यह कैसी न्याय यात्रा ? राहुल गांधी आंधी की तरह आए, तूफान की तरह गुजर गए, भारत जोड़ने निकले लेकिन पर्याप्त कार्यकर्ता ही नहीं जुड़े
रतलाम में आई राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा और रोड शो लगभग फ्लॉप शो साबित हुआ। वे यहां आंधी की तरह आए और तूफान की तरह गुजर गए। इस बीच एक जगह नुक्कड़ सभा की जिसके लिए स्थानीय नेतृत्व ठंग का माइक तक उपलब्ध नहीं करा सका।
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एसीएन टाइम्स @ रतलाम । जिस उत्सुक्तता और बेकरारी से रतलामवासी राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का इंतजार कर रहे थे, वह मायूसी में बदल गई। कार्यकर्ताओं की अपर्याप्त उपस्थिति और ठंग का माइक तक उपलब्ध कराने में नाकाम रहे स्थानीय नेतृत्व ने खुद राहूल गांधी को भी मायूस किया। नतीजतन तय समय से करीब सवा दो घंटे की देरी से रतलाम नगर की सीमा में आंधी की तरह दाखिल हुई उनकी न्याय यात्रा तूफान की तरह गुजर गई। राहुल का स्वागत-सत्कार करने की ख्वाइश लेकर मंच बनाकर इंतजार कर रहे ज्यादातर पदाधिकारी और नेता तेज रफ्तार काफिले को गुजरते देख हाथ हिलाते रह गए।
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी देश भर में भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाल रहे हैं। रतलाम में आने का कार्यक्रम तय होने के बाद से ही यहां देश-प्रदेश के बड़े नेताओं का प्रवास शुरू हो गया था। बड़े नेताओं ने स्थानीय पदाधिकारियों की बैठकें लेकर राहुल गांधी की न्याय यात्रा के भव्य स्वागत की अपील के साथ तैयारियों का जायजा भी लिया था। स्थानीय पदाधिकारी और नेता भी राहुल से मुलाकात की आस में फूले नहीं समा रहे थे।
राहुल गांधी को रतलाम नगर में बुधवार को दोपहर 3 बजे पहुंचना था जिससे पदाधिकारी और कार्यकर्ता स्वागत मंच बनाकर इंतजार कर रहे थे। राहुल का काफिला तकरीबन सवा दो घंटे की देरी से रतलाम की सीमा में दाखिल हुआ। उनके साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, राज्यसभा सदस्य व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित अन्य बड़े नेता मौजूद रहे।
अमरूद के बगीचे में हुए दाखिल, नुक्कड़ सभा के लिए माइक खराब मिला
सातरुंडा से जिले में दाखिल हुए राहुल गांधी ने एक स्थान पर अमरूद के एक बगीचे में दाखिल हुए। यहां मौजूद कांग्रेस नेताओं को उनके स्वागत के लिए दौड़ लगानी पड़ी जिससे वे हांफ गए और पसीने छूट गए। यहां कुछ मिनट रुके राहुल को जापानी अमरूद दिया गया। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के चलते यहां मौजूद अन्य कार्यकर्ता राहुल की झलक पाने तक को तरस गए।
रतलाम शहर में राहुल की नुक्कड़ सभा होनी थी। इसके लिए स्थानीय संगठन द्वारा माइक की व्यवस्था की गई थी जो बेहद खराब साबित हुई। महज 11 मिनट के संबोधन के दौरान माइक तीन बार बंद हो गया। राहुल को कहना पड़ा कि ‘यहां माइक ज्यादा अच्छा नहीं है, इसलिए आपको ध्यान से सुनना पड़ेगा।‘ एक राष्ट्रीय स्तर के नेता के आगमन पर उसके संगठन के समर्थकों और कार्यकर्ताओं की जितनी उपस्थिति होनी चाहिए, वह नहीं दिखी।
होर्डिंग-बैनर जितने भी लोग नहीं दिखे
दावे किए जा रहे थे रोड शो का भव्य स्वागत होगा लेकिन पूरे रूट में जितने होर्डिंग, बैनर और बोर्ड लगाए गए थे, उतने कार्यकर्ता भी नजर नहीं आए। शहर के राम मंदिर चौराहे के बाद स्वागत मंच तो नजर आए लेकिन स्वागत के लिए कार्यकर्ता लगभग नदरादर ही रहे।
नतीजनत राहुल का काफी दो बत्ती चौराहे के बाद तेज रफ्तार से आगे बढ़ा। कुछ स्थानों पर रफ्तार थोड़ी कम हुई तो राहुल ने वाहन के अंदर से ही लोगों का अभिवादन स्वीकार किया।
इसके बाद वाहनों का काफिला तूफान की तरह सैलाना की ओर रवाना हो गया। इससे सड़क किनारे खड़े लोग ठीक से उनका चेहरा भी नहीं देख पाए। सीधे शब्दों में कहें तो राहुल गांधी का रतलाम में हुआ रोड शो फ्लॉप शो ही साबित हुआ। रतलाम आए राहुल गांधी के स्वागत में अन्य जिलों और रतलाम के ग्रामीण क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की ही उपस्थित ज्यादा नजर आई। रतलाम शहर में हमेशा नजर आने वाले चेहरे ही दिखे।