समन्वय, संतुलन और सबकी पसंद... : प्रदीप उपाध्याय को दोबारा मिला रतलाम जिले का अध्यक्ष पद, जानिए- क्यों हुई पुनः ताजपोशी
भाजपा ने रतलाम जिले के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी पुनः प्रदीप उपाध्याय को सौंपी है। उपाध्याय को एक साल के भीतर दूसरी बार यह पद मिला है जिससे समर्थकों में जबरदस्त हर्ष व्याप्त है।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । भारतीय जनता पार्टी ने रतलाम के जिला अध्यक्ष पद के लिए जिला अध्यक्ष प्रदीप उपाध्याय पर ही भरोसा जताया है। उपाध्याय को दोबारा जिला अध्यक्ष बनाने जाने की वजह सत्ता-संगठन में समन्वय, संतुलन तो है ही, वे सभी की पसंद भी हैं। पुनः अध्यक्ष पद पर काबिज होने पर पार्टी कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है और मनोनयन की घोषणा के बाद से ही उपाध्याय को बधाइयां देने व स्वागत करने वालों का तांता लगा हुआ है।
निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी कर जिला अध्यक्ष प्रदीप उपाध्याय रतलाम जिला भाजपा के पुनः अध्यक्ष घोषित किए गए हैं। उपाध्याय के नाम की घोषणा रतलाम जिला भाजपा के चुनाव अधिकारी एवं सांसद डॉ. सुमेरसिंह सोलंकी ने प्रदेश चुनाव अधिकारी विवेक शेजवलकर की सहमति से की। उपाध्याय के नाम की घोषणा होते हुए कार्यकर्ताओं ने हर्ष जताया और पुष्प मालाओं से स्वागत कर बधाई और शुभकामनाएं दीं।
पहले से ही तय था नाम
जिला अध्यक्ष के रूप में प्रदीप उपाध्याय की दोबारा ताजपोशी पहले से ही तय मानी जा रही थी। इसकी कई वजहें हैं। यही कारण है कि जिले के पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि और कार्यकर्ताओं के साथ ही खुद उपाध्याय भी पूरी तरह आश्वस्त थे।
ये वजहें रहीं पुनः ताजपोशी की
- छात्र राजनीति से सक्रिय उपाध्याय का लंबा राजनीतिक करियर रहा है। इस दौरान वे विभिन्न पदों पर काबिज रहे। जिला भाजपा के महामंत्री के रूप में लंबे कार्यकाल (2013 से 2024) के दौरान पार्टी को मजबूती देने में उनकी उल्लेखनीय भूमिका रही।
- पूर्व में जिला अध्यक्ष रहे ज्यादातर लोगों को लेकर गुटबाजी के आरोप लगते रहे लेकिन उपाध्याय ने इस बात को हावी नहीं होने दिया। रतलाम जिले के सभी गुटों के साथ उनके संगठानात्मक रिश्ते तो अच्छे रहे ही, व्यक्तिगत रूप से भी संबंध प्रगाढ़ रहे। चाहे कोठारी गुट हो, काश्यप गुट हो, पांडेय गुट हो या फिर कोई अन्य। सीधे शब्दों में कहें तो उपाध्याय की भूमिका एक सेतु के रूप में रही। समन्वय बनाने में सफल रहे उपाध्याय को इस कारण से ही किसी का विरोध नहीं झेलना पड़ा।
- उम्र के लिहाज से भी वे भाजपा की गाइडलाइन में फिट रहे। जिला अध्यक्ष के लिए पार्टी द्वारा 60 साल का क्राइटेरिया फिट किया गया था लेकिन उपाध्याय की उम्र 59 वर्ष होने से वे जिला अध्यक्ष बनने की दौड़ में पुनः शामिल हो गए। इतना ही नहीं उन्हें अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी 26 जनवरी 2024 को मिली थी तब चुनावी दौर था। इसलिए उनका ज्यादातर समय चुनावों की रणनीति बनाने में ही बीता। रतलाम की 5 में से 4 विधानसभा सीटों पर भाजपा ने उपाध्याय के जिला अध्यक्ष रहते हुए ही जीत हासिल की जिसमें रतलाम से 60 हजार से अधिक मतों से चेतन्य काश्यप की विजय भी शामिल है।
- लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सफल सभा भी उपाध्याय के खाते में दर्ज है। इस चुनाव में जिले से भाजपा को अच्छी सफलता मिली।
- गुटबाजी के चलते पूर्व में जिला भाजपा कार्यालय महज औपचारिकताओं की पूर्ति तक सीमित रहता था लेकिन उपाध्याय के अध्यक्ष बनने के बाद इस कार्यालय के दिन फिर बहुरे और यहां चहल-पहल पुनः बढ़ी। इसका असर यह हुआ कि गुट विशेष के जिन नेताओं को दूसरे गुट विशेष के नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ उठने-बैठने में परहेज था और जो पहले संगठन की गतिविधियों में शामिल होने से बचते थे, वे खुल कर भागीदारी करते नजर आए।
- प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रतलाम जिले में अगर सबसे ज्यादा निकट माने जाते हैं तो वे प्रदीप उपाध्याय ही हैं। डॉ. यादव और उपाध्याय के संबंध छात्र राजनीति के समय के हैं। इसके साथ ही प्रदेश अध्यक्ष वी. डी. शर्मा सहित अन्य वरिष्ठों से भी बेहतर संबंध रहे हैं। यही वजह है कि न तो स्थानीय स्तर पर किसी ने उनका विरोध किया और न ही प्रदेश स्तर पर ही जिससे उनका दोबारा जिला अध्यक्ष बनना और आसान हो गया।
- रतलाम में ब्राह्मण समाज एक बड़ा समूह है। उपाध्याय इस लिहाज से भी पार्टी के लिए उपयोगी साबित हुए हैं। ब्राह्मण समाज में उपाध्याय की पैठ काफी है और सभी उपजातियों के पदाधिकारियों से भी उनके व्यक्तिगत संबंध हैं।