यहां सभी को ‘कमल’ पसंद है : रतलाम शहर, ग्रामीण, जावरा और आलोट विधानसभा में भाजपा का कमल तो सैलाना में जयस का कमल+ईश्वर (कमलेश्वर)

रतलाम से जीते सभी पांचों प्रत्याशियों का संबंध 'कमल' से। चार प्रत्याशी को भाजपा के चुनाव चिह्न कमल के फूल पर सपोर्ट मिला जबकि सैलाना में जयस के कमल+ईश्वर (कमलेश्वर) को बहुमत मिला।

यहां सभी को ‘कमल’ पसंद है : रतलाम शहर, ग्रामीण, जावरा और आलोट विधानसभा में भाजपा का कमल तो सैलाना में जयस का कमल+ईश्वर (कमलेश्वर)
रतलाम में खिला कमल।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । रतलाम जिले में 17 नवंबर को डाले गए मतों की गिनती रविवार को हुई। जिले की सभी सीटों पर मतदाताओं ने ‘कमल’ पर ही भरोसा जताया है। चार विधानसभा सीटों पर मतदाताओं ने भाजपा के ‘कमल’ निशान पर भरोसा जताया जबकि एक सीट पर जयस के ‘कमल’+ईश्वर (कमलेश्वर) को समर्थन दिया। जिन दो सीटों से कांग्रेस के कमल(नाथ) को ज्यादा उम्मीद थी, वहां के मतदाताओं ने उसे नकार ही दिया।

विधानसभा निर्वाचन 2023 में किस्मत आजमाने के लिए रतलाम जिले के 40 प्रत्याशी मैदान में थे। इनमें भाजपा और कांग्रेस के अलावा अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के अलावा निर्दलीय भी शामिल रहे। इनमें से जनता ने भाजपा के प्रत्याशियों रतलाम के चेतन्य काश्यप, जावरा के डॉ. राजेंद्र पांडेय, आलोट के चिंतामण मालवीय, रतलाम ग्रामीण से मथुरालाल डामर तथा सैलाना से जयस के नेता ने एवं भारतीय आदिवासी पार्टी के कमलेश्वर डोडियार को बहुमत दिया। डोडियार को छोड़ कर शेष चारों प्रत्याशियों ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वियों को पांच अंकों के अंतराल से पराजित किया। जिले में सबसे बड़ी जीत आलोट के डॉ. चिंतामण मालवीय की रही। रतलाम शहर विधायक चेतन्य काश्यप दूसरे पायदान पर, पूर्व विधायक व रतलाम ग्रामीण विधानसभा के प्रत्याशी मथुरालाल डामर तीसरे पायदान पर रहे। जावरा विधायक डॉ. राजेंद्र पांडेय चौथे जबकि सैलाना के कमलेश्वर डोडियार पांचवें स्थान पर रहे।

2018 में यह थी स्थिति

पिछले चुनाव में जिले की तीन सीटें भाजपा के पास थीं जबकि दो कांग्रेस के पास। भाजपा विधायकों वाली सीटें रतलाम शहर, जावरा और रतलाम ग्रामीण थी। यहां से क्रमश- चेतन्य काश्यप, डॉ. राजेंद्र पांडेय और दिलीप मकवाना काबिज थे। जनता में भरोसा खोने और विधानसभा क्षेत्र में विरोध होने से भाजपा ने रतलाम ग्रामीण विधायक मकवाना पर दोबारा दांव लगाना उचित नहीं समझा। यहां से व्यवहार से सौम्य बुजुर्ग नेता मथुरालाल डामर को मौका दिया। जबकि रतलाम शहर और जावरा से पार्टी ने अपने मौजूदा विधायकों को ही पुनः टिकट दिया। जिले की दो सीटें सैलाना और आलोट विधानसभा कांग्रेस के पास थीं। कांग्रेस ने दोनों ही सीटों से अपने मौजूदा विधायकों क्रमश: हर्षविजय गहलोत और मनोज चावला पर ही भरोसा जताया लेकिन दोनों ही क्षेत्र की जनता की भारोसे रूपी कसौटी पर खरे नहीं उतरे और इस बार चुनाव हार गए। जबकि भाजपा के दोनों ही विधायक चुनाव में अच्छे वोटों के अंतराल से विजयी रहे।

जिले में सबसे बड़ी और सबसे छोटी जीत

सबसे बड़ी जीत 223- आलोट से भाजपा के डॉ. चिंतामणि मालवीय की है। उन्हें कुल 1 लाख 06 हजार 762 मत मिले। उन्होंने कांग्रेस के बागी पूर्व विधायक प्रेमचंद गुड्डू को 68 हजार 884 मत से हराया। गुड्डू को कुल 37 हजार 878 मत मिले जबकि मौजूदा विधायक एवं कांग्रेस प्रत्याशी मनोज चावला को 33 हजार 565 मत मिले।

सबसे छोटी जीत 220-रतलाम शहर विधायक और भाजपा प्रत्याशी चेतन्य काश्यप की रही। उन्होंने 60 हजार 708 से भाजपा मत से कांग्रेस के पारस सकलेचा को हराया। काश्यप को 1 लाख 09 हजार 656 जबकि कांग्रेस प्रत्याशी सकलेचा को 48 हजार 948 मत मिले।

इनका यह क्रम रहा- 219-रतलाम ग्रामीण विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी एवं पूर्व विधायक मथुरालाल डामर ने 34 हजार 324 मत से जीत दर्ज की। उन्हें 1 लाख 02 हजार 968 मत मिले। वहीं कांग्रेस से लक्ष्मण सिंह डिंडोर को 68 हजार 644 मत प्राप्त हुए। डिंडोर जनपद सीईओ रह चुके हैं। उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर चुनाव लड़ा। इसी तरह 222-जावरा विधानसभा से विधायक डॉ. राजेंद्र पांडेय 26 हजार 21 मत से जीत हासिल की। उन पर 92 हजार 19 मतदाताओं ने भरोसा जिताया। वहीं कांग्रेस के वीरेंद्र सिंह सोलंकी कोर 65 हजार 998 एवं करणी सेना परिवार के निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़े जीवनसिंह शेरपुर को 40 हजार 766 मतदाताओं का समर्थन मिला। जिले के शेष 35 प्रत्याशी कोई उल्लेखनीय आंकड़ा हासिल नहीं कर पाए।

किस विधानसभा क्षेत्र में किसको कितने मत मिले

रतलाम ग्रामीण विधानसभा

रतलाम शहर विधानसभा

जावरा विधानसभा

सैलाना विधानसभा

आलोट विधानसभा