बंदिश : रजिस्टर्ड करवाना होगा अचल संपत्ति बेचने का अनुबंध पत्र, जिला पंजीयक ने लगाई ई-स्टाम्प बेचने पर रोक, प्रॉपर्टी व्यवसायी बोले- फरमान तुगलकी है

रतलाम जिला पंजीयक द्वारा आदेश जारी कर सेवा प्रदाताओं को अचल संपत्ति के लिए ई-स्टाम्प नहीं बेचने के निर्देश दिए हैं। यह आदेश प्रॉपर्टी व्यवसायियों और सेवा प्रदाताओं को रास नहीं आ रहा है। उनका कहना है कि इससे प्रॉपर्टी व्यवसाय चौपट हो जाएगा।

बंदिश : रजिस्टर्ड करवाना होगा अचल संपत्ति बेचने का अनुबंध पत्र, जिला पंजीयक ने लगाई ई-स्टाम्प बेचने पर रोक, प्रॉपर्टी व्यवसायी बोले- फरमान तुगलकी है
जिला पंजीयक ने अनुबंध के लिए ई-स्टाम्प बेचने पर लगाई रोक।

नीरज कुमार शुक्ला

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । दस्तावेज पंजीयन कार्य से जुड़े सेवा प्रदाताओं की मुसीबत बढ़ गई है। अब वे अचल संपत्ति के अनुबंध के लिए ई-स्टाम्प नहीं बेच सकेंगे। जिला पंजीयक ने इस पर रोक लगा दी है। ई-स्टाम्प बेचने पर संबंधित का लाइसेंस रद्द हो सकता है।

जिले के वरिष्ठ पंजीयक ने एक आदेश जारी किया है। जिले के सभी सेवा प्रदाताओं को संबोधित यह आदेश अचल संपत्ति के विक्रय के अनुबंध के लिए ई-स्टाम्प बेचे जाने को लेकर जारी किया गया है। इसमें बताया गया है कि विभाग के संज्ञान में आया है कि सेवा प्रदाताओं द्वारा अचल संपत्ति बेचने के अनुबंध के लिए 500 अथवा 500-500 रुपए के दो ई-स्टाम्प पक्षकारों को बेचे जा रहे हैं। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1908 की धारा 17 के अनुसार अचल संपत्ति के विक्रय के अनुबंध का पंजीयन कराना अनिवार्य है।

लाइसेंस निरस्त करने की दी चेतावनी

वरिष्ठ जिला पंजीयक द्वारा जारी आदेश में सेवा प्रदाताओं को निर्देशित किया गया है कि जिन दस्तावेजों के लिए पंजीकरण अनिवार्य है, उनके लिए ई-स्टाम्प नहीं जारी करें। पत्र में चेतावनी दी गई है कि यदि ई-स्टाम्प बेचा जाता है तो संबंधित का लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। जिला पंजीयक द्वारा पत्र की प्रतिलिपि महानिरीक्षक पंजीयन को भी भेजी गई है।

प्रॉपर्टी व्यवसायियों को रास नहीं आ रहा आदेश

जिला पंजीयक का उक्त आदेश जिले के प्रॉपर्टी व्यवसायियों और सेवा प्रदाताओं को रास नहीं आ रहा है। उनका कहना है कि रजिस्ट्रार के उक्त आदेश से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। कोर्ट ने 2014 के बाद से विक्रय अनुबंध को रजिस्टर्ड कराने से छूट दे रखी है। इस कारण विभाग द्वारा ई-स्टाम्प जारी नहीं करने का तुगलकी आदेश निकाला है। जब लोगों को स्टाम्प ही नहीं मिलेंगे तो वे मजबूरी में रजिस्ट्रेशन कराएंगे।

1000 के स्टाम्प पर अनुबंध कराने का कर रहे प्रचार

प्रॉपर्टी व्यवसायियों के बीच सोशल मीडिया पर संदेशों का आदान-प्रदान हो रहा है। इसमें बताया जा रहा है कि आदेश मध्य प्रदेश शासन द्वारा दिए गए राजस्व वृद्धि के टारगेट में पीछे होने के कारण जिला पंजीयक ने आदेश निकाला है। अतः कोई भी इससे घबराएं नहीं। किसी भी विक्रय अनुबंध को रजिस्टर्ड करवाने के कानून में वर्ष 2019 में संशोधन हो चुका है। परंतु 1000 रुपए के स्टाम्प पर किए गए विक्रय अनुबंध भी पूरी तरह वैध हैं। अंतः संपदा-2 के 1000 रुपए के स्टाम्प लेकर एग्रीमेंट करें।

...तो चौपट हो जाएगा धंधा

प्रॉपर्टी व्यवसायियों का तो कहना है कि पहले अनुबंध के समय क्रेता-विक्रेता को पंजीयन कार्यालय बुलाओ और उसके बाद जब रिजस्ट्री हो तब भी फिर बुलवाओ। ऐसे में दोनों ही पक्षों का समय जाया होगा और लोग अनुबंध भी नहीं कराएंगे। इससे धंधा ही चौपट हो जाएगा। वैसे ही प्रॉपर्टी व्यवसाय से जुड़े लोग कई अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं जिनमें जिले के 175 गांवों में 1956-57 के भू-अभिलेख विसंगतियों से अटके नामांतरण प्रकरणों का मामला प्रमुख हैं।

सौदा तोड़ने पर आएगी यह समस्या

गौरतलब है कि, अभी संपत्ति बेचने और खरीदने वालों के मध्य सौदा और लेन-देन तो ज्यादा राशि का होता है किंतु अनुबंध में कम लिखाई जाती है। इसकी वजह स्टाम्प ड्यूटी बचाना है जिसे टैक्स चोरी भी कह सकते हैं। अनुबंध में यदि विक्रय मूल्य कम लिखा होगा तो स्टाम्प ड्यूटी भी कम लगेगी और यदि मूल्य ज्यादा लिखा है तो स्टाम्प ड्यूटी भी ज्यादा देना पड़ेगी। अनुबंध रजिस्टर्ड करवाने पर फुल पेमेंट का दर्शाना होगा। इससे ज्यादातर सौदे जुबानी (मौखिक) ही होंगे, लिखित नहीं। ऐसे सौदे से किसी भी पक्ष के मुकरने पर विवाद होगा और तब न्यायालय में पक्ष मजबूती से नहीं रखा जा सकेगा।

राजस्व मंत्री से गुहार लगाने की तैयारी

सूत्रों का कहना है कि प्रॉपर्टी व्यवसायी जिला पंजीयक के उक्त फरमान को रद्द करवाने के लिए प्रदेश के राजस्व मंत्री करणसिंह वर्मा से मुलाकात कर सकते हैं। इसके अलावा वे कैबिनेट मंत्री चेतन्य काश्यप के समक्ष भी अपनी बात रखने पर विचार कर रहे हैं।