व्यापमं घोटाला : मध्य प्रदेश शासन तथा CBI को सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस, पारस सकलेचा की  याचिका पर शीर्ष न्यायालय की कार्रवाई

व्यापमं घोटाले में जिम्मेदारों से पूछताछ और कार्रवाई नहीं होने को लेकर कांग्रेस नेता और रतलाम के पूर्व महापौर पारस सकलेचा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए राज्य शासन और सीबीआई को नोटिस जारी किया है।

व्यापमं घोटाला : मध्य प्रदेश शासन तथा CBI को सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस, पारस सकलेचा की  याचिका पर शीर्ष न्यायालय की कार्रवाई
व्यापमं घोटाले को लेकर पारस सकलेचा द्वारा दायर याचिका को संज्ञान में लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मप्र शासन और सीबीआई को नोटिस जारी किया है।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश शासन और सीबीआई को नोटिस जारी किया है। व्यापमं घोटाले के मामले में कार्रवाई नहीं होने पर कांग्रेस नेता पारस सकलेचा द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी हुआ है। सकलेचा ने मप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री सहित अन्य की भूमिका को लेकर सवाल उठाते हुए उनसे भी पूछताछ की मांग की थी। कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन वहां याचिका खारिज होने पर अब सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है।

व्यापमं घोटाला जुलाई 2009 में शासन के संज्ञान में लाया गया था। इसके बाद 17 दिसंबर 2009 को जांच कमेटी गठित हुई। बावजूद इसके 2010 से 2013 तक घोटाला होने पर जिम्मेदारों से पूछताछ करने को लेकर पारस सकलेचा द्वारा इंदौर हाईकोर्ट पिटीशन क्रमांक 20371/2023 में पिटीशन दायर की थी। उनके द्वारा STF को‌ 11 दिसंबर 2014 को दस्तावेज सहित 350 पेज के आवेदन पर कार्यवाही की मांग की गई थी। इसे दिनांक 19/4/2024 को उच्च न्यायालय इंदौर ने निरस्त कर दिया था। इसके विरुद्ध सकलेचा ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की थी। इसे स्वीकार करते हुए न्यायाधीश संजीव खन्ना तथा‌ न्यायाधीश संजय कुमार ने राज्य शासन तथा सीबीआई को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। मामले में पैरवी वरिष्ठ अभिभाषक तथा राज्यसभा सांसद विवेक तनखा और सर्वम ऋतम खरे ने की।

दस्तावेजों का पुलिंदा देने और घंटों बयान के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई

याचिकाकर्ता सकलेचा ने अपने आवेदन में कहा है कि एसटीएफ द्वारा 27 नंबर 2014 को विज्ञप्ति क्रमांक 21503/14 जारी कर व्यापमं की जांच में बिंदु शामिल करने हेतु दस्तावेज सहित आवेदन आमंत्रित किए जाने पर उन्होंने 11 दिसंबर 2014 को दस्तावेज सहित 350 पेज का आवेदन दिया था। STF को 12 जून 2015 को मौखिक साक्ष्य के अतिरिक्त 71 पेज का लिखित बयान तथा 240 पेज के दस्तावेज भी दिए थे। 11 से 13 सितंबर 2019 को STF में पुनः 13 घंटे तक बयान दिए इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।

इन सभी की भूमिका को लेकर उठाए थे सवाल

मामले की जांच सीबीआई ने शुरू की। सीबीआई में अक्टूबर 2016 में बयान देने के बाद आवेदन को मुख्य सचिव मध्य प्रदेश शासन को कार्यवाही करने हेतु आवेदन भी भेजा गया था। सकलेचा ने अपने आवेदन में व्यापमं घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज‌ सिंह‌ (जिनके पास चिकित्सा शिक्षा विभाग भी था), मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव सचिव चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा संचालक, व्यापमं के अध्यक्ष आदि जिम्मेदार अधिकारियों की फर्जीवाड़े में भूमिका को लेकर दस्तावेज पेश किए थे। उन्होंने इसी आधार पर उपरोक्त सभी से पूछताछ करने की मांग भी की थी। इस पर भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।  

यह भी उल्लेख किया याचिका में

सकलेचा ने दिसंबर 2009 में शासकीय तथा निजी चिकित्सा महाविद्यालय में भर्ती की जांच के आदेश के बाद भी निजी चिकित्सा महाविद्यालय की भर्ती की जांच नहीं की गई थी। सकलेचा ने सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत लगभग 850 पेज के दस्तावेजी साक्ष्य तथ्यों के प्रमाण में पेशकर निर्धारित समय सीमा में विवेचना कर नियमानुसार कार्यवाही की प्रार्थना की है। इसमें उन्होंने बताया है कि सीबीआई तथा एसटीएफ ने व्यापमं फर्जीवाड़े की जांच में काफी लीपापोती की है। अनेकों महत्वपूर्ण दस्तावेजों को जांच में शामिल न कर बड़े लोगों को बचाने का कार्य किया है। मात्र रेकेटीयर, दलाल, स्कोरर, सॉल्वर, छात्र, अभिभावक तथा नाममात्र के छोटे शासकीय अधिकारी को ही आरोपी बनाया है। सकलेचा के अनुसार इतना बड़ा रैकेट 10 साल तक चलना सत्ता और प्रशासन के सहयोग के बिना संभव नहीं है।