महाशिव पुराण कथा : जिसका आदि, मध्य और अंत नहीं वही शिव है, यही जगत व जीव को प्रकाश करने वाला तत्व है- श्री किरीट भाई जी

रतलाम में चल रही शिव महापुराण कथा में श्री किरीट भाई जी ने शिव तत्व का महत्व और शिवलिंग की उत्पत्ति की जानकारी दी।

महाशिव पुराण कथा : जिसका आदि, मध्य और अंत नहीं वही शिव है, यही जगत व जीव को प्रकाश करने वाला तत्व है- श्री किरीट भाई जी
श्री महा शिवपुराण कथा में शिव तत्व की व्याख्या करते श्री किरीट भाई जी।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । महाशिव पुराण में 7 खंड 12 संहिता व 24 हजार श्लोक हैं। शिव पुराण के प्रारंभ में 100 करोड़ श्लोक थे, जिनका अध्ययन व्यक्ति के संभव नहीं था। बाद में 24 हजार श्लोक रह गए। प्रथम श्लोक में शिव तत्व क्या है, इसके बारे में बताया गया है। जिसका ना आदि है, ना मध्य है और ना अंत है वह शिव है। जिसकी तुलना नहीं हो सकती वह शिव है। शिव मंगलमय है। जगत व जीव को प्रकाश करने वाले तत्व का नाम शिव है।

यह बात बरबड़ हनुमान मंदिर परिसर स्थित विधायक सभागृह में तुलसी परिवार द्वारा आयोजित महाशिव पुराण कथा के दौरान ब्रह्म ऋषि किरीट भाई जी ने कही। उन्होंने कहा कि शिव अजर, अमर, अविनाशी हैं। व्यक्ति को ‘ॐ नमः शिवाय’ पंचाक्षर का जाप करना चाहिए। शिव का मंगलाचरण करने व याद करने से व्यक्ति का मंगल हो जाता है। उन्होंने कहा कि जीवात्मा का असली स्वरूप शांत है किन्तु जीव अशांत हो गया है। जीव किस वजह से हो गया है? यह समझना जरूरी है। जल का लक्षण प्रवाही रूप में है किंतु बर्फ बनना जल का उपलक्षण है। इसी तरह व्यक्ति को जीवात्मा का असली स्वरूप शांत रहना है किंतु दुख व रोग जीव के उपलक्षण हैं। व्यक्ति को जीवन में शांति प्राप्त करना है तो जीवन में कुछ भूलना पड़ेगा। उसे जीवन के उपलक्षण को हटाकर मूल लक्षण में आना होगा तो ही वह शांत रह पाएगा।

योग विद्या मन और इंद्रियों को भटकने नहीं देती

किरीट भाई जी ने कहा कि विद्या वही जो वासना का नाश करे। सारी दुनिया व्यवहार पर चलती है। लोग आपके व्यवहार से ही आपको जानते हैं। योग विद्या व्यक्ति के मन को तथा इंद्रियों को भटकने नहीं देती है। हालांकि भटकना मन का काम है किंतु योग यह तय करता है कि इंद्रियों व मन को कहां जाने देना है अथवा नहीं जाने देना है। भारत में मुफ्तखोरी हावी हो गई है। लोगों को बिजली व पानी मुफ्त में बट रहा है।

ऐसे हुई शिवलिंग की उत्पत्ति

उन्होंने शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग की उत्पत्ति के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ब्रह्मा व विष्णु में कौन बड़ा है, इसको लेकर लड़ाई चल रही थी। जब गणों ने भगवान शिव से यह लड़ाई समाप्त करने के लिए आग्रह किया तो वे ब्रह्मा व विष्णु दोनों के बीच में अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट हुए। माघ माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की दोपहर 12 बजे अग्नि स्तंभ में से शिवलिंग का प्राकट्य हुआ। कथा के दौरान शिव जी का रुद्राभिषेक भी हुआ।

इन्होंने किया शिव पुराण का पूजन

कथा प्रारंभ होने से पूर्व पोथी पूजन बाबूलाल चौधरी, सुषमा कटारे, मोहनलाल भट्ट, हरीश रतनावत, रूप सिंह चौहान, पुष्पा व्यास, हरीश सुरोलिया, राजकुमार कटारे, हरीश बिंदल, राधा वल्लभ पुरोहित, कीर्ति राजेन्द्र व्यास, प्रीति प्रशांत व्यास आदि ने किया। संचालन विकास शैवाल ने किया।

अंत में  महापौर प्रहलाद पटेल, गोविन्द काकानी, सुनील सेठी व नागरिकों ने आरती की। इस दौरान तुलसी परिवार, कालिका माता सेवा मंडल ट्रस्ट, हरिहर सेवा समिति व प्रभु प्रेमी संघ के कार्यकर्ता मौजूद थे।