर्ग हैं और यदि चौकन्ने हैं व सूझ-बूझ से काम लेते हैं तो आप भी किशोर यशवर्धन की तरह बड़ी वारदात को टाल सकते हैं। यशवर्धन गोशाला कॉलोनी में बिजली वितरण कंपनी से सेवानिवृत्त जन्मेजय उपाध्याय के मकान की ऊपरी मंजिल में किराये से रहने वाले जीतेश गांधी के 14 वर्षीय बेटे हैं जो समता शिक्षा निकेतन में कक्षा 8वीं में पढ़ते हैं। जीतेश मेडिकल संबंधी काम से सपत्नीक अहमदाबाद गए हुए हैं। बेटी चहक की कक्षा 10वीं की परीक्षा होने से वह और छोटा भाई यशवर्धन घर में अकेले हैं। मंगलवार को सुबह 9 बजे परीक्षा देने के लिए स्कूल चली गई। हर्षवर्धन घर में सो रहा था इसलिए उसने बाहर से ताला लगा दिया था। 

दरवाजे का ताला तोड़ने की आवाज से खुली नींद 

तकरीबन 11 बजे घर के दरवाजे पर कुछ आहट हुई तो हर्षवर्धन की नींद खुल गई। बाहर चोर थे जो उसके घर के बाहर लगा ताला तोड़ चुके थे। घर में अकेले मौजूद हर्षवर्धन ने बिना डरे किचन की तरफ दौड़ लगाई। वहां उसकी नजर चाकू और संडासी पर पड़ी। उसने संडासी उठाई बाहर आड़ में छिपे चोरों की तरफ फेंक कर मारी। इस दौरान उसने जोर-जोर से चिलाना भी शुरू कर दिया ताकि आसपास मौजूद लोग सुन सकें और मदद क लिए आ सकें। इस बीच चोरों ने वहां से भागना उचित समझा। भागते समय हर्षवर्धन ने पुनः उसी संडासी से उनकी तरफ वार किया लेकिन वे भागने में सफल हो गए। किशोर ने नीचे मकान मालिक उपाध्याय के मकान की तरफ देखा जिसका ताला चोर पहले ही तोड़ चुके थे और सामान भी फैला दिया था।

दादा पोते-पोती को लेकर अपने घर

चोरों के जाने के बाद हर्षवर्धन ने गेट और दरवाजे बंद किए तथा घासबाजार निवासी दादा अशोक गांधी, अहमदाबाद गए पिता जीतेश को दूरभाष पर घटना की जानकारी दी। सूचना मिलते ही दीनदयालनगर पुलिस मौके पर पहुंची और घटनाक्रम की जानकारी ली। वारदात का पता चलते ही हर्षवर्धन के दादा अशोक गांधी भी गोपाल गोशाला कॉलोनी पहुंच गए और शाम चार बजे तक वहीं रुके। वे पोती चहक और पोते हर्षवर्धन को घासबाजार स्थित अपने निवास पर ले आए। उन्होंने गोपाल गोशाला कॉलानी के चौकीदार को घर पर नजर रखने के लिए भी कहा।

सुबह मुंबई बहुंचे, सूचना मिलते ही बैरंग लौटे

मकान मालिक जन्मेजय उपाध्याय पत्नी राजकुमारी के साथ इलाज के सिलसिले में मुंबई गए हुए हैं। वे मंगलवार सुबह ही मुंबई पहुंचे थे। वहां कल्याण में उनकी बेटी भी रहती है। इससे उनके घर में ताला लगा था। उपाध्याय को अपने साले सेवानिवृत्त सीटीआई सुनील दुबे से घटना पता चला जिससे वे बैंरग दुरंतो ट्रेन से रतलाम के लिए रवाना हो गए।

दादा-दादी और पापा-मम्मी की सीख आई काम

हर्षवर्धन ने एसीएन टाइम्स को बताया उसके दादा-दादी बहादुरी वाली कहानियां सुनया करते हैं। इसी तरह पापा-मम्मी हमेशा चौकन्ने रहने की सीख देते हैं। वे कहते हैं कि घर में अकले रहो तो डरो नहीं बल्कि सूझ-बूझ से काम लो यही वजह है कि जब अचानक चोरों को देखा तो दादा-दादी और पापा-मम्मी की कही बातें याद आईं। किचन में पहली नजर चाकू पर पड़ी लेकिन लगा कि उसका उपयोग उचित नहीं है, इसलिए संडासी को अपना हथियार बनाया लिया।