ये हैं आदर्श जनसेवक : विधायक चेतन्य काश्यप ने फिर किया वेतन-भत्तों एवं पेंशन का समर्पण किया, क्योंकि इनके लिए राजनीति साध्य नहीं, जनसेवा का साधन है
रतलाम शहर विधायक चेतन्य काश्यप ने तीसरी बार विधायक बनने के बाद भी वेतन-भत्ते नहीं लेने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि राजनीति उनके लिए जनसेवा का साधन है।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । रतलाम विधायक चेतन्य काश्यप ने एक बार फिर आदर्श प्रस्तुत किया है। उन्होंने गुरुवार को राज्य विधानसभा में वेतन-भत्ते एवं पेंशन के समर्पण की घोषणा की। काश्यप का कहना है कि वे राजनीति में जनसेवा के लिए आए हैं। राजनीति उनके लिए साध्य नहीं, सिर्फ जनसेवा का साधन मात्र है। राष्ट्रसेवा और जनसेवा उनका ध्येय है। वे किशोर अवस्था से ही समाज सेवा के कार्यों में अग्रसर हैं तथा अनेक सेवा प्रकल्पों का संचालन कर रहे हैं।
"राष्ट्रसेवा और जनहित ही मेरा ध्येय है"
— Chetanya Kasyap (@ChetanyaKasyap) December 21, 2023
विधायक के रूप में प्राप्त होने वाले वेतन-भत्तों को पूर्व के दो कार्यकालों की तरह नही लेने की विधानसभा में घोषणा की।
विधायक के रूप मुझे प्राप्त होने वाले वेतन, भत्ते एवं पेंशन जनकल्याण के कार्य में उपयोगी हो, यही मेरा ध्येय हैं।" pic.twitter.com/o2gyZDIMko
चेतन्य काश्यप 2014 से रतलाम शहर से लगातार विधायक हैं। काश्यप का कहना है कि ईश्वर ने उन्हें इस योग्य बनाया है कि वे जनसेवा में थोड़ा सा अवदान कर सकें। इसलिए उन्होंने विधायक चुने जाने के बाद से ही विधायक के रूप में प्राप्त होने वाले वेतन-भत्तों एवं पेंशन नहीं लेने का निश्चय किया। काश्यप ने 14वीं एवं 15वीं विधानसभा में भी उन्होंने वेतन-भत्ते ग्रहण नहीं किए थे तथा अब 16वीं विधानसभा में अपने संकल्प को दोहराया है।
प्रदेश के विकास व जनहित में हो सदुपयोग
अपनी घोषणा में काश्यप ने उल्लेख किया है कि वे चाहते हैं कि उन्हें प्राप्त होने वाले वेतन-भत्तों की राशि का राज्यकोष से ही आहरण नहीं हो, ताकि उस राशि का सदुपयोग प्रदेश के विकास और जनहित के कार्यों में हो सके। यह एक मिसाल है। यही वजह है कि लोग कहने लगे हैं कि जनसेवक हो तो विधायक चेतन्य काश्यप जैसा।