टाटानगर के वनवासी आश्रम के घरों में घुसा बारिश का पानी, सेवा भारती ने 45 से अधिक जरूरतमंदों को रेस्क्यू कर सुरक्षित जगह पहुंचाया, भोजन की व्यवस्था भी की

शहर के टाटानगर स्थित वनवासी आश्रम के घरों में बारिश का पानी घुसने से सेवा भारती ने यहां रहने वाले 45 से अधिक बड़ों और बच्चों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। उनके रहने व भोजन की व्यवस्था भी की।

टाटानगर के वनवासी आश्रम के घरों में घुसा बारिश का पानी, सेवा भारती ने 45 से अधिक जरूरतमंदों को रेस्क्यू कर सुरक्षित जगह पहुंचाया, भोजन की व्यवस्था भी की
टाटानगर स्थित वनवासी आश्रम के घरों में भरा पानी और परेशान होते लोग।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं और जरूरमंद इंसान की सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं। सेवा भारती की ऐसी ही सेवा शनिवार रात उस वक्त देखने को मिली जब टाटानगर क्षेत्र में कुछ घरों में पानी घुस गया। स्वयं सेवकों ने सभी प्रभावितों को रेस्क्यू कर उनके रहने और भोजन की व्यवस्था की।

शुक्रवार दोपहर बाद से जिले में बारिश जारी है। शनिवार को आई भारी बारिश के कारण रात को टाटानगर स्थित वनवासी आश्रम के घरों में पानी घुस गया। इससे यहां रहने वाले जरूरतमंद लोगों की परेशानी बढ़ गई। घर में रखा सामान भीग गया। घरों में पानी घुसने से बैठने तक की जगह नहीं बची, सबसे ज्यादा परेशान छोटे-छोटे बच्चे हो रहे थे। इसकी जानकारी मिलते ही सेवा भारती की वीर सावरकर शाखा हरकत में आई वरिष्ठों को जानकारी दी।

(फोटो रात के और मोबाइल फोन के होने से इनकी गुणवत्ता ठीक नहीं है)

बुद्धेश्वर हाल में की रहने और भोजन की व्यवस्था

कुछ ही पल में सेवा भारती के जिला अध्यक्ष राकेश मोदी, अनुज छाजेड़, नितिन भलोदिया, एडवोकेट राजेश बाथम, अभिनव बरमेचा, दशरथ शर्मा, भीम सोनी, बलराम सोनी, चेतन सोनी आदि स्वयं सेवक टाटानगर पहुंच गए। उन्होंने 45 से अधिक प्रभावितों को वहां से सुरिक्षत निकाल कर बुद्धेश्वर हाल में पहुंचाया। इनमें लगभग 15 छोटे बच्चे और करीब 30 महिला-पुरुष शामिल हैं। सेवा भारती द्वारा सभी प्रभावितों के लिए भोजन और रात्रि विश्राम की व्यवस्था की गई।

हम भी तो कुछ देना सीखें

सेवा भारती के जिला अध्यक्ष राकेश मोदी ने एसीएन टाइम्स को बताया वनवासी आश्रम में जरूरतमंद बच्चे और बड़े रहते हैं। लगातार बारिश के कारण ऐसी परिस्थिति निर्मित हुई। मोदी के अनुसार सेवा भारती का मानना है कि जब देश हमें सब कुछ देता है तो हम भी तो कुछ देना सीखें।