ये कैसी अफसरशाही ? नगर निगम उपायुक्त पद से हटाने के बाद भी लेखा अधिकारी उसी हैसियत से जारी कर रहे आदेश, भाजपा पार्षद दल सचेतक ने जताया आक्रोश

नगर निगम उपायुक्त पद से हटाए गए लेखा अधिकारी विकास सोलंकी द्वारा अभी भी उपायुक्त की हैसियत से आदेश जारी करने का मामला सामने आया है। इससे पार्षदों में आक्रोश है। भाजपा पार्षद दल के सचेतक ने मामले में कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।

ये कैसी अफसरशाही ? नगर निगम उपायुक्त पद से हटाने के बाद भी लेखा अधिकारी उसी हैसियत से जारी कर रहे आदेश, भाजपा पार्षद दल सचेतक ने जताया आक्रोश
नगर निगम रतलाम।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद नगर निगम के उपायुक्त पद से हटाए गए लेखाधिकारी विकास सोलंकी की अफसरी की आदत अभी तक नहीं छूटी। सोलंकी द्वारा हाल ही में उपायुक्त की हैसियत से जारी एक आदेश फिर चर्चा में है। इसे लेकर भाजपा पार्षद दल के सचेतक ने निगम आयुक्त को पत्र लिखकर आपत्ति दर्ज कराई है।

नगर निगम में भाजपा पार्षद दल के सचेतक हितेश शर्मा ‘कॉमरेड’ ने नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखा है। इसमें बताया है कि 07 मार्च 2024 को आयोजित निगम सम्मलेन में निगम परिषद द्वारा तत्कालीन उपायुक्त विकास सोलंकी की कार्यशैली के प्रति अविश्वास प्रस्ताव निगम परिषद् द्वारा पारित किया गया था। इसके चलते सोलंकी को लेखा विभाग को छोड़कर अन्य समस्त विभागों के प्रभार से कार्य मुक्त कर दिया गया था। इसके बावजूद आयुक्त द्वारा निगम के अविश्वास प्रस्ताव को नजरअंदाज कर विकास सोलंकी को लेखा विभाग के अतिरिक्त सामाजिक सुरक्षा पेंशन विभाग / एनयुएलएम विभाग के प्रभार दिए गए हैं। ये सीधे तौर पर निगम परिषद के निर्णय की अवहेलना है।

पद के दुरुपयोग का लगाया आक्रोश

पत्र में सचेतक ने बताया कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन विभाग के कार्यालय आदेश क्रमांक /117/2/सा.सु. पेंशन शाखा / 2025 रतलाम दिनांक 23/04/2025 में लेखाधिकारी सोलंकी द्वारा उपायुक्त नगर पालिक निगम की हैसियत से हस्ताक्षर कर आदेश जारी किया गया है। यह लेखाधिकारी द्वारा अनाधिकृत रूप से उपायुक्त के पद का दुरुपयोग है। इससे स्पष्ट है कि सोलंकी के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित किए जाने को लेकर एक वर्ष से अधिक समयावधि पूर्ण होने के पश्चात भी आयुक्त एवं सोलंकी निगम द्वारा पारित निर्णय की सरेआम अवहेलना कर जनप्रतिनिधियों के निर्णयों पर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं। यह किसी भी दृष्टि में लोकतंत्र में उचित नहीं होकर अफसरशाही के हावी होने का संकेत है। यह बेहद घातक है। अतः सोलंकी द्वारा किए गए अवैधानिक कार्य के लिए सोलंकी के विरुद्ध कठोरतम अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की बात कही है। पत्र की प्रतिलिपि कलेक्टर को भी प्रेषित की गई है।

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