फैसला ! युवती का अपरहरण और बलात्कार करने वाले को 10 साल का सश्रम कारावास, अर्थदंड भी किया

रतलाम के विशेष न्यायालय ने एक बलात्कारी को 10 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने आरोपी पर अर्थदंड भी किया है।

फैसला ! युवती का अपरहरण और बलात्कार करने वाले को 10 साल का सश्रम कारावास, अर्थदंड भी किया
अपहरण और बलात्कार के अभियुक्त को सजा।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत गठित न्यायालय के न्यायाधीश राकेश कुमार शर्मा ने अपहरण और बलात्कार के दोषी युवक को 10 वर्ष के सश्रम कारवास की सजा सुनाई है। अभियुक्त पर आरोप है कि उसने एक युवती बहला-फुसलाकर ले गया और उसके साथ बलात्कार किया। न्यायालय ने अलग-अलग धाराओं में 500 रुपए और 1000 रुपए का अर्थदंड भी किया है।

प्रभारी उपनिदेशक / सहायक निदेशक अभियोजन अधिकारी आशा शाक्यवार ने बताया कि दिनांक 10.06.2023 को एक पीड़िता के पिता ने बाजना थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसने पुलिस को बताया था कि दिनांक 10.06.2023 को मैं अपने खेत गया था। पत्नी व बेटी घर पर ही थीं। जब मैं खेत से लौटा तो घर में बेटी नहीं दिखी। पत्नी से पूछा तो उसने बताया कि वो अभी यहीं थी। इसके बाद मैंने व पत्नी ने बेटी की तलाश आसपास व परिवार-रिश्तेदारी में की लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि मेरी नाबालिग बेटी को कोई अज्ञात व्यक्ति बहला-फुसलाकर ले गया है। इस पर पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ अपराध क्रमांक 218/2023, धारा 363 भादंवि दर्ज कर विवेचना शुरू की।

विशेष न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया केस

पुलिस ने युवती को दस्तयाब कर धारा 164 दंप्रसं में कथन करवाए। पीड़िता के माता-पिता के कथम भी धारा 161 दंप्रसं में करवाए गए। पीड़िता का मेडिकल परीक्षण भी कराया गया। पीड़िता और साक्षियों के बयानों के आधार पर आरोपी राजू पिता वहरिंग निनामा (31) निवासी जाम्बूवानिया, थाना बाजना, जिला रतलाम (म.प्र.) के विरुद्ध धारा 366क, 376(2) (एन), भादंवि एवं धारा 5एल/6 पॉक्सो एक्ट की धाराओं में केस दर्ज किया गया। इसके आधार पर दिनांक 20.04.2024 को पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और अनुसंधान के उपरांत अभियोग-पत्र तैयार कर विशेष न्यायालय पॉक्सो एक्ट रतलाम के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

पाक्सो की श्रेणी में सिद्ध नहीं हुआ अपराध

न्यायालय द्वारा विचारण के दौरान प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर पीड़िता को 18 वर्ष से कम उम्र (बालक) की श्रेणी में नहीं होने से प्रकरण को पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत नहीं माना। हालांकि, घटना और साक्ष्य के आधार पर राजू को पीड़िता के अपहरण और बलात्कार का दोषी अवश्य माना। तथ्यों के आधार पर ही न्यायालय ने अभियुक्त राजू निनामा के विरुद्ध फैसला सुनाई। अभियुक्ति को भादंसं की धारा 366 में 03 वर्ष का सश्रम कारवास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड एंव भादंसं. की धारा 376 (2) (एन) 10 वर्ष का सश्रम कारवास एवं 1000 रुपए अर्थदण्ड से दण्डित कर जेल भेजने का आदेश दिया। शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक गौतम परमार ने की।