कोटा रेल मंडल का अमला बेलगाम : रतलाम मंडल के रनिंग स्टाफ को इंदौर-नई दिल्ली ट्रेन में वर्किंग से रोका, आरपीएफ बना मूकदर्शक, वीडियो वायरल

कोटा रेल मंडल के कर्मचारियों ने रतलाम मंडल के कर्मचारियों को इंदौर-नई दिल्ली सुपरफास्ट ट्रेन में वर्किंग करने से रोका। कोटा स्टेशन पर जबरन ट्रेन से उतारने का प्रयास कर झूमाझटकी भी की।

कोटा रेल मंडल का अमला बेलगाम : रतलाम मंडल के रनिंग स्टाफ को इंदौर-नई दिल्ली ट्रेन में वर्किंग से रोका, आरपीएफ बना मूकदर्शक, वीडियो वायरल
कोटा रेलव स्टेशन पर इंदौर-नई दिल्ली सुपफास्ट ट्रेन से रतलाम के रेलकर्मियों को जबरन उतारने का प्रयास करते कोटा के कर्मचारी एवं स्वयं-भू वर्किंग लेकर खुशी जाहिर करते कर्मचारी।

इंदौर-नई दिल्ली ट्रेन की वर्किंग को लेकर कोटा रेलवे स्टेशन पर रतलाम मंडल के स्टाफ को जबरन ट्रेन से उतारने का किया प्रयास 

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । ट्रेनों में वर्किंग को लेकर होने वाले विवादों का पटाक्षेप डेढ़ दशक में भी नहीं हो सका है। खासकर बेलगाम कोटा मंडल के अमले के आगे रेलवे का पूरा सिस्टम बौना साबित हो रहा है। हमेशा की तरह कोटा मंडल के रेलकर्मियों ने एक बार फिर रतलाम रेल मंडल के रनिंग स्टाफ को नई ट्रेन में वर्किंग से न सिर्फ रोक दिया बल्कि उनके साथ हाथापाई तक की। इस दौरान आरपीएफ मूकदर्शक बना रहा। मामले में वेस्टर्न रेलवे एम्प्लाइज यूनियन ने रतलाम डीआरएम से बातकर इस मामले के स्थाई समाधान की गुहार लगाई है।

इंदौर-नई दिल्ली के मध्य नई सुपरफास्ट ट्रेन शुरू की गई है। पश्चिम रेलवे द्वारा इस ट्रेन की इंदौर से दिल्ली और दिल्ली से इंदौर तक की वर्किंग रतलाम रेल मंडल के रनिंग स्टाफ को अलॉट की गई है। इसके लिए बकायदा संबंधित सभी मंडलों के जिम्मेदारों को पत्र भी जारी किया गया है। ट्रेन की वर्किंग को लेकर पहले ही दिन विवाद हो गया।

विवादों के आदी कोटा रेल मंडल के अमले ने ही इस बार भी विवाद किया। इंदौर से चलकर नई दिल्ली जाने वाली ट्रेन जैसे ही कोटा पहुंची, वहां के रेलकर्मियों ने रतलाम मंडल के स्टाफ (टिकट चैकिंग स्टाफ, लोको व सहायक लोको पायलट तथा गार्ड) को जबरदस्ती ट्रेन से उतारने का प्रयास किया। इस दौरान कोटा के स्टाफ ने रतलाम के कर्मचारियों के साथ जमकर अभद्रता की और झूमाझटकी तक की। कोटा के कर्मचारी अपने साथ आरपीएफ को भी लाए थे जो विवाद के दौरान पूरे समय मूकदर्शक बनी सस्थानीय कर्मचारियों का ही पक्ष लेती नजर आया।

बाहरी तत्वों ने भी की अभद्रता, यात्री होते रहे परेशान

रतलाम रेल मंडल के टिकट चैकिंग स्टाफ के साथ दुर्व्यवहार करते लोग।

अधिकारिक रूप से वर्किंग मिलने के बाद भी कोटा स्टाफ ने रतलाम रेल मंडल के कर्मचारियों को ट्रेन में ड्यूटी नहीं करने दी। पूरा घटनाक्रम ट्रेन में ही सवार किसी व्यक्ति ने अपने मोबाइल फोन में शूट किया जो अब वायरल हो रहा है। वीडियों में रतलाम मंडल के कर्मचारियों के साथ वहां के अमले के अलावा बाहरी तत्व भी विवाद करते नजर आ रहे हैं। इस दौरान ट्रेन में सवार यात्री परेशान होते रहे।

रतलाम मंडल के कर्मचारी घटना की जानकारी अपने वरिष्ठों को देते हुए।

रतलाम डीआरएम ने कोटा डीआरएम से की बात

बताया जा रहा है कि मामला संज्ञान में आने के बाद रतलाम डीआरएम विनीत कुमार ने कोटा डीआरएम पंकज शर्मा से बात कर आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने मामले में विवाद करने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई करने की भी कही। बताया जा रहा है रतलाम मंडल प्रशासन द्वारा पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक आलोक कंसल से भी बात की गई। इसके बाद रतलाम का स्टाफ दिल्ली तक ट्रेन लेकर गया लेकिन गुरुवार को नई दिल्ली से इंदौर के लिए वापस रवाना हुई ट्रेन में रतलाम टिकट चैकिंग स्टाफ को वर्किंग नहीं कर दी गई।

वेरेएयू ने की कार्रवाई की मांग

वेस्टर्न रेलवे एम्प्लाइज यूनियन के मंडल मंत्री मनोहर बारोठ ने एसीएन टाइम्स को बताया कि घटना की जानकारी मिलने पर उनके वे और अन्य पदाधिकारी डीआरएम से मिले थे। इस दौरान उन्होंने डीआरएम से दोषी कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई करवाने की मांग की थी। बारोठ ने बताया कि यूनियन के महामंत्री जे. आर. भोसले द्वारा इस बारे में परे जीएम से भी बात की गई है और स्थायी समाधान करने गुहार लगाई। मंडल मंत्री बारोठ का कहना है कि कोटा मंडल के कर्मचारी हमेशा विवाद करते हैं। जब अधिकारिक रूप से वर्किंग जारी की गई है तो फिर विवाद करना अनुचित है। 

अब तक नहीं हुई कोई ठोस कार्रवाई

घटना को लेकर रतलाम रेल मंडल के कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कोटा रेलवे स्टेशन पर विवाद करने वाले रेलकर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की। हालांकि मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। यह पहला मौका नहीं, इससे पहले भी कोटा मंडल के कर्मचारी रतलाम मंडल के कर्मचारियों से ट्रेन में वर्किंग को लेकर विवाद करते आए हैं। हर बार रतलाम मंडल के कर्मचारी सिर्फ कार्रवाई की मांग कर के ही रह गए लेकिन कोटा के कर्मचारियों के आगे मुंबई से लेकर दिल्ली तक तक का रेलवे का सिस्टम बौना ही साबित हुआ।

कर्मचारी संगठनों की रुचि चंदे और पदाधिकारियों की तबादलों में !

रेलकर्मियों की मानें तो मामले का स्थायी समाधान निकल सकता है लेकिन पश्चिम रेलवे के लगभग सभी कर्मचारी संगठनों में आपसी फूट और मतभेद होने से वे कार्रवाई के लिए जिम्मेदारों पर दबाव नहीं बना पा रहे हैं। बताया जा रहा है कि कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी अपने पद की आड़ में अपने ट्रांसफर टालने की कवायद में जुटे रहते हैं। उनकी रुचि दूसरे कर्मचारियों के तबादले करवाने और रुकवाने में भी ज्यादा देखी गई है। ऐसे में कर्मचारी संगठन रेलकर्मियों से सिर्फ चंदा वसूलने वाली एजेंसियां भर साबित हो रहे हैं। रतलाम मंडल से लेकर परे मुख्यालय तक जितने भी मंडल हैं वहां के कर्मचारी संगठनों के अपने-अपने हित निहित हैं जिससे वे वर्किंग के मामले में रतलाम के कर्मचारी अलग-थलग ही पड़ जाते हैं।