Everything possible in Ratlam : बधाई हो, अब सरकारी मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में होगा निःशुल्क इलाज, सड़कों पर नहीं बहेगा नाली का पानी !

Everything possible in Ratlam... नीर-का-तीर में पढ़ें सरकारी अमले की कारगुजारी जिसमें अधूरे सीवरेज प्रोजेक्ट के उद्घाटन से लेकर डेंगू के सर्वे तक शामिल हैं।

Everything possible in Ratlam : बधाई हो, अब सरकारी मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में होगा निःशुल्क इलाज, सड़कों पर नहीं बहेगा नाली का पानी !

नीरज कुमार शुक्ला @ एसीएन टाइम्स

कई दिनों के बाद आज फिर सरकारी महकमों से सुखद खबरें आई हैं। इन्हें सुनने और पढ़ने के बाद दिल मदमस्त है और तन-मन झूमने को बेताब है। यकीन मानिए, आप भी सुनेंगे तो झूम उठेंगे। एक खबर जिले के स्वास्थ्य विभाग से मिली है तो दूसरी नगर सरकार से। स्वास्थ्य विभाग ने तो अनूठी पहल की है जिसके अनुसार 'अब सरकारी मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में लोगों का इलाज निःशुल्क होगा'। इसके लिए सरकारी कृपा की नहीं, सिर्फ एक अदद 'आयुष्मान कार्ड' की जरूरत होगी। अब शहर में कहीं भी सीवरेज और नाली का पानी भी सड़कों पर बहता नहीं दिखाई देगा। रविवार की तरह शहर फिर कभी 'पानी-पानी' न हो जाए, इसलिए नगर सरकार ने अधूरे सीवरेज प्रोजेक्ट का ही शुभारंभ कराने की ठान ली है। आखिर, 'रतलाम है तो मुमकिन है' (Everything possible in Ratlam)

फेंकने के मामले में ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज चौपड़ा का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया

कहते हैं- काम मत करो, लेकिन काम का जिक्र खूब करो और उस जिक्र की फिक्र उससे भी ज्यादा करो। हमारा सरकारी अमला इस मामले में कतई कम नहीं है। 'फेंकने' के मामले में तो कुछ अफसरों ने ओलंपिक में जेवलिन थ्रो स्पर्धा में गोल्ड जीतने वाले नीरज चौपड़ा के फेंकने का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग से एक खबर जारी हुई। इस खबर के साथ तीन सपोर्टिंग खबरें भी थीं जो पहली खबर में दी गई जानकारी पुख्ता करने के लिए ही जारी की गईं थी। इन खबरों का लब्बोलुआव यह है कि- आयुष्मान कार्ड बनने के बाद लोगों का जिला अस्पताल और सरकारी मेडिकल कॉलेज में निःशुल्क उपचार होने लगा है।

यह सही है कि यह कार्ड बहुत उपयोगी है। इससे आप बड़े से बड़े प्राइवेट अस्पताल में 5 लाख रुपए तक का इलाज निःशुल्क करवा सकते हैं। इस महत्वपूर्ण कार्ड का प्रचार-प्रसार हर स्तर पर हो रहा है। हम भी इसके लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं लेकिन सरकार को खुश करने के लिए बे सिर-पैर के उदाहरण गढ़ने की परंपरा समझ से परे है। खैर जाने दीजिए, 'रतलाम है तो मुमकिन है' (Everything possible in Ratlam)

सीवरेज लाइन घरों से जोड़ने के बजाय अधूरे प्रोजेक्ट का शुभारंभ है प्राथमिकता

सुना है कि, बुधवार को प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान प्रदेश भर में विभिन्न प्रोजेक्ट के साथ ही रतलाम के सीवरेज प्रोजेक्ट का शुभारंभ भी करने वाले हैं। शुभारंभ वर्चुअल होगा। यानी सीएम को सिर्फ उतना ही दिखेगा जितने आयोजन के दौरान कैमरे की जद में आएगा। प्रोजेक्ट बनने से लेकर अब तक तो इसे रतलाम विकास के इतिहास का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट कह कर प्रचारित किया जा रहा है। इससे अब तक शहरवासी जो तकलीफ झेल रहे हैं उसकी कुछ वक्त पूर्व प्रसव पीड़ा तक से की जा चुकी है।

Everything possible in Ratlam
Everything possible in Ratlam... रतलाम शहर के खेतलपुर में बनाया सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट जिसका बुधवार को सीएम वर्चुअल शुभारंभ करने वाले हैं जबकि अभी प्रोजेक्ट का काम आधा ही हुआ है।

दावा किया गया था कि जैसा सुखद अहसास प्रसव पीड़ा के बाद होता है, वैसा ही यह प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद भी होगा। भविष्य के गर्त में समाया यह सुखद अहसास तो जब होना है, हो ही जाएगा लेकिन तब तक जो पीड़ा होनी है उसे देखने और सुनने वाले कोई नहीं है। घरों से सीवरेज लाइन जोड़ने का काम आधे से ज्यादा बाकी है। इसे पूरा करने के बजाय सारी कवायद अधूरे प्रोजेक्ट का शुभारंभ पर केंद्रित है। अब यदि कौन बनेगा करोड़पति सीरियल के अगले सीजन में 15 करोड़ का यह सवाल जुड़ जाए तो कदाचित अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए कि- वह कौन सा शहर है जहां प्रि-मैच्योर डिलीवरी ज्यादा होती हैं। ऐसा हुआ तो अभी सिर्फ हम कह रहे हैं, फिर आप भी कहेंगे, कि- 'रतलाम है तो मुमकिन है' (Everything possible in Ratlam)

सड़कों के साथ ही उतर गया पानीदारों का पानी और वादों व दावों पर पानी भी फेर गया

प्रोजेक्ट लेट पर लेट होता गया लेकिन समय रहते जिम्मेदारों का जमीर नहीं जागा। पूरा कोरोना काल भी यूंही गुजर गया, तब भी कहीं कोई काम नहीं हुआ और फिर ताबड़तोड़ में सारा शहर बिना प्लानिंग के खोद दिया गया। लोगों ने परेशानी बताई तो हंसी में उड़ा दी गई। लोग फिसलते रहे, गिरते रहे और जख्मी होते रहे। सीवरे लाइन डालने के लिए खोदे गए गड्ढे अभी भी सिस्टम को ठेंगा दिखाते हुए परेशान होती जनता को मुंह चिढ़ा रहे हैं। बीच में दावा किया गया था कि 20 करोड़ रुपए में शहर की सारी सड़कें अक्टूबर में ठीक हो जाएंगी।

Everything possible in Ratlam
Everything possible in Ratlam... सीवरेज लाइन के लिए की गई खुदाई के बाद से सड़क का एक किनारा पहले ही परेशानी का सबब न रहा है, रही सही कसर रेत-गिट्टी के ऐसे ढेर लगा कर पूरी कर दी गई है जो रविवार को तेज बारिश में बह-बह कर नालियों तक पहुंची और सड़कों पर भी पसर गई।

22 सितंबर आ चुकी है और अक्टूबर आने में सिर्फ 8 दिन ही शेष हैं। जहां सड़क बनने के लिए गिट्टी और चूरी के ढेर लगाए गए थे वहां जिम्मेदारों ने दोबारा झांका तक नहीं। इसी बीच रविवार को बारिश आई और इन ढेरों को बहाते हुए सड़कों, नालियों और नालों तक ले गई। नतीजा, नालियां जाम और सीवरेज के चैंबर और गड्ढों से पटी सड़कों ने पल भर में नदी और नालों का रूप ले लिया। सड़कों पर भरा पानी उतर जरूर गया लेकिन सुख के वादों और दावों पर पानी भी फेर गया। पानी के साथ बहकर सड़कों पर पसरी रेत-गिट्टी हादसों का कारण बनने लगी है लेकिन जिम्मेदारों की प्राथमिकता इसे उठाने की नहीं है। यह सब 'रतलाम है तो मुमकिन है' (Everything possible in Ratlam)

लोगों को नहीं, यहां तो व्यवस्था और जिम्मेदारों को भी मार गया डेंगू का दंश

सीएम के निर्देशन पर प्रदेश भर में डेंगू के मरीजों का सर्वे किया जा रहा है। कोरोना की ही तरह इसका भी बुलेटिन जारी होने लगा है। इसके अनुसार अब 300 से ज्यादा लोगों को डेंगू का मच्छर दंश दे चुका है। लेबोरेटरियों में रोज लोगों के खून के सैंपलों में डेंगू होने की पुष्टि हो रही हैं। बावजूद डेंगू मरीजों के सर्वे में लगा महकमा औपचारिकाता निभाने से बाज नहीं आ रहा। पिछले दिनों दीनदयालनगर कॉलोनी में 16 सदस्यीय टीम डेंगू का सर्वे करने पहुंची थी। टीम में नगर निगम के अमले के अलावा स्वास्थ्य विभाग से आशा-उषा कार्यकर्ता भी थीं। पूरी टीम का फोकस मरीजों का पता लगाने के बजाय डेंगू के लार्वा का हवाला देकर चालान बनाने पर रहा। अधिकांश घरों को बायपास करते हुए टीम एक से दूसरे इलाके में पहुंची और आपत्ति लेने पर कुछ एक-दो लोगों को डेंगू से बचाव के संदेश वाले पर्चे थमा कर चलती बनी। इसकी जानकारी उसी समय उसी समय नगर सरकार के मुखिया को देने का प्राय भी किया गया। एक अफसर के संज्ञान में यह बात लाई भी गई लेकिन जो बाद में आई-गई कर दी गई। अब आप पूछ सकते हैं कि ऐसा क्यों? तो हम अब यही कहेंगे, कि-'रतलाम है तो मुमकिन है' (Everything possible in Ratlam)

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नीरज कुमार शुक्ला