बात पते की : योग में आसन, प्राणायाम, एक्यूप्रेशर, मुद्राओं का प्रामाणिक और यथार्थ बोध जरूरी, अल्पज्ञानियों व अवैज्ञानिक ज्ञान से रहें दूर

रतलाम में सिंधी गुरुद्वारा में चल रहे योग प्रशिक्षण शिविर के दौरान योग शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। शिविरार्थियों को इसके फायदे भी बताए जा रहे हैं।

बात पते की : योग में आसन, प्राणायाम, एक्यूप्रेशर, मुद्राओं का प्रामाणिक और यथार्थ बोध जरूरी, अल्पज्ञानियों व अवैज्ञानिक ज्ञान से रहें दूर
योग शिक्षक प्रशिक्षण शिविर में योग कराते प्रशिक्षक।

सिंधी गुरुद्वारा में चल रहे योग शिक्षण प्रशिक्षण शिविर में प्रशिक्षक महेश कुमावत ने कहा

एसीएन टाइम्स @ रतलाम। योग शरीर और मस्तिष्क को स्वस्थ रखने का एक वैज्ञानिक और प्रामाणिक माध्यम और कला है। इससे जुड़ी क्रियाओं का यथार्थ बोध जरूरी है अन्यथा यह नुकसानदेह हो सकता है। इसलिए योग के नाम पर अवैज्ञानिक क्रियाएं कराने वाले अल्पज्ञानियों से दूर रहें।

यह बात योग प्रशिक्षक महेश कुमावत ने सिंधी गुरुद्वारा में चल रहे योग शिक्षक प्रशिक्षण शिविर में कही। शिविर का आयोजन राज्य प्रभारी प्रेम पुनिया के निर्देशानुसार हो रहा है। प्रशिक्षक कुमावत ने कहा कि योग सिर्फ ढाई अक्षर का शब्द नहीं बल्कि पूरा विज्ञान है। योग आत्म उपचार एवं आत्मदर्शन की श्रेष्ठतम आध्यात्मिक विद्या है। योग  जीवन का दर्शन है, आत्मानुशासन है। यह  एक जीवन पद्धति है। योग मात्र एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति नहीं, यह परिणामों पर आधारित ऐसा प्रमाण है जो व्यक्ति को निर्मूल करता है। योग एक ऐसा संपूर्ण चिकित्सा शास्त्र जो केवल शारीरिक रोगों से ही नहीं बल्कि मानसिक रोगों से भी मुक्ति दिलाता है। 

...तो आ सकते हैं घातक परिणाम

योग में आसनों, प्राणायाम, एक्यूप्रेशर, विभिन्न मुद्राओं इत्यादि का बहुत महत्व है जिसे जाने और समझे बिना इसका लाभ अर्जित नहीं किया जा सकता है। रोग और शरीर की स्थिति के अनुरूप किया गया योग और क्रियाएं अधिकतम लाभ प्रदान करती हैं वहीं इसका गलत उपयोग नुकसान भी कर सकता है। इसलिए योग प्रशिक्षक और करने वाले दोनों को इसे जानना-समझना जरूरी है। कुमावत के अनुसार आज योग के नाम पर अल्पज्ञानी और अप्रशिक्षत लोग अवैज्ञानिक, आप्रमाणिक और गलत क्रियाएं भी करवा रहे हैं जिसके परिणाम घातक हो सकते हैं।

शिविर में ये रहे उपस्थित

शिविरार्थियों को प्रशिक्षण देने के दौरान योग की विभिन्न क्रियाओं और आसनों का अभ्यास कराया गया। इसमें राज्य कार्यकारिणी सदस्य जयश्री राठौड़, अपार उपाध्याय, उत्तम शर्मा, विशाल कुमार वर्मा, डॉली व्यास, नित्येन्द्र आचार्य आदि की उल्लेखनीय भूमिकाक रही।