सुनें-सुनाएं में अगली बार आप भी आएं, आज के सृजन से ही रचनात्मक कल का निर्माण होगा
सुनें सुनाएं के छठे सोपान का आयोजन रविवार को हुआ। इसमें प्रस्तोताओं ने अपने पसंदीदा रचनाकारों की रचनाएं पढ़ीं कर सुनने-सुनाने के दौर को आगे बढ़ाया।
'सुनें-सुनाएं' में पढ़ी गई रचनाओं ने बेहतरी की उम्मीद जगाई
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । आज की जाने वाली सृजनात्मक कोशिशों से ही बेहतर रचनात्मक कल का निर्माण होगा। साहित्यिक, सांस्कृतिक अभिरुचियों और उपलब्धियों से ही शहर की पहचान कायम रहेगी। यहां रचनात्मकता की कमी नहीं है, मगर एक साथ लोगों के मिलने बैठने और एक-दूसरे को रचनात्मकता से जोड़ने की जरूरत है। 'सुनें - सुनाएं' के माध्यम से यह ज़रूरत पूरी होती दिखाई दे रही है। यह सिलसिला शहर के लिए सुखद है। उक्त विचार 'सुनें - सुनाएं' के छठे सोपान के अवसर पर उभर कर सामने आए।
शहर में रचनात्मक वातावरण को बढ़ाने और लोगों में रचनात्मकता के प्रति लगाव पैदा करने के उद्देश्य से प्रारंभ किए गए आयोजन 'सुनें - सुनाएं' का छठा सोपान जी.डी. अंकलेसरिया रोटरी हाल पर आयोजित किया गया। इस आयोजन में अपने प्रिय रचनाकारों की रचनाओं का पाठ कर शहर के सुधी श्रोताओं ने पढ़ने - लिखने, सुनने - सुनाने की परंपरा को साकार किया।
आयोजन में नरेन्द्र सिंह डोडिया ने धूमिल की कविता 'रोटी और संसद' का पाठ किया। डॉ. कारूलाल कला-मोहन जमड़ा ने डॉ. चंद्रपाल सिंह सिकरवार की रचना 'अभी तो बहुत काम करने हैं मुझको' का पाठ किया। संजय परसाई 'सरल' ने गोपाल दास 'नीरज' की कविता 'है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिए' का सस्वर पाठ किया। रामप्रताप सिंह राठौर ने दिनकर सोनवलकर की कविता 'परिवार सरिता' का पाठ किया। रश्मि पंडित ने डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला की कविता 'पिता' का पाठ किया। नीरज कुमार शुक्ला ने रमेश मिश्र 'आनंद' की रचना 'फागुन के अंदाज़ निराले' का तथा परवीन शाकिर की रचना का पाठ किया।
आई. एल. पुरोहित ने जयशंकर प्रसाद की कामायनी के अश्रु सर्ग का पाठ किया। वहीं कैलाश व्यास और फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के काव्य में रूमानियत की पंक्तियों को उद्धृत किया। डॉ. डबकरा ने एक मुक्तक तो विनोद चौधरी ने प्राण गुप्त की पंक्तियों को पढ़ा। विनोद झालानी ने गोपाल दास नीरज के गीत की प्रस्तुति दी। आशीष दशोत्तर ने मदन वर्मा का गीत प्रस्तुत किया।
चित्रकार महावीर वर्मा का अभिनंदन किया
मुंबई की जहांगीर आर्ट गैलरी में अपने चित्रों की प्रदर्शनी आयोजित कर लौटे शहर के सुप्रसिद्ध चित्रकार महावीर वर्मा का सुनें - सुनाएं की ओर से अभिनंदन किया गया। पूर्व प्राचार्य एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. प्रकाश उपाध्याय ने वर्मा को शॉल एवं पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया। जावरा से आए रचनाकार डॉ. कारूलाल जमड़ा ने स्वप्रेरणा से सुनें - सुनाएं का पोस्टर तैयार कर आयोजन में प्रस्तुत किया, जिसका विमोचन संगोष्ठी में रचना पढ़ने वाले प्रस्तुत करने वाले प्रस्तोताओं द्वारा किया गया।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर डॉ. अभय पाठक, अनिल झालानी, श्रेणिक बाफना, कारूलाल जमड़ा, नीरज कुमार शुक्ला, स्मिता शुक्ला, राधेश्याम शर्मा, यशपाल तंवर, संजय परसाई 'सरल', अलक्षेंद्र व्यास, रामप्रताप सिंह राठौर, धनवेती गोथरवाल, डॉ. सतीश गोथरवाल, कैलाश व्यास, विनोद झालानी, नरेंद्र सिंह डोडिया, त्रिभुवनेश भारद्वाज, डॉ. प्रकाश उपाध्याय, रश्मि पंडित, उमेश कुमार शर्मा, दिनेश कटारिया, आई. एल. पुरोहित, पद्माकर पागे, कमल किशोर उपाध्याय, कविता व्यास सहित 'सुनें - सुनाएं' के शुभेच्छु मौजूद थे।