स्वास्थ्य विभाग की काली और उजली तस्वीर ! कहीं रुपए नहीं मिलने पर नर्स ने प्रसूता व नवजात को भगाया, कहीं डॉक्टर ने घर जाकर प्रसव करा 2 जान बचाई

यह खबर आपको रतलाम जिले में लापरवाही और भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुके स्वास्थ्य विभाग का काला और उजला चेहरा दिखाएगी। अगर यह देखने में रुचि है तो एक बार खबर अवश्य पढ़ें।

स्वास्थ्य विभाग की काली और उजली तस्वीर ! कहीं रुपए नहीं मिलने पर नर्स ने प्रसूता व नवजात को भगाया, कहीं डॉक्टर ने घर जाकर प्रसव करा 2 जान बचाई
रतलाम जिले के स्वास्थ्य विभाग का ब्लैक एंड व्हाइट चेहरा।
  • रतलाम के स्वास्थ्य विभाग का काला चेहरा

  • रतलाम के स्वास्थ्य विभाग का उजला चेहरा

  • रुपए नहीं मिले तो नर्स ने प्रसूता व नवजात को भगाया

  • डॉक्टर ने घर जाकर कराया महिला का प्रसव

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । जिले के स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अमले के दो चेहरे सामने अए हैं, एक काला (Black) है तो दूसरा उजला (Whit) चेहरा। दोनों ही मामले आदिवासी अंचल के हैं। एक ओर राजापुरा माताजी स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में नर्स को रुपए नहीं मिले तो उसने प्रसूता का डिस्चार्ज कार्ड और नवजात शिशु का जन्म प्रमाण पत्र रोक लिया। वहीं दूसरी ओर रावटी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती गर्भवती को परिजन बिना बताए घर ले गए तो यहां के डॉक्टर और नर्स ने उसके घर जाकर प्रसव कराया।

पहले स्वास्थ्य विभाग का काला चेहता क्योंकि इसका दायरा बड़ा है

जिले के स्वास्थ्य विभाग की चिकित्सा व्यवस्था प्रभारियों के भरोसे चल रही है। यहां लगभग पूरा अमला ही मनमानी पर उतारू है, नतीजतन लोगों की जान तक जा रही है। भ्रष्टाचार तो चरम पर ही है। जिले के बाजना विकासखंड के राजापुरा माताजी स्थित शासकीय स्वास्थ्य केन्द्र पर तो हद ही हो गयी। जिले की जनसुनवाई में हुई शिकायत के अनुसार यहां थांदला निवासी भूरसिंह कटारा ने पत्नी नर्मदा को 7 सितंबर को प्रसव के लिए भर्ती कराया था। आरोप है कि यहां कार्यरत नर्स अनीता शर्मा ने उनसे 1000 हजार रुपए की मांग की। हैसियत नहीं होने से इस गरीब परिवार ने नर्स को 500 रुपए देकर हाथ जोड़ते हुए और रुपए देने में असमर्थता जताई।

1000 के बदले सिर्फ 500 रुपए देने पर नर्स भड़क गई और दंपत्ति को बोलना ही शुरू कर दिया। नर्स ने तो यहां तक नसीहत दे डाली कि अगर जेब में रुपया नहीं हो तो सरकारी अस्पताल में बच्चे पैदा करवाने मत लाया करो। इतना ही नहीं नर्स ने कुछ समय बाद ही प्रसूता और नवजात बच्चे को स्वास्थ्य केंद्र से ही बाहर कर दिया और उन्हें डिस्चार्ज कार्ड तथा शिशु का जन्म प्रमाण पत्र भी नहीं दिया। भूरसिंह ने अपनी शिकायत में कहा है कि यदि जांच हो तो वह संबंधित नर्स की शिनाख्त भी करवा सकता है।

अब एक  उजला  पक्ष भी क्योंकि ऐसा कम ही होता है

आदिवासी अंचल के ही राजापुरा माताजी के स्वास्थ्य केंद्र में रुपए नहीं मिलने पर एक प्रसूता को और नवजात को बाहर निकाल दिया गया तो दूसरी ओर इसी अंचल के रावटी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्टाफ का सकारात्मक रूप सामने आया। जानकारी के अनुसार, रावटी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रावटी पर मंगलवार की प्रसव हेतु कांता पति रमेश चारेल निवासी बांसवाड़ा को परिजन उपचार के लिए थे। महिला क्षेत्र के ही सिंगत से जुड़ी हुई है। यहां ड्यूटी डॉ. दीपक मेहता व नर्स पूजा धाकड़ ने जांच की। कांता गंभीर एनीमिया से ग्रसित है। उसका हीमोग्लोबिन मात्र 5 ग्राम ही पाया गया। अतः डॉक्टर ने उसे वाहन से रतलाम रैफर किया और स्वास्थ्य विभाग की हेल्प डेस्क को सूचना दी।

उधर, स्वास्थ्य केंद्र से रवाना होने के बाद परिजन महिला को रतलाम लाने के बजाय सीधे अपने घर ले गए। इसकी जानकारी नर्स पूजा धाकड़ ने डॉ. दीपक मेहता को दी। जानकारी सीएमएचओ, संबंधित एएनएम और आशा कार्यकर्ता के साथ ही रावटी थाने पर भी दी गई। थाने पर पदस्थ बद्रीलाल चौहान ने तलाश की तो पता चला कि प्रसूता उसके स्थानीय रिस्तेदार के यहां और उसे प्रसव पीड़ा भी हो रही है। अतः डॉ. मेहता टीम के साथ एम्बुलेंस से वहां पहुंचे और उसका सुरक्षित प्रसव कराया। उसे प्राथमिक उपचार के साथ ही जिला अस्पताल रतलाम भी भिजवाया। डॉ. मेहता के अनुसार सामान्यतः गर्भवती में हीमोग्लोबिन का स्तर 10 ग्राम या उससे अधिक होना चाहिए।  7 ग्राम या उससे कम होना गंभीर एनेमिया की श्रेणी में आता है। ऐसे में प्रसूता की जान को भी खतरा रहता है।