जिस तरह डॉ. खुशबू जांगलवा ने अपनी पुस्तक में महायोगी श्री अरविंद के बारे में बताया उसी प्रकार अन्य रचनाकार देश की विभूतियों के बारे में बच्चों को बताएं- डॉ. विकास दवे

मप्र साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे ने डॉ. खुशबू जांगलवा द्वारा महायोगी श्री अरविंद पर लीखी पुस्तक का विमोचन किया।

जिस तरह डॉ. खुशबू जांगलवा ने अपनी पुस्तक में महायोगी श्री अरविंद के बारे में बताया उसी प्रकार अन्य रचनाकार देश की विभूतियों के बारे में बच्चों को बताएं- डॉ. विकास दवे
डॉ. खुशबू जांगलवा की महायोगी श्री अरविंद पर लिखी पुस्तक के विमोचन के बारे में संबोधित करते मप्र साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे।

महायोगी श्री अरविंद पर केन्द्रित पुस्तक के विमोचन के दौरान मप्र साहित्य अकादमी के निदेशक ने कहा

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । आज का समय हमारी संतति को यह बताना आवश्यक है कि हमारे महापुरुष का जीवन कितना उत्कृष्ट एवं कितना संयमित था। जिस प्रकार डॉ. खुशबू जांगलवा ने महायोगी श्री अरविंद के जीवनवृत को लिखने का प्रयत्न किया है, उसी प्रकार अन्य रचनाकारों को भी देश की महान विभूतियों को हमारे बच्चों के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए। इससे न केवल हम अपने देश के महापुरुषों को महिमा मंडित कर सकेंगे अपितु बच्चों को यह समझने का अवसर भी प्राप्त होगा कि विदेश में शिक्षा प्राप्त करने वाले भी भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के जीवन पर्यंत ऋणी रहे। आज हमारे जो बच्चे विदेश में रहकर अन्यत्र स्थान का महिमा मंडल करते हैं। जब वह अपनी संस्कृति से परिचित होते हैं तो अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते हैं।

यह बात मप्र साहित्य अकादमी भोपाल के निदेशक डॉ. विकास दवे ने कही। वे डॉ. खुशबू जांगलवा की पुस्तक ‘क्रांति और आध्यत्मिक क्रांति के प्रणेता महायोगी श्री अरविंद’ के विमोचन के अवसर पर पुस्तक की विषय वस्तु पर प्रकाश डाल रहे थे। डॉ. जांगलवा की पुष्टक प्रथम कृति अनुदान के रूप में चयनित की गई है। इस मौके पर डॉ. दवे ने मालवी भाषा के उपयोग पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि हम अपनी क्षेत्रीय बोलियों से अपने विकास के नाम पर दूर होते जा रहे हैं। आवश्यकता है कि हम अपनी धरोहर को संजोकर रखें। जिस प्रकार महापुरुष हमारी धरोहर हैं उसी प्रकार हमारी क्षेत्रीय बोली व संस्कृति हमारी धरोहर है।

मालवी में वैज्ञानिक शब्दों की भरमार- डॉ. कुलथिया

विशिष्ट अतिथि डॉ. लीना कुलथिया ने महायोगी अरविंद के प्रारंभिक जीवनवृत पर प्रकाश डाला। उन्होंने मालवा के महाकवि कालिदास के जीवन दर्शन को प्रस्तुत किया। कलाविद् डॉ. ऋतम उपाध्याय ने महायोगी श्री अरविंद के जीवन योग एवं श्री मां की संस्कृति को देन पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मालवी संस्कृत भाषा के अत्यधिक निकट है। मालवी में वैज्ञानिक शब्दों की भी भरमार दिखाई पड़ती है।

श्री अरविंद पर प्रकाशित पुस्तक श्रेष्ठ रचना- डॉ. चांदनीवाला

अध्यक्षता कर रहे डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला ने कहा कि मालवी शब्दों का उद्बोधन अपने आप में अद्भुत मिठास से भरा हुआ है। उन्होंने विमोचित पुस्तक के महत्व को प्रतिपादित किया, उसे एक श्रेष्ठ रचना की उपमा भी प्रदान की। कार्यक्रम महाराजा भोज कल्याण समिति के तत्वावधान में आयोजित किया गया। आयोजक संस्था प्रमुख नरेंद्र सिंह पंवार थे। आभार प्रदर्शन सतीश नगरा ने किया। पुस्तक विमोचन के पश्चात डॉ. खुशबू जांगलवा ने सभी आगंतुक एवं संस्था के प्रति आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर सभी ने डॉ. खुशबू जांगलवा को उनके इस लेखन कार्य के लिए हृदय से बधाइयां दी। 

ये रहे उपस्थित

कार्यक्रम में मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के वरिष्ठ शरद जोशी, उमा तंवर, डॉ. शोभना तिवारी, रश्मि पंडित, वैदेही कोठारी, प्रकाश हेमावत, हरिशंकर भटनागर, डॉ. मोहन परमार, आशीष दशोत्तर, देवेंद्र वाघेला, प्रतिभा चांदनीवाला, डॉ. अभय पाठक, डॉ. स्वाति पाठक, फिल्मी गीतकार यशपाल तंवर, संजय ओझा, विनीता ओझा, राघवेद्र तंवर, सुभाषचंद्र जांगलवा, वरिष्ठ प्रबंधक एवं आध्यात्मिक चिंतक आनंद जांगलवा आदि प्रबुद्धजन मौजूद रहे।