धर्मनिष्ठ होकर देश, धर्म और संस्कृति से जुड़े रहें, कथा का दान करने वाला सबसे बड़ा दानी- महामण्डलेश्वर स्वामी श्री चिदम्बरानंद सरस्वतीजी
रतलाम में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के 6ठे दिन महामण्डलेश्वर स्वामी श्री चिदम्बरानंद सरस्वती ने जी लोगों से धर्मनिष्ठ बनाने का आह्वान किया। सात दिवसीय कथा का विश्राम रविवार को होगा।
चेतन्य काश्यप फाउंडेशन एवं श्री हरिहर सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के छठे दिन छटा दिन भाजपा जिला प्रभारी प्रदीप पांडेय रहे मुख्य अतिथि
रविवार को होगा श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का विश्राम
एसीएन टाइम्स @ रतलाम। महामण्डलेश्वर स्वामी श्री चिदम्बरानंद सरस्वतीजी महाराज ने चेतन्य काश्यप फाउंडेशन एवं श्री हरिहर सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के छठे सत्र में उपस्थितजनों से आह्वान किया कि आप धर्मनिष्ठ और देश, धर्म और संस्कृति से जुड़कर संतों के दैविक कार्य में सहभागी बनें। कथा से पूर्व उड़ीसा में हुए ट्रेन हादसे में मृत आत्माओं की शांति के लिए स्वामीजी के सान्निध्य में दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कथा में मुख्य अतिथि भाजपा जिला प्रभारी प्रदीप पांडेय, विधायक चेतन्य काश्यप, महापौर प्रहलाद पटेल, मोहनलाल भट्ट, गोविंद काकानी, मनोहर पोरवाल, नीता काश्यप, श्रवण काश्यप आदि उपस्थित रहे। कथा का विश्राम रविवार को होगा।
शनिवार को स्वामी जी ने कथा में कंस वध एवं भगवान श्री कृष्ण-रुक्मिणी विवाह का चरित्र वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान को अभिमान पसंद नहीं है क्योंकि वह अपने भक्तों को दुखी नहीं देख सकते हैं। जहां अभिमान है, वहीं दुःख है और जहां भगवान हैं, वहीं सुख है। जो भगवान से जुड़ता है, वह सुखी है। कथाएं भगवान से जोड़ने के लिए होती हैं। हमें धर्म के प्रति निष्ठावान होना पड़ेगा। हमारी संस्कृति और पौराणिक इतिहास हमारी जड़ है। इस सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, पावन परंपरा रूपी जड़ को सींचने का सद्कार्य रतलाम में विधायक चेतन्य काश्यप कर रहे हैं। जो कथा का दान करता है, वह सबसे बड़ा दानी है।
भगवान कथाओं में जीवंत रहते हैं
स्वामीजी ने कहा कि जिस प्रकार घर में अंधेरा होता है तो मेहमान नहीं आते है, ठीक वैसे ही जिसके मन में अभिमान हो वहां भगवान नहीं आते है। कथा के माध्यम से मन के द्वार खोलें और भगवान को मन में जाने दीजिए। इससे आपका अभिमान खत्म हो जाएगा। भगवान कथाओं में जीवंत रहते हैं। आप जब इन कथाओं को सुनते तो भगवान आपके मन में प्रवेश करते हैं। यही एक माध्यम है, जिससे आप अभिमान को नहीं भगवान को महत्व दें। भगवान और संत अभिमान को दूर करने का काम करते हैं।
भगवान पर विश्वास कम मत होने देना
स्वामीजी ने कहा कि जीवन में भले ही कितने भी कष्ट, परेशानी आए, भगवान पर विश्वास कम मत होने देना। जब तक अज्ञान का आवरण आपके सामने रहेगा, तब तक भगवान के सामने होने पर भी आप उन्हे देख नहीं सकेंगे। भक्तों के अज्ञान का पर्दा भगवान स्वयं हटाते हैं। भगवान की कथाएं बांसुरी के समान होती हैं। आप दृष्टि को सकारात्मक रखिए, सफलता आपके कदम चूमेगी। राजनीति कैसी होनी चाहिए, यह कथाओं से सीखना चाहिए। सबसे पहले राष्ट्र भावना होनी चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी संस्कृत भाषा को बहुत महत्व दे रहे हैं। संसद भवन के लोकार्पण में तीन शिलालेख पट्ट लगाए गए थे, उसमें एक संस्कृत भाषा का था। वह जानते हैं कि संस्कृत मूल भाषा है। कम्प्यूटर ने भी संस्कृत को मूल भाषा के रूप में स्वीकार किया है।
माटी का ऋण चुकाने के लिए राष्ट्र को सर्वोपरि मानना जरूरी- प्रदीप पांडेय
भाजपा जिला प्रभारी प्रदीप पांडेय ने इस मौके पर कहा कि स्वामी जी राष्ट्र को सर्वोपरी मानते हुए राष्ट्र भावना जागृत करने का काम कर रहे हैं। आपकी तप और तपस्या बेकार नहीं जाएगी। सेवा, धर्म, शिक्षा, चिकित्सा, समरसता, संरक्षण देने के काम में रतलाम अग्रणी है, क्योंकि यहां के विधायक चेतन्य काश्यप हैं। देश में धर्म ध्वजा लहरा रही है, यानी देश बदल रहा है। जब संतों का आशीर्वाद होता है तो यह देश विश्व गुरु बनता है। हमें माटी का ऋण चुकाना है, तो राष्ट्र को सर्वोपरि मानना होगा।
इन संस्थाओं के प्रमुखों ने लिया महामण्डलेश्वर से आशीर्वाद
कथा के दौरान श्री आदि गौड़ ब्राह्मण समाज, श्री रविदास समाज, श्री जांगड़ा पोरवाल समाज, क्रिकेट केंद्र रतलाम, मलखंब, कबड्डी टीम, जैन सोशल यूथ, गुर्जर गौड़ महिला समिति, दर्जी समाज पुरानी पंचायत, सगर वंशीय माली समाज गढ़कैलाश, श्री गढ़कैलाश सेवा समिति, शाक्यद्वीप ब्राह्मण समाज, मेवाड़ा सेन समाज, मैजिक यूनियन, जूना गुजराती लोहार समाज, भाजपा सूरजमल जैन मंडल, श्री रघुवीर आश्रम बरबड़ रोड दर्जी समाज, एबीवीपी प्रांतीय संगठन, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, वैष्णव बैरागी समाज, मेहंदी कुई बालाजी न्यास, वाल्मिकी समाज, रतलाम रोटरी क्लब ऑफ प्लेटेनम, मुंबई हरिहर सेवा समिति व इंदौर से आए स्वामीजी के शिष्यों द्वारा उनका दर्शन-वंदन कर आशीर्वाद लिया गया।