महिलाओं पर अत्याचार के लिए समाज और सरकार दोनों जिम्मेदार, मिलकर कठोर कदम उठाना जरूरी- डॉ. चांदनीवाला
शिक्षक सांस्कृतिक संगठन मंच द्वारा वाद विवाद और प्रश्न मंच प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। शिक्षकों और विद्यार्थियों ने प्रभावी प्रस्तुतियां दी।
शिक्षक मंच द्वारा आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में वक्ताओं ने व्यक्त विचार, शिक्षकों तथा विद्यार्थियों ने दी प्रभावी प्रस्तुतियां
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । देश में महिलाओं पर हो रहे लैंगिक हमले और अत्याचारों के लिए सरकार के साथ-साथ समाज की असंवेदनशीलता भी जिम्मेदार है। अपराधियों के प्रति दंड संहिता का समय पर उपयोग न होना तथा कठोरतम दंड का प्रावधान न होना, महिला अपराधों में वृद्धि का मुख्य कारण है। समाज की अत्याचारों के प्रति खामोशी तथा असंवेदनशील होना भी मुख्य रूप से जिम्मेदार कहा जा सकता है। अपराध और अपराधियों के प्रति दोनों को मिलकर कठोरता पूर्वक कदम उठाने होंगे तभी महिलाओं के आत्मसम्मान और स्वाभिमान की रक्षा हो पाएगी।
उक्त विचार शिक्षक सांस्कृतिक संगठन मंच द्वारा ‘महिला अत्याचारों के लिए जिम्मेदार कौन, सरकार या समाज’ विषय पर आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रसिद्ध साहित्यकार चिंतक शिक्षाविद डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि छात्र और विद्यार्थियों में समाज में होने वाली घटनाओं के लिए जागृति और प्रतिक्रिया के लिए ऐसे कार्यक्रम अति आवश्यक हैं। अध्यक्षता कर रही डॉ. सुलोचना शर्मा ने कहा कि अभी भी महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों की प्रति सरकार भी उदासीन रहती है और समाज भी गंभीर घटनाओं के प्रति ही अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है।
आने वाली पीढ़ी को जागृत करने के लिए संगठित होना जरूरी
संस्था अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि महिला अपराधों की निरंतर हो रही वृद्धि समाज के स्वरूप को कलंकित कर रही है। किसी भी सभ्य समाज में महिलाओं का शोषण समाज की तुच्छ मानसिकता और संस्कारों की कमजोरी दर्शाता है। आने वाली पीढ़ी को जागृत करने के लिए समाज को संगठित होकर प्रयास करना होंगे तभी हम हमारे उद्देश्य में सफल हो पाएंगे। अत्याचारों के लिए सरकार को दोषी ठहरने वालों में सुनील कदम ने कहा कि कठोर दंड व्यवस्था का अभाव नारी अत्याचार के लिए जिम्मेदार है। इस ओर सरकार को प्रमुख रूप से ध्यान देना होगा।
अरब देशों के कानून को लागू करना चाहिए
देवेंद्र वाघेला ने कहा कि नारी भारत के अंदर देवी के स्वरूप में मानी जाती है। हम उसकी पूजा करते हैं और उसके बावजूद अत्याचार और शोषण के लिए कोई कमी नहीं रखते, यह हमारा दोगलापन है। भारती उपाध्याय ने कहा कि समाज और परिवार में पुरुषों का पुरातन समय से सत्ता शासन रहा है यही कारण रहा कि महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित रहीं, अगर उसने चाहा भी तो उसे दबा दिया जाता है। अन्य अपराधों के लिए हमें अरब देशों के कानून को लागू करना चाहिए। जब तक कठोर दंड व्यवस्था नहीं होगी ऐसे अपराध होते रहेंगे।
75 वर्ष बाद भी नारी अस्मिता व अधिकारों के लिए लड़ रहे
अंजुम खान ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी हम नारी अस्मिता और अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं, यह घोर अपमानजनक है। आरती त्रिवेदी ने कहा कि सीता और मां अहिल्या के देश में महिला अधिकारों की नियमित हत्या होती है। नारी स्वाभिमान और स्वतंत्रता के लिए सभी दोषी हैं। सरकार और समाज सब एक दूसरे की तरफ जिम्मेदारियां डाल देते हैं यही महिलाओं का दुर्भाग्य है। कविता सक्सेना ने कहा कि नारी अत्याचार पर समाज की खामोशी कभी-कभी बहुत दुख देती है। अपराधियों को बचाने के लिए सैकड़ों वकील आगे आते हैं क्या, वे महिलाओं के अधिकारों के प्रति अन्याय नहीं कर रहे हैं। यह उन्हें सोचना चाहिए कि उन्होंने भी किसी नारी के कोख से ही जन्म लिया है।
अमर्यादित जीवन शैली पर ध्यान देना होगा
विपक्ष में बोलते हुए विक्रम सिंह भाटी ने कहा कि महिला अत्याचारों के लिए पूर्णतया सरकारों को जिम्मेदार ठहराना बेमानी होगी सरकार के साथ-साथ समाज को भी महिलाओं के अमर्यादित जीवन शैली पर ध्यान देना होगा। अश्लील आधुनिकता के नाम पर सामाजिक बंधनों को मुक्त रखकर जीवन जीना एक फैशन सा बनता जा रहा है जो नारी अत्याचारों का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। वैवाहिक संबंधों में कड़वाहट तथा एकल परिवार महिला अत्याचारों के लिए जिम्मेदार कह जा सकते हैं।
सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव और फायदे बताए
विद्यार्थियों के लिए आयोजित विषय ‘सोशल मीडिया के बढ़ते दुष्प्रभाव’ पर सीएम राइस विनोबा हायर सेकंडरी स्कूल के बच्चों ने प्रखर विचारों का प्रदर्शन किया। छात्र श्रद्धेय राजपुरोहित ने कहा कि सोशल मीडिया पर अनर्गल साइट्स पर सामाजिक कुरीतियों को अश्लीलता के साथ भरोसा जा रहा है जो आने वाली पीढ़ी के लिए अत्यंत खतरनाक है। वहीं अनंत शुक्ला ने सोशल मीडिया के फायदे गिनाए। उन्होंने कहा कि यदि सुविधाओं का सदुपयोग किया जाए तो उससे फायदे भी होते हैं।
एथलेटिक्स स्पर्धा 27 अगस्त को, पुरस्कार 5 सितंबर को बंटेंगे
आरंभ में अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया। सरस्वती वंदना कविता सक्सेना ने प्रस्तुत की। अतिथियों का स्वागत राधेश्याम तोगड़े, नरेंद्र सिंह राठौड़, दिलीप वर्मा, रमेश उपाध्याय, मदनलाल मेहरा, दशरथ जोशी, मिथिलेश मिश्रा ने किया। वाद-विवाद स्पर्धा तथा प्रश्न मंच का संचालन नरेंद्र सिंह पंवार ने किया। मंच द्वारा 27 अगस्त रविवार को सुबह 9.00 बजे विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए नेहरू स्टेडियम में एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा। प्रश्न मंच एवं वाद विवाद प्रतियोगिता के विजेताओं को 5 सितंबर शिक्षक दिवस पर पुरस्कृत किया जाएगा।