CM के आदेश का असर... रतलाम जिले में अब तक 139 धार्मिक स्थलों से हटे लाउडस्पीकर, इस सुझाव पर भी हो जाए अमल बन जाए बात

धार्मिक स्थलों से अनावश्यक ध्वनि विस्तारक यंत्र हटाने का काम जारी है। सबसे ज्यादा लाउड स्पीकर रतलाम ग्रामीण राजस्व अनुभाग में हटाए गए हैं।

CM के आदेश का असर... रतलाम जिले में अब तक 139 धार्मिक स्थलों से हटे लाउडस्पीकर, इस सुझाव पर भी हो जाए अमल बन जाए बात
रतलाम में धार्मिक स्थलों से लाउड स्पीकर हटाने का कार्य जारी है।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आदेश का असर रतलाम जिले में भी हुआ है। यहां अब तक 139 धार्मिक स्थलों से ध्वनि विस्तारक यंत्रों को हटाया जा चुका है। कार्रवाई लगातार जारी है। ध्वनि प्रदूषण रोकने की दिशा में रतलाम के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने भी महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। जिला और नगरीय प्रशासन से इस पर अमल की दरकार है।

मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों के पालन में रतलाम जिले में धार्मिक और सार्वजनिक स्थलों से ध्वनि विस्तारक यंत्रों को हटाने का कार्य जारी है। कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार के निर्देश पर सभी एसडीएम द्वारा अपने-अपने क्षेत्र में शांति समितियों, धर्म गुरुओं के साथ राजस्व तथा पुलिस अधिकारियों की संयुक्त बैठक लेकर शासन के निर्देशों की जानकारी दी गई। इसी प्रकार जिले में शादियों, धार्मिक समारोह आयोजन में डीजे संचालकों, मैरिज गार्डन मालिकों को भी शासन के निर्देशों से अवगत कराया, उनसे शासन के निर्देशों का पालन करने की अपील भी की गई।

इसके साथ ही ध्वनि विस्तारकों को हटाने का काम भी जारी है। अब तक जिले में 139 धार्मिक स्थलों से अनावश्यक और अनियंत्रित लाउड स्पीकर हटाए जा चुके हैं। सबसे ज्यादा 34 लाउड स्पीकर रतलाम ग्रामीण राजस्व अनुभाग में हटा गए हैं। इसके अलावा रतलाम शहर में 12, सैलाना में 28, शिवगढ़ में 3, सैलाना में 5, सरवन में 7, जावरा शहर में 7, औद्योगिक क्षेत्र जावरा में 9, कालूखेड़ा में 23, रिंगनोद में 1, बड़ावदा में 17, ताल में 20, आलोट में 4 तथा बरखेड़ाकला में 7 धार्मिक जगह से लाउड स्पीकर हटाने की कार्रवाई की गई है।

कलेक्टर को ई-मेल के माध्यम से दिया सुझाव 

ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम की दिशा में हो रहे प्रयासों के चलते सामाजिक कार्यकर्ता अनिल पेंडसे ने कलेक्टर को एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। उन्होंने "कचरा संग्रहण वाहन पर बजने वाले गाने" को बदलने की आवश्यकता जताई है। उनका तर्क है कि एक ही प्रकार के गाने से अब नागरिकों को उकताहट सी होने लगी है, विशेष करके कैलाश खेर वाली "बुलंद आवाज वाला गाना"। उन्होंने इसके स्थान पर कोई शांत संगीत के उपयोग की सलाह दी। इसके लिए उन्होंने "आकाशवाणी पर सुबह बजने वाली राग शिवरंजनी पर आधारित धुन का उदाहरण दिया है। यह धुन विगत आठ दशक से ज़्यादा समय से उपयोग हो रही है।

पेंडसे के अनुसार एक तरफ मध्य प्रदेश की नई सरकार शोरगुल से बचने के लिए नियम का सख्ती से पालन करवा रही है वहीं पर निगम के कचरा संग्रहण वाहन जरूरत से ज्यादा शोर करते हैं। अगर किसी लाइन के पिछले घर वाले कचरा लाने में ज्यादा समय लगाते हैं तो अगले घर वालों को गाना ज्यादा देर तक सुनना / झेलना पड़ता है। स्पीकर की दिशा भी उस घर की तरफ होनी चाहिए जहां संग्रहण वाहन खड़ा है। इससे दूसरे घर वालों को राहत मिलेगी। पेंडसे ने कहा है कि कचरा संग्रहण के वाहन के गाने के साथ ही DJ / बैंड / ढोल  और हॉकर द्वारा उपयोग किए जाने वाले वाले छोटे स्पीकर जैसे मुद्दों पर भी उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।