बीमार बुजुर्ग को देखा तो डॉ. अभय ओहरी भूल गए प्रचार-प्रसार, अपना चुनावी पर्चा फाड़ा और लिख दी दवाइयां

जयस नेता और रतलाम ग्रामीण विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी जनसंपर्क के साथ लोगों की सेवा का अवसर भी नहीं चूक रहे।

बीमार बुजुर्ग को देखा तो डॉ. अभय ओहरी भूल गए प्रचार-प्रसार, अपना चुनावी पर्चा फाड़ा और लिख दी दवाइयां
जनसंपर्क के दौरान एक बीमार बुजुर्ग को दवाई लिखते डॉ. अभयर ओहरी।

रतलाम ग्रामीण विधानसभा में जनसंपर्क के दौरान पेशे से चिकित्सक निर्दलीय प्रत्याशी ने पेश की सेवा की मिलास

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । डॉक्टर को धरती का भगवान कहते हैं और इस पेशे से जुड़े लोगों ने कोरोनाकाल जैसे समय में यह साबित भी कर दिखाया। ऐसे ही कुछ बिरले लोग सामान्य जीवन में भी जरूरत पड़ने पर भी सेवा के लिए तत्पर रहते हैं। डॉ. अभय ओहरी ऐसा ही नाम है जिसके लिए पीड़ित व्यक्ति और समाज की सेवा सर्वोपरित है। ओहरी रतलाम ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन इस दौरान भी जरूरतमंद व्यक्ति की सेवा को वे चुनाव प्रचार से पहले प्राथमिकता दे रहे हैं। मंगलवार को एक अस्वस्थ बुजुर्ग को देखा तो वे वोट मांगना भूल गए और अपने चुनावी पर्चे को ही फाड़ कर उस दवाइयां लिख दी। बुजुर्ग उन्हें दुआएं देते हुए आगे बढ़ गए।

रतलाम ग्रामीण विधानसभा के निर्दलीय प्रत्याशी जयस नेता डॉ. अभय ओहरी मंगलवार को घटला, जड़वासा खुर्द, गुणावद, सेमलिया, नामली आदि गांवों में जनसपंर्क के लिए निकले थे। नामली पहुंचे तो लोग उनके स्वागत के लिए उमड़ पड़े। बीमार बुजुर्ग की सेवा करने का मौका उन्हें यहीं मिला। चूंकि वे जनसंपर्क पर निकले थे इसलिए साथीगण अपने मोबाइल पर उनकी हर गतिविधि को कैद कर रहे थे। बीमार बुजुर्ग की सेवा का यह क्षण भी साथियों ने मोबाइल फोन में कैद कर लिया। कुछ साथियों ने उनकी ओर प्रश्नवाचक नजरों से देखा तो उन्होंने कह दिया कि- किसी पीड़ित की सेवा चुनाव प्रचार से बढ़ कर नहीं हो सकती।

जनसंपर्क के पैटर्न ने बढ़ा दी लोकप्रियता

चुनाव आते ही प्रायः नेता और राजनीतिक पार्टियों के लोग जनसंपर्क की औपचारिकता में जुट जाते हैं। गली-मोहल्लों में घूमना और लोगों के पैर छूने की रश्म अदायगी आम बात है। वहीं डॉ. अभय ओहरी ने जनसंपर्क का पैटर्न ही बदल दिया है। वे औपचारिकता निभाने के बजाय लोगों के साथ चौपाल पर ही बैठ जाते हैं और घर-परिवार की बातें करते हैं, उनकी समस्याएं जानते हैं ताकि वे उन्हें हल करने का प्रयास कर सकें। इससे उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है और समर्थन भी मिल रहा है।

ये समस्याएं बता रहे ग्रामीण

चौपाल बैठकों के दौरान ग्रामीण चोटी से लेकर बड़ी तक सभी समस्याएं बता रहे हैं। इनें सड़क, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सविधाओं से जुड़ी समस्याएं भी हैं। पहले रतलाम ग्रामीण क्षेत्र में आ रहे निवेश क्षेत्र से होने वाले नुकसान का हवाला देकर डॉ. ओहरी ने आंदोलन किया था। इसके लिए उन्हें जेल तक जाना पड़ा। उनका यह आंदोलन और जेल यात्रा का प्रतिफल ही अब जनसमर्थन के रूप में मिल रहा है।