ये हड़ताल उचित या अनुचित ? 16 फरवरी को भारत बंद के आह्वान को लेकर संशय ! अभिभावकों का सवाल- नाराजी सरकार से, सजा बच्चों को क्यों?
16 फरवरी को प्रस्तावित भारत बंद और राष्ट्रव्यापी हड़ताल ने आजमन की चिंता पढ़ा दी है, खासकर बच्चे और अभिभावक ज्यादा डरे हुए हैं। उनका मानना है कि परीक्षाओं के समय ऐसा कुछ भी किया जाना उचित नहीं ह।
एसीएन टाइम्स @ डेस्क । केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (सीटीयू) और संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए 16 फरवरी को राष्ट्रव्यापी बंद का आह्वान किया है। इसमें रेल और सड़कों की नाकाबंदी करना भी प्रस्तावित है। इसे लेकर आमजन में संशय व्याप्त है। उन्हें इससे अपने बच्चों की सुरक्षा और उनके भविष्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को लेकर चिंता सता रही है। यही वजह है कि वे आंदोलन के स्वरूप और समय को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
भारतीय संविधान में लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी दी गई है। इसमें किसी मुद्दे को लेकर अपनी आवाज बुलंद करने के लिए लोग ज्ञापन, प्रदर्शन और आंदोलन जैसे माध्यमों को चुनते हैं। वहीं कुछ लोग गांधीवादी तरीके से अपनी बात रखने का रास्ता अपनाते हैं। इसी प्रकार केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (सीटीयू) और संयुक्त किसान मोर्चा की अभी मांगों के निराकरण के लिए सरकार पर दबाव बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रव्यापी हड़लात प्रस्तावित है। इसके लिए 16 फरवरी का दिन मुकर्रर है। हड़ताल के आह्वान में रेल और सड़कों पर नाकाबंदी करना भी शामिल है।
...तो बच्चों के भविष्य पर पड़ेगा असर
यूनियनों और विभिन्न समूहों को संविधान में दिए गए मिले अधिकारों में अभिव्यक्ति की आजादी के साथ ही यदि अपने अनुकूल कुछ नहीं हो रहा है तो उस पर विरोध प्रदर्शित करने का अधिकार भी है। जिसे सरकारें सिर्फ सरकारें ही नहीं, सभी देशवासी भी स्वीकार करते हैं लेकिन अभी लोग 16 फरवरी को प्रस्तावित हड़ताल को स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं। दरअसल, इन दिनों मध्यप्रदेश में माध्मिक शिक्षा मंडल की कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं चल रही हैं। ऐसे में बच्चों और अभिभावकों का सारा ध्यान परीक्षाओं पर केंद्रित है। अभिभावकों का तर्क है कि यदि हड़ताल या आंदोलन के दौरान अशांति फैलती है, रेल या सड़क मार्ग अवरुद्ध होता है या लोकल ट्रांसपोर्ट सेवा उपलब्ध नहीं होती है तो बच्चों के परीक्षा केंद्र पहुंचने में दिक्कत आ सकती है। ऐसे में उनकी मेहनत व्यर्थ हो जाएगी जिसका असर उनके भविष्य पर पड़ेगा।
अभिभावकों को न खोलना पड़ जाए हड़ताल के खिलाफ मोर्चा
अभिभावकों ने परीक्षा के समय हड़ताल और राष्ट्रीय बंद अथवा ऐसे ही अन्य प्रदर्शन आदि करने वाले संगठनों और समूहों को पुनर्विचार करने की आवश्यकता जताई है। उनका कहना है कि सरकार के किसी निर्णय अथवा सिस्टम के प्रति किसी प्रकार की नाराजी है तो बेशक इसे जताइये। परंतु इसके लिए देश का भविष्य बच्चों को तो सजा मत दीजिए, क्योंकि यह किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। अभिभावकों का यह भी कहना है कि, कहीं ऐसा न हो कि लामबंद होकर उन्हें भी अपने बच्चों की सुरक्षा और भविष्य के लिए हड़ताल या प्रदर्शन के खिलाफ मोर्चा खोलना पड़े।
जानिए, क्या कहना है अभिभावकों का
बेटा 12वीं का विद्यार्थी है और उसकी परीक्षा चल रही है। 16 फरवरी का जीवन विज्ञान का पेपर है। जब से उसने सुना है कि इस दिन भारत बंद (राष्ट्रव्यापी हड़ताल) है, वह काफी चिंतित है। उसकी इस चिंता ने हमें भी बेचैन कर दिया है।
किरण शर्मा, अभिभावक
सुना है 16 फरवरी को हड़ताल है। रेल और सड़क भी रोकी जाएगी लेकिन क्या यह उचित है वह भी उस समय जबकि बच्चों की बोर्ड की परीक्षा चल रही है। कम से कम परीक्षाओं के समय तो यह सब नहीं होना चाहिए।
सौरभ जैन, अभिभावक
सरकार के समक्ष अपनी पात रखने का सभी को अधिकार है। अगर आप इसके लिए हड़ताल और आंदोलन करना चाहते हैं, वह भी कर सकते हैं लेकिन इसके लिए समय अनुकूल होना चाहिए। परीक्षाओं के समय मुझे यह उचित नहीं लगता।
राजेंद्र सिंह चौहान, अभिभावक