निबंध-लेखन का पथ प्रशस्त्र करती है प्रो. अजहर हाशमी की पुस्तक "...तो बसंत लौट आएगा"

वरिष्ठ संपादक डॉ. क्रांति चतुर्वेदी ने साहित्यकार प्रो. अज़हर हाशमी के निबंध संग्रह का वर्चुअल विमोचन किया। उन्होंने कहा निबंध लेखन आसान नहीं।

निबंध-लेखन का पथ प्रशस्त्र करती है प्रो. अजहर हाशमी की पुस्तक "...तो बसंत लौट आएगा"
साहित्यकार प्रो. अज़हर हाशमी के निबंध संग्रह का वर्चुअल विमोचन करते वरिष्ठ संपादक एवं पत्रकार डॉ. क्रांति चतुर्वेदी।

पुस्तक का विमोचन करते हुए लेखक व पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. क्रांति चतुर्वेदी ने कहा

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । निबंध हिंदी साहित्य वह विधा है जिसे विशिष्ट श्रेणी में रखा जाता है। किसी विषय पर आलेख लिखना सरल है किंतु निबंध लेखन करना कठिन। प्रो. हाशमी ने "...तो बसंत लौट आएगा" जैसी पुस्तक की रचना करके निबंध-लेखन की मार्गदर्शिका प्रस्तुत कर दी है। प्रो. हाशमी का यह निबंध-संग्रहचेना और चितंन के नए द्वार खोलता है।

यह बात लेखक व पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. क्रांति चतुर्वेदी ने कही। वे प्रसिद्ध साहित्यकार और चितंक प्रो. अजहर हाशमी द्वारा "... तो बसंत लौट आएगा" शीर्षक से लिखी पुस्तक का वर्चुअल विमोचन करने के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि- प्रो. हाशमी का यह निबंध-संग्रह पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि यह नवीन शिक्षा निति (2020) के मानक पर खरा उतरता है। यह पुस्तक ("...तो बसंत लौट आएएगा" ) हर लायब्रेरी में होनी चाहिए।

112 पृष्ठ का है निबंध संग्रह

उल्लेखनीय है कि संदर्भ प्रकाशन भोपाल द्वारा 112 पृष्ठ की इस पुस्तक में 41 निबंध हैं- जैसे नववर्ष : संतुलन की साधना-लय की आराधना, उगता सूरज, ...तो बसंत लौट आएगा, इन सात रंगों से खेलें होली, नवरात्र नकारात्मकता पर विजय का पर्व, मैनेजमेंट गुरु गणेशजी, शिव यानी कल्याण, शस्त्र और शास्त्र के समन्वयक का नाम है परशुराम, धर्म का अर्थ स्वरूप और औचित्य, श्रीराम केवट और संविधान, सूफीवाद-ख्वाजा और भारतीय संस्कृति, मानवता के मसीहा महावीर स्वामी, गुरु नानकजी ने दिया संगत और लंगर का संदेश, महानायक बिरसा मुंडा, सौहार्द के संरक्षक महाराणा प्रताप, डॉ. भीमराव आंबेडकर का आर्थिक चिंतन, विज्ञान की वीणा पर स्वावलंबन का संगीत थे कलाम, नारी : सहनशक्ति से समर्थ शक्ति तक, ज्योति बा फुले, गायब है गौरैया आदि।

प्रो. हाशमी के लेखन में राष्ट्र, शिक्षा और भारतीय संस्कृति का पक्ष गौरवान्वित करने का सामर्थ्य

उक्त निबंध संग्रह की भूमिका प्रसिद्ध विचारक, कवि व लेखक डॉ. प्रेम भारती ने लिखी है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि प्रो. हाशमी के लेखन में राष्ट्र, शिक्षा और भारतीय संस्कृति के पक्ष को गौरवान्वित करने का सामर्थ्य है। सारांश यह है कि प्रो. अजहर हाशमी का गीतकार जितना वजनदार है, उनका गध का लेखन उतना ही दमदार है।