ऐसा क्यों किया कमलनाथ जी ?
इंदौर में मातंग समाज के सम्मलेन में मीडिया के साथ हुए दुर्व्यवहार पर वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा का यह आलेख एसीएन टाइम्स के पाठकों के लिए साभार।
कीर्ति राणा
जन आक्रोश रैली से ज्यादा आक्रोश तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ में उबाले ले रहा है। शनिवार की दोपहर गांधी हॉल परिसर के मातंग समाज सम्मेलन में मंच से की गई कमलनाथ की यह टिप्पणी अमर्यादित ही मानी जानी चाहिए कि ‘पत्रकार समाज का कार्यक्रम बिगाड़ने आए हैं।’ राजनीति में छह दशक से अधिक गुजार चुके कमलनाथ से ऐसी उम्मीद नहीं थी कि भरे मंच से ऐसी गैर मर्यादित बात कहेंगे।
गुस्सा आना स्वाभाविक हो सकता है लेकिन संसद में चाहे भाजपा सांसद बिधुड़ी या सार्वजनिक मंच पर कमलनाथ शब्दों की गरिमा का ध्यान ना रखें तो विरोध किया ही जाना चाहिए। कमलनाथ जी शायद इस अंदरुनी सच को बेहतर जानते हैं कि मीडिया घराने अब मनमाफिक पैकेज से खुश हो जाते हैं, हर गलती को नजरअंदाज कर देते हैं तो कवरेज करने वालों की क्या औकात !
इंदिरा गांधी के दत्तक पुत्र समान कमलनाथ हों या अहं में डूबा भाजपा का शीर्ष नेतृत्व, यह याद नहीं रख पाता कि आपातकाल में जब मीडिया पर पाबंदी लगा रखी थी तब आमजन ने अपने विवेक का इस्तेमाल कर सबक सिखाया था। कमलनाथ जी ने इंदौर में ये आक्रोश दिखा कर बैठे बिठाए अपने विरोधियों को मीडिया से हमदर्दी दिखाने का अवसर भी दे दिया है। अब जो पुचकारने का काम करने की उदारता दिखाने की आतुरता दिखाएंगे वे भी कई अवसरों पर कमलनाथ जैसा मुखौटा लगाते रहे हैं।
अभी तो फील्ड के जांबाजों ने एक ही कार्यक्रम के बहिष्कार का त्वरित निर्णय किया है। यही चिंगारी भड़क कर पूरे प्रदेश में फैल गई और जन आक्रोश यात्राओं को हर जगह मीडिया आक्रोश का सामना करना पड़े तो क्या होगा ? बेहतर होगा कि जिस अंदाज में उन्होंने धक्के मार कर बाहर करने की बात कही है, उसे अब अपनी गलती मान कर माफी मांगने की उदारता दिखा कर इस विवाद का पटाक्षेप करने की समझदारी भी दिखाएं।
(लेखक सांध्य दैनिक हिंदुस्तान मेल के समूह संपादक हैं)