सारे अधिकार और कर्तव्य संविधान में हैं, न्याय व धर्म अलग नहीं हो सकते- न्यामूर्ति विजय कुमार शुक्ला

रतलाम में हुए अधिवक्ता परिषद के मालवा प्रांत के अधिवेशन में 16 जिलों के अधिवक्ताओं ने भाग लिया। इस दौरान मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला ने कहा कि न्याय और धर्म कभी अलग नहीं हो सकते।

सारे अधिकार और कर्तव्य संविधान में हैं, न्याय व धर्म अलग नहीं हो सकते- न्यामूर्ति विजय कुमार शुक्ला
अधिवक्ता परिषद के प्रांतीय अधिवेशन को संबोधित करते न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला।

अधिवक्ता परिषद के प्रांतीय अधिवेशन में 16 जिलों के अधिवक्ताओं ने भाग लिया

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । प्राचीन काल की न्याय व्यवस्था धर्म के आधार पर चलती थी। राजा धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करके न्याय करता था। वर्तमान परिदृश्य में सारी शक्तियां राज्य में समाहित हैं। इसलिए सारे अधिकार और कर्तव्य संविधान में हैं। न्याय व धर्म अलग नहीं हो सकते ।

यह विचार उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला ने व्यक्त किए। न्यायमूर्ति शुक्ला अधिवक्ता परिषद मालवा प्रांत के प्रथम प्रांतीय अधिवेशन में शनिवार को जोधा बाग में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। अधिवेशन में भारतीय न्याय शास्त्र राष्ट्र की आवश्यकता विषय पर मुख्य वक्ता न्यायमूर्ति वी. डी. ज्ञानी ने कहा कि धर्म केवल धारण करने की वस्तु नहीं है। महाभारत में दुर्योधन प्रतिदिन माता गांधारी से विजय होने का आशीर्वाद लेने जाता था लेकिन गांधारी हमेशा कहती थीं कि जो धर्म के साथ रहेगा वही विजय होगा।

विशिष्ट अतिथि मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष मनोहर ममतानी ने कहा कि विधि का शासन स्थापित होना चाहिए। अधिवक्ता को अपने कर्तव्य का  सजगता से पालन करते हुए न्याय प्रक्रिया में बाधा नहीं बनते हुए सहयोग करना चाहिए। अधिवेशन को परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री डी. भरत कुमार, मंत्री दीपेंद्र सिंह कुशवाह एवं क्षेत्रीय मंत्री विक्रम दुबे, जिला अध्यक्ष सतीश त्रिपाठी ने भी संबोधित किया। अतिरिक्त महाधिवक्ता उमेश गजांकुश विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। प्रारंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर अधिवेशन की शुरुआत की। स्वागत भाषण प्रांत अध्यक्ष उमेश यादव ने दिया।

वरिष्ठ अधिवक्ताओं और कर्मचारियों का किया सम्मान

अधिवेशन के प्रारंभ सत्र में न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला ने रतलाम के वरिष्ठ अधिवक्ताओं का शॉल व श्रीफल से अभिनंदन किया। वरिष्ठ अधिवक्ता लालचंद ऊबी, चंद्रसिंह पंवार, बी. एल. त्रिपाठी, बी. एल. भरावा, शिवराम पाटिल का सम्मान किया गया। मरणोपरांत भी वरिष्ठ अभिभाषक स्व. सुरेशचंद्र अग्रवाल, मधुकांत पुरोहित, एच. के. कटारिया, सुभाषचंद्र भट्ट, मंजुला शुक्ला, के. पी. सक्सेना का सम्मान किया गया। उनकी ओर से परिजनों ने अभिनंदन-पत्र प्राप्त किया। परिषद ने जिला न्यायालय में कार्यरत लिपिक आशा राजपुरोहित व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कैलाशचंद्र भाटी का भी सम्मान किया।

16 जिलों के अधिवक्ता हुए शामिल

मालवा प्रांत के प्रथम अधिवेशन में प्रांत के 16 जिलों के अधिवक्ताओं ने भाग लिया। अधिवेशन तीन सत्रों में संपन्न हुआ। लॉ कॉलेज के विद्यार्थियों एवं अधिवक्ताओं ने अपने विचार रखे।