रतलाम में राजस्व चोरी ? इस स्कूल संचालक के ऊंचे रसूख के आगे प्रशासन नतमस्तक ! इसलिए वर्षों से कृषि भूमि का हो रहा व्यावसायिक उपयोग

रतलाम के निजी स्कूल के रसूख के आगे नियम-कानून और प्रशासन बौने साबित हो रहे हैं। यही कारण है। नतीजतन अब तक न तो सरकारी नाले से अतिक्रमण हटा है और न ही कृषि भूमि के व्यावसायिक उपयोग पर जुर्माना ही हो सका है।

रतलाम में राजस्व चोरी ? इस स्कूल संचालक के ऊंचे रसूख के आगे प्रशासन नतमस्तक ! इसलिए वर्षों से कृषि भूमि का हो रहा व्यावसायिक उपयोग
सांई श्री इंटरनेशनल एकेडमी।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । सांई श्री इंटरनेशनल एकेडमी प्रबंधन द्वारा नियमों और कानून को ताक पर रखने का एक और मामला सामने आया है। यह स्कूल विगत 15 साल से कृषि भूमि पर संचालित है जिसका अब तक व्यावसायिक अथवा स्कूल उपयोग के लिए डायवर्सन नहीं कराया गया है। इस स्कूल के संचालक के ऊंचे रसूख के प्रशासन इस हद तक नतमस्तक है कि वह वर्षों से राजस्व की हानि उठा रहा है।

एसीएन टाइम्स के पास उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार सांई श्री इंटरनेशनल स्कूल का संचालन जिस भूमि पर हो रहा है वह रतलाम के बरबड़ ग्राम में स्थित होकर चार हिस्सों में बंटी है। इनके सर्वे क्रमांक 123, 125, 126 एवं 97/2 है। इन भूखंडों का रकबा कमशः 0.1600 हेक्टेयर (17,222.26 वर्ग फीट), हेक्टेयर 0.7900 (85,034.93 वर्ग फीट), 0.0200 हेक्टेयर (2,152.78 वर्ग फीट) और 0.5300 हेक्टेयर (57,048.75 वर्ग फीट) सहित कुल रकबा 1.5000 हेक्टेयर (लगभग 1,61,458.656 वर्ग फीट) है। ये सभी भूमियां राकेश पिता दिनकर देसाई निवासी टीआईटी रोड रतलाम के नाम पर दर्ज हैं।

राजस्व बचाने के लिए दो भूखंडों का कराया डायवर्सन !

रिकॉर्ड के अनुसार सांई श्री इंटरनेशनल एकेडमी के संचालकों राजस्व बचाने की नीयत से अपने चार भूखंडों में से सिर्फ दो का ही व्यवसायिक (स्कूल) उपयोग के लिए डायवर्सन कराया। इनमें सर्वे क्रमांक 97/2 (0.530 हेक्टेयर) का डायवर्सन 23 जुलाई 2015 को हुआ था जबकि सर्वे क्रमांक 123 (0.160 हेक्टेयर) का और इसके 7 साल बाद 15 मार्च 2022 को कराया गया। यानी अब तक कुल 0.690 हेक्टेयर (लगभग 74,270.98 वर्गभीट) का ही डायवर्सन हुआ है और राजस्व का भुगतान किया गया है। शेष दो भूखंड सर्वे क्रमांक 125 की 0.7900 हेक्टेयर (85,034.93 वर्ग फीट) तथा 126 की 0.0200 हेक्टेयर (2,152.78 वर्ग फीट) सहित कुल 0.8100 हेक्टेयर (87,187.67 वर्ग फीट) जमीन आज भी कृषि भूमि के रूप में दर्ज है और इसका व्यवसायिक (स्कूल की समस्त गतिविधियों) उपयोग हो रहा है।

ब्याज और जुर्माने का है प्रावधान

जानकारों के अनुसार डायवर्सन शुल्क भूमि के बाजार मूल्य और उपयोग के प्रकार पर निर्भर करता है। इसकी गणना भू-राजस्व और प्रीमियम के आधार पर की जाती है। अब भू-राजस्व संहिता के तहत भूमिस्वामी स्वयं mpbhulekh.gov.in पोर्टल के माध्यम से गणना कर भुगतान कर सकते हैं। समय पर भुगतान न करने पर ब्याज और बिना डायवर्सन के भूमि उपयोग करने पर जुर्माना भी अदा करना पड़ता है। बिना डायवर्जन के भूमि का उपयोग करने पर एसडीएम द्वारा भूमि उपयोग परिवर्तन के आधार पर गणना कर 50% तक जुर्माना लगा सकते हैं। वहीं समय पर भुगतान न करने पर पहले 12 महीनों के लिए 12% प्रति वर्ष और उसके बाद 15% प्रति वर्ष की दर से साधारण ब्याज देने का भी प्रावधान है।

नोटिस के जवाब देने में भी रुचि नहीं रही

स्कूल संचालक को अपने रसूख पर इतना अहम् है कि उनके द्वारा उक्त भूमियों के डायवर्सन के लिए नगर एवं ग्राम निवेश विभाग द्वारा समय-समय पर जारी नोटिस के जवाब तक देने जरूरी नहीं समझे गए। इसकी बानगी यहां दिए गए पत्रों में देखे जा सकती है। इसके अनुसार पूर्व में सर्वे कमांक 125, 126, 97/2 रकबा कमशः 0.790 हे., 0.020 हे. तथा 0.530 हे. सहित कुल रकबा 1.340 हे. भूमि पर स्कूल भवन (शैक्षणिक) प्रयोजन हेतु डायवर्सन के लिए अनुमति चाही गई थी।

इसके चलते नगर एवं ग्राम निवेश विभाग द्वारा आवेदक दिनकर पिता छोटूभाई देसाई, निवासी टी.आई.टी. रोड, रतलाम (म.प्र.) को कई बार (पत्र कमांक 605 दिनांक 14.06.2010, पत्र कमांक दिनांक 824 दिनांक 13.08.2010 एवं पत्र कमांक 979 दिनांक 24.09.2010 एवं पत्र क्रमांक 997 दिनांक 29.09.2010) पत्र जारी किए गए। इसमें बताया गया था कि जिन भूखंडों के भूमि उपयोग में परिवर्तन का निवेदन किया गया है उसके बीच में एक सरकारी नाला बहता है और संबंधित स्थल के लिए कोई वैधानिक मार्ग भी उपलब्ध नहीं है। बीच में नाला होने से डायवर्सन के लिए नजूल विभाग की आनापत्ति भी चाही गई थी। जमीन का सीमांकन करवाने के लिए भी कहा गया था।

सशर्त जारी हुई थी स्कूल निर्माण की अनुमति

जानकारी के अनुसार स्कूल संचालक को 08.10.2010 को स्कूल निर्माण के लिए नगर एवं ग्राम निवेश विभाग द्वारा 18 शर्तों पर अनुमति जारी की गई थी। इसमें स्पष्ट रूप से कंट्रोल एरिया और एमओएस छोड़ने के लिए निर्देशित किया गया था। इसके अलावा भी अनेक शर्तें रखी गई थीं। इनमें से किसी भी शर्त का पालन नहीं करने और जानकारी झूठी पाए जाने पर अनुमति निरस्त किए जाने की बात भी अनुमति पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेखित थी। हालांकि, उपरोक्त शर्तों में से कई शर्तों का पालन नहीं होने और नाले को पाट कर उस पर कब्जा करने के मामले में भी अब तक कोई कार्रवाई प्रशासन नहीं कर सका है। बता दें कि, नाले पर अतिक्रमण के लिए ही स्कूल संचालक राकेश देसाई पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी हो चुका है।