व्याख्यान : महर्षि अरविंद का जीवन दर्शन राष्ट्रधर्म, योग और मानवता की त्रिवेणी है, उनके राष्ट्रधर्म का अर्थ है राष्ट्र से ऊपर और राष्ट्र से बढ़कर- श्वेता नागर

मप्र साहित्य अकादमी द्वारा प्रदेश के हरदा में महर्षि अरविंद पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। इसमें रतलाम की लेखिका श्वेता नागर ने महर्षि अरविंद के जीवन से जुड़ पहलुओं पर प्रकाश डाला।

व्याख्यान : महर्षि अरविंद का जीवन दर्शन राष्ट्रधर्म, योग और मानवता की त्रिवेणी है, उनके राष्ट्रधर्म का अर्थ है राष्ट्र से ऊपर और राष्ट्र से बढ़कर- श्वेता नागर
श्री महर्षि अरविंद पर हरदा में व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । महर्षि अरविंद का जीवन राष्ट्र को समर्पित रहा। उनके आध्यात्मिक विचारों ने विश्व में भारतीय संस्कृति और संस्कारों की महत्ता को रेखांकित किया। उनका व्यक्तित्व सूर्य के समान है जिसने संपूर्ण मानवजाति को चेतना के प्रकाश से आलोकित कर दिया। उनके राष्ट्रधर्म का अर्थ है राष्ट्र से ऊपर, राष्ट्र से बढ़कर और राष्ट्र के विरोध में कुछ नहीं। महर्षि अरविंद का जीवन दर्शन राष्ट्रधर्म, योग और मानवता की त्रिवेणी है।

ये विचार हरदा में म. प्र. साहित्य अकादमी, संस्कृति विभाग म.प्र. शासन द्वारा महर्षि अरविन्द पर केंद्रित व्याख्यानमाला में रतलाम की लेखिका और सीएम राइज शासकीय मॉडल स्कूल, सैलाना की व्याख्याता श्वेता नागर ने बतौर वक्ता कही। उन्हें इस कार्यक्रम में महर्षि अरविन्द के जीवन दर्शन पर व्याख्यान हेतु आमंत्रित किया गया था। श्वेता ने महर्षि अरविन्द के जीवन के कई प्रेरक प्रसंगों का उल्लेख किया, जिसमें अलीपुर जेल की घटना, जिसने महर्षि अरविन्द के जीवन को नया मोड़ दिया और वे आध्यात्मिक क्रांति के प्रणेता के रूप में उभरे।

श्रीमद भगवत गीता का गहरा प्रभाव रहा

श्वेता नागर ने कहा कि श्रीमद भगवदगीता का महर्षि अरविंद के जीवन और दर्शन पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने गीता के कर्म योग, ज्ञान योग और भक्ति योग को आत्मसात किया। साथ ही महर्षि अरविन्द के उत्तरपाड़ा में दिए गए भाषण के महत्वपूर्ण बिंदुओं की भी व्याख्या करते हुए बताया कि महर्षि अरविंद ने अपने इस भाषण में राष्ट्रधर्म, सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति और मूल्यों को स्पष्ट किया और इसे ही जीवन जीने की शैली बताया था।

ये भी रहे उपस्थित

कार्यक्रम में मध्यप्रदेश की जानी मानी साहित्यकार डॉ. शोभा जैन ने भी महर्षि अरविंद के शिक्षा दर्शन पर शोध परक विचार व्यक्त किए। अध्यक्षता हरदा के प्रभुशंकर शुक्ल ने की। इस दौरान साहित्य अकादमी म.प्र. के निदेशक डॉ. विकास दवे विशेष रूप से उपस्थित रहे।