पते की बात : पत्रकारों तथा पत्रकार संगठनों के सदस्यों का पुलिस वेरीफिकेशन अनिवार्य हो, वरिष्ठ पत्रकार शरद जोशी ने PM व CM सहित प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को लिखा पत्र
रतलाम प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष शरद जोशी ने प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यंत्री एवं प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को पत्र लिख कर पत्रकारों व पत्रकार संगठनों के सदस्यों के लिए पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य करने का सुझाव दिया है।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । रतलाम प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार शरद जोशी ने पत्रकारों और पत्रकार संगठनों के सदस्यों का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य किए जाने की आवश्यकता जताई। जोशी ने इसके लिए इस बारे में प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री तथा प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को पत्र भी लिखा है।
पत्रकार जोशी ने बताया कि आज के दौर में राजनीति के साथ ही पत्रकारिता के क्षेत्र में आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की घुसपैठ समाज के लिए नासूर और घातक बनती जा रही है। लोग अपनी आदतों और कारनामों को छिपाने, दबाने के लिए पत्रकार और राजनीतिक कार्यकर्ता व नेता बन जाते हैं। ऐसे लोग किसी पत्रकार संगठन अथवा राजनैतिक दल से जुड़ जाते हैं ताकि वे समाज, नेता और अधिकारियों, कर्मचारियों पर रौब गालिब कर सकें। उनसे वे सब काम करा सकें जो नियमानुसार नहीं हो पाते।
अधिमान्यता की ही तरह अनिवार्य हो पत्रकारों का पुलिस वेरिफिकेशन
पत्रकार शरद जोशी ने पत्र में अवगत कराया है कि कतिपय नेता, पत्रकार और उनके संगठन दबाव पूर्वक ऐसे कार्य करते हैं जिसकी जानकारी उनके ही साथी कानाफूसी करके जनता-जनार्दन तक पंहुचाते हैं। जिस प्रकार जनसंपर्क विभाग अधिमान्यता के लिए पत्रकारों से पुलिस वेरिफिकेशन करवाती है उसी प्रकार सरकार पत्रकार संगठनों के लिए भी यह अनिवार्य करे। संगठन उन्हीं पत्रकारों को सदस्य बनाए जो पत्रकार सदस्यता के आवेदन फॉर्म के साथ पुलिस वेरिफिकेशन भी दे। वह स्वयं भी यह प्रमाणित कर सकता है कि उसके विरुद्ध कोई आपराधिक प्रकरण नहीं है और न ही कभी ऐसा आपराधिक मामला रहा है जिसमें उसे कोई सजा हुई है।
धनबल व बाहुबल पर बने पत्रकार और संगठन गैरकानूनी घोषित हों
जोशी के मुताबिक धनबल, बाहुबल पर पत्रकार बनना, पत्रकार बनाना एवं पत्रकार संगठन बनाना गैरकानूनी होना चाहिए। इसकी छानबीन कर व व्यापक जांच के बाद ही पत्रकारों के नाम से कोई संगठन पंजीकृत होना चाहिए। जनसंपर्क कार्यालयों में सूची अपडेट की जानी चाहिए ताकि असली कलमकारों के साथ न्याय हो और समाज भी भयमुक्त हो। इसके साथ ही जिला स्तर भी प्रशासन ऐसा प्रेस प्रकोष्ठ बनाए जो ऐसी शिकायतों की निष्पक्ष जांच करे जो खबर छापने के नाम पर लोगों को ब्लैकमेल अथवा भयादोहन करते हैं। पत्रकार संगठन चाहें तो स्वयं आचार संहिता बनाकर एक आदर्श प्रस्तुत कर सेवा के इस कार्य में अपना योगदान देकर पथप्रदर्शक बन सकते हैं।