निरक्षर को साक्षर करना अक्षर ब्रह्म की सेवा है, अक्षर का ज्ञान आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता का अहसास करता है- हाड़ा
शिवगढ़ कन्या संकुल के 254 निरक्षरों को अक्षर मित्रों द्वारा अक्षर ज्ञान देकर साक्षर किया गया। इस उल्लेखनीय भूमिका के लिए ऐसे सभी अक्षर मित्रों का सम्मान किया गया।
254 निरक्षरों को साक्षर करने वाले अक्षर मित्रों का सम्मान, जनशिक्षा केंद्र शिवगढ़ में हुआ आयोजन
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । अक्षर ब्रह्म है और किसी को अक्षर का ज्ञान देकर साक्षर करना उस ब्रह्म की सेवा करने के बराबर है। अक्षर ज्ञान निरक्षरता से घिरे व्यक्ति को आत्म सम्मान की अनुभूति कराता है, आत्म निर्भर होने का अहसास भी कराता है। जिसे जरा भी अक्षर ज्ञान नहीं है, उसे जब आप ने पहली बार कोई अक्षर लिखना, पढ़ना और समझना सिखाया होगा तो उसके चेहरे की खुशी भी जरूर देखी होगी। सीखने के बाद उसकी पहली प्रतिक्रिया रही होगी कि ‘देखिए, मैंने यह कर लिया।’ उसकी इस खुशी ने आपको सुखद अहसास कराया होगा।
यह बात सैलाना विकासखंड के बीआरसी जयेंद्र सिंह हाड़ा ने कही। वे जनशिक्षा केंद्र शिवगढ़ में अक्षर मित्रों के सम्मान समारोह में बोल रहे थे। इस मौके पर सह समन्यवक (साक्षरता) डॉ. रविंद्र उपाध्याय, बीएसी रविंद्र त्रिवेदी, बीएसी स्मिता शुक्ला, जन शिक्षक रमेश परिहार विशेष रूप से उपस्थित रहे। समारोह में कन्या संकुल के 254 अक्षरों को साक्षर करने वाले अक्षर मित्रों को सम्मानित किया गया। संचालन कन्या संकुल शिवगढ़ के सह समन्वयक (साक्षरता) देवेंद्र वाघेला ने किया।
इनका हुआ सम्मान
सामाजिक चेतना केंद्र के प्रभारी शांतिलाल पाठक, महेंद्र देवड़ा, नागूलाल मईड़ा, बालमुकुंद पाटीदार, भारत सिंह चौहान, किशोर, पवन, पप्पू सिलावट, पप्पू अमलियार, सुभाष, दिनकर, सेतु मीणा, मोतीलाल मईड़ा, लक्ष्मण गोदा, लक्ष्मण, सेतु मईड़ा, दिलीप आर्य के प्रयास से अक्षर मित्रों को सम्मानित किया गया। उन्होंने कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए। सर्वश्रेष्ठ अक्षर मित्र के रूप में कन्या संकुल की शिक्षक सुहागी हारी, रावजी वसुनिया, संतोष डामर, हरिश्चंद्र मईड़ा, प्रेम पारगी, नारायण पारगी, संतोष, कैलाश पारगी को भी प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए। इस दौरान सभी सामाजिक चेतना केंद्रों के प्रभारी उपस्थित रहे।