साहित्यकार प्रो. अज़हर हाशमी का लिखा गीत मध्यप्रदेश के इस सरकारी महाविद्यालय का बन गया गान
मप्र की राजधानी भोपाल के शासकीय महाविद्यालय ने रतलाम के प्रो. अज़हर हाशमी द्वारा लिखित गीत को महाविद्यालय गान बनाया है। हाशमी के विद्यार्थियों और चाहने वालों ने हर्ष जताया है।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम /भोपाल। प्रख्यात साहित्यकार व चिंतक प्रो. अजहर हाशमी द्वारा लिखा गीत मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के शासकीय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विज्ञान एवं वाणिज्य महाविद्यालय में रोज गूंज रहा है। यह महाविद्यालय गान के रूप में राष्ट्रगान और मध्यप्रदेश गान के बाद रोज विद्यार्थियों द्वारा गाया जाता है। महाविद्यालय ने इसे अपनी साहित्यिक पत्रिका ‘अनुपम’ में भी स्थान दिया है।
महाविद्यालय परिवार की ओर से प्रो. हाशमी से ‘महाविद्यालय गान’ लिखने के लिए अनुरोध किया गया था। उन्होंने 20 पंक्तियों में महाविद्यालय की विशेषताओं को ऐसे गूंथा कि प्रबंधन ने उसे ज्यों का त्यों महाविद्यालय गान के रूप में स्वीकार कर लिया। साहित्यिक पत्रिका ‘अनुपम’ की संपादक एवं महाविद्यालय के गृहविज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ. मीनाक्षी सक्सेना बताती हैं कि प्रो. हाशमी द्वारा लिखित उक्त गान को महाविद्यालय प्रशासन व विद्यार्थियों द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है। महाविद्यालय में में राष्ट्रगान और मध्यप्रदेश गान के बाद यही गाया जाता है। जिस समय अनुपम पत्रिका का संपादन किया जा रहा था तब संस्था की प्राचार्य डॉ. सुधा बैसा थीं जो अब सेवानिवृत्त हो चुकी हैं।
थोड़ी सी बात प्रो. हाशमी के बारे में
प्रो. अज़हर हाशमी देश-विदेश में कवि, साहित्यकार, समालोचक, विचारक और मार्गदर्शक के रूप में जाने जाते हैं। मूलतः राजस्थान की पृष्ठभूमि से आने वाले प्रो. हाशमी ने मध्यप्रदेश को अपनी कर्मभूमि और तपभूमि बनाया और मां सरस्वती की आराधना कर रहे हैं। रतलाम के कला एवं महाविद्यालय से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त प्रो. हाशमी अपने अब तक के जीवनकाल में ‘बेटियां पावन दुआएं हैं...’ और ‘राम वाला प्यारा हिंदुस्तान चाहिए...’ सहित सैकड़ों प्रसिद्ध कविताएं लिख चुके हैं। उनकी ‘बेटियां पावन दुआएं हैं...’ से मध्यप्रदेश शासन ने बेटी बचाओ अभियान की 5 अक्टूबर 2011 को शुरुआत ही की थी। यह कविता मध्यप्रदेश शिक्षा बोर्ड की कक्षा दसवीं की हिंदी पाठ्य पुस्तक (नवनीत) में भी शामिल है। इतना ही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के भारत दौरे के दौरान उनकी बेटी चेल्सी क्लिंटन के सम्मान में विश्व के करीब सवा सौ देशों में दूरदर्शन के माध्यम से यह कविता प्रसारित हुई थी।
बता दें कि, उन्हें हाल ही में उनकी पुस्तक ‘संस्मरण का संदूक समीक्षा के सिक्के’ के लिए मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा अखिल भारतीय निर्मल वर्मा पुरस्कार के भी चुना गया है। रतलाम के साहित्यकार प्रो. हाशमी द्वारा लिखित महाविद्यावलय गान अन्य स्थान के महाविद्यालय में शामिल करना रतलाम के लिए गौरव की बात है। अपने कर्म और तप की बदौलत हासिल करने वाली किसी भी उपलब्धि का श्रेय प्रो. हाशमी अपने विद्यार्थियों और चाहने वालों को देते हैं।