खाकी पर ये कैसा दाग ? बालक का यौन शोषण करने वाली महिला पर पुलिस हुई मेहरबान, बालक के विरुद्ध दर्ज किया रेप का केस ! पीड़ित की मां के आवेदन पर किशोर न्याय बोर्ड ने पुलिस और अभियोजन से मांगा जवाब
यौन उत्पीड़न का शिकार बालक पर ही ज्यादती का केस दर्ज करने के मामले में किशोर न्याय बोर्ड के प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट संबंधित थानों और अभियोजन से 20 जून तक प्रतिवेदन तलब किया है।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । यौन शोषण का शिकार होने वाले बच्चे को ही आरोपी बनाकर रतलाम की पुलिस ने अपनी फजीहत करवा ली है। यौन शोषण करने वाली महिला पर पुलिस ऐसी मेहरबान हुई कि पीड़ित के विरुद्ध ही केस दर्ज कर लिए। एक मामले में तो पीड़ित बालक की मां ने एसपी, बाल कल्याण समिति (CWC) और विशेष किशोर पुलिस यूनिट को पत्र लिखा लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे उन्होंने अधिवक्ता के माध्यम से किशोर न्याय बोर्ड के प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर संबंधित महिला के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की गुहार लगाई है। प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट ने मामले में महिला थाना, औद्योगिक क्षेत्र थाना व अभियोजन को उक्त आवेदन पर अपना प्रतिवेदन देने के निर्देश दिए हैं।
जानकारी के अनुसार गत 17 अप्रैल 2025 को महिला पुलिस थाने पर विरियाखेड़ी इलाके में रहने वाली दो बच्चों की मां की ओर से एक शिकायत की गई थी। इसमें बताया गया था कि 15 मार्च 2025 से 16 अप्रैल 2025 तक 15 वर्षीय किशोर द्वारा उसके साथ ज्यादती की गई। पुलिस ने इसके आधार पर न सिर्फ किशोर के विरुद्ध केस दर्ज कर लिया वरन उसे बाल संप्रेक्षण गृह भी भेज दिया था जहां वह 12 दिन तक रहा। इसे लेकर पीड़ित बालक की मां ने पुलिस अधीक्षक, विशेष किशोर पुलिस यूनिट व बाल कल्याण समिति को शिकायत कर महिला के विरुद्ध बालक का यौन शोषण किए जाने का केस दर्ज करने की गुहार लगाई थी परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे पीड़ित की मां की ओर से अधिवक्ता अमित कुमार पांचाल ने किशोर न्याय अधिनियम के तहत प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट, किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष आवेदन किया।
आवेदन में यह किया गया है अनुरोध
अधिवक्ता के माध्यम से प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट को बताया गया कि पीड़ित बालक व उसकी मां व्दारा महिला थाना प्रभारी को पूरा घटनाक्रम बताए जाने के बाद भी पुत्र के साथ हुई घटना को लेकर आरोपी महिला के विरुद्ध एफआईआर दर्ज नहीं की गई। उल्टे उक्त महिला, उसके पति और ससुर व अन्य को बचाने के लिए पीड़ित बालक के खिलाफ ही झूठी एफआईआर दर्ज कर दी। अभिरक्षा में लेकर किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करने पर भी पीड़ित बालक ने पूरा घटनाक्रम बताया लेकिन उसे भी गंभीरता से नहीं लिया गया। बाद में बालक की मां ने बाल कल्याण समिति, विशेष किशोर पुलिस यूनिट, पुलिस अधीक्षक को भी शिकायत दी लेकिन उस पर भी कार्रवाई नहीं करते हुए सिर्फ कागजी खानापूर्ति ही की गई।
एफआईआर दर्ज नहीं करने वालों पर भी दर्ज हो केस
अधिवक्ता के माध्यम से दिए आवेदन में आरोपी महिला के विरुद्ध बालक के यौन शोषण का मामला दर्ज करने का अनुरोध किया गया है। साथ ही यह भी अनुरोध किया गया है कि बालक के साथ हुए घटनाक्रम के बारे में बताने पर भी महिला के विरुद्ध केस दर्ज नहीं करने वाले पुलिस अधिकारियों पर भी पृथक से एफआईआर दर्ज की जाए। अधिवक्ता पांचाल ने एसीएन टाइम्स को बताया कि उक्त आवेदन पत्र पर किशोर न्याय बोर्ड के प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट ने महिला थाना, औद्योगिक क्षेत्र थाना व अभियोजन को अपना प्रतिवेदन देने का निर्देश दिया है। इसके लिए 20 जून तक का समय दिया गया है।
इस मामले में भी पुलिस की भूमिका संदिग्ध
गत 10 जून को रतलाम शहर के हाट की चौकी क्षेत्र में 35 वर्षीय एक महिला ने 17 वर्षीय किशोर के घर पंहुच हंगामा किया था। वह किशोर से निकाह करने पर अड़ी थी। इसके चलते किशोर के पिता ने पुलिस से शिकायत की थी। तबा पुलिस ने काफी मशक्कत कर महिला को समझा-बुझा कर रवाना किया था। हालांकि बाद में औद्योगिक क्षेत्र थाने पर उक्त महिला के विरुद्ध लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 (पाक्सो एक्ट) के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था। मामले में महिला को जेल भेज दिया गया था। बता दें कि, आरोपी महिला पूर्व से दो बार शादी कर चुकी है और उसके दो बच्चे भी हैं। महिला किशोर को जान से मारने की धमकी देकर यौन शोषण करती थी। विधि के जानकारों के अनुसार इस मामले में भी पुलिस को आरोपी महिला के विरुद्ध लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 12 लगाई जाना चाहिए।