पुस्तक विमोचन : आशीष दशोत्तर की पुस्तक 'घर के जोगी' रतलाम का साहित्य संदर्भ कोश साबित होगी, यह श्रमसाध्य और समयसाध्य है
युवा साहित्यकार आशीष दशोत्तर की पुस्तक ‘घर के जोगी’ का विमोचन पद्मश्री डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी की उपस्थिति में हुआ। समीक्षकों ने इस पुस्तक को रतलाम के साहित्य संदर्भ कोश में शामिल होने वाला बताया।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । साहित्य, संस्कृति और सद्भाव के लिए पहचाने जाने वाले शहर रतलाम के साहित्य जगत को एकत्र कर आलोचकीय दृष्टि से प्रस्तुत करती पुस्तक 'घर के जोगी' का विमोचन पद्मश्री डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी, कैलाश मंडलेकर, डॉ. जवाहर कर्नावट के हाथों हुआ। पुस्तक विमोचन करते हुए अतिथियों ने कहा कि आशीष दशोत्तर की यह पुस्तक रतलाम का साहित्य संदर्भ कोश साबित होगी।
पुस्तक पर विचार व्यक्त करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. अज़हर हाशमी का कहना है कि यह श्रमसाध्य और समयसाध्य कार्य है। आशीष ने इसमें वैचारिकता की दूरदृष्टि का दूरबीन लगाकर छानबीन की है, तब यह संग्रह सामने आया है। इतने रचनाकारों के साहित्य को एकत्र करना बहुत कठिन कार्य है। मेरे मत में यह अपने आप में एक रिसर्च है। इससे काफी लोग लाभान्वित होंगे और भविष्य में कई पीढ़ियां शोध कार्य में इसकी सहायता लेगीं। यह पुस्तक संदर्भ कोश साबित होगी। यह रतलाम के साहित्य की डिक्शनरी भी है, कविता का कोश भी है और परिचय माला भी है। आशीष ने इस पुस्तक के माध्यम से समुद्र से सुई निकालने का कार्य किया है।
आलोचकीय दृष्टि और रचनात्मक श्रम का गुलदस्ता- प्रो. चौहान
प्रो. रतन चौहान ने कहा कि यह पुस्तक रतलाम के साहित्य जगत की पहचान है। इसमें आलोचकीय दृष्टि और रचनात्मक श्रम दिखाई देता है। इस पुस्तक के माध्यम से इतने रचनाकारों की रचनाओं को समेटकर आशीष ने अपने कवि दायित्व को पूरा किया है। सुरेश उपाध्याय ने कहा कि आलोचना की इस पुस्तक में आशीष ने एक अभिनव पहल की है। आज के संदर्भ में अपने शहर ‘रतलाम’ के ज्ञात, अल्पज्ञात व अज्ञात रचनाकारों के कविकर्म से वाबस्ता करने की महती कोशिश की है। किसी शहर की रचनाधर्मिता को लेकर मेरी जानकारी में यह प्रथम पहल है।
यह आशीष के बस का ही काम है- डॉ. दशोत्तर
स्व. सुभाष दशोत्तर के अनुज डॉ. अरविन्द दशोत्तर ने कहा कि किताब को पढ़कर लगा कि सभी कुछ जीवन्त हो उठा। निश्चय ही बड़ा चुनौती भरा काम था। आशीष ने बहुत कुशलता से इसे पूरा किया है। बहुत से नए चेहरे लगा चित परिचित हैं। हर कवि को पाठकों से इतनी सहजता से मिलवाना, आशीष के ही बस का काम है।
तिहरी खुशी देने वाली पुस्तक- डॉ. पंचोली
डॉ. किसलय पंचोली ने कहा कि आशीष दशोत्तर द्वारा लिखित आलोचना की साझा पुस्तक ‘घर के जोगी’ में स्वयं की कविताओं को पढ़ पाना मुझे तिहरी खुशी से सराबोर कर गया। एक तो रतलाम से जुड़े आत्मीयता के तार झंकृत होने की खुशी, दूजे इस पुस्तक में शहर के पुराने और नए नामचीन कवियों के साथ मेरा अदना सा नाम जुड़ने की खुशी, तीसरे किसी ने मुझे कविता विधा से पहचान के घेरे में ला खड़ा किया है, इस बात की खुशी। यह बहुत महत्वपूर्ण कार्य आशीष ने किया है।
रतलाम की पहलान बनेगा यह काम- रमानी
रश्मि रमानी ने कहा कि रतलाम का एक विस्तृत फलक़ है। हर दशक में यहां से विभूतियां निकलीं हैं। रतलाम साहित्यकारों का गढ़ रहा है। बेहद खुशी होती है जब अपने घर के लोगों में हम भी शामिल हों। आशीष का यह कार्य रतलाम की पहचान बनेगा। पुस्तक की विषय वस्तु और इसमें समाहित किए गए रचनाकारों की रचनाओं के प्रति निष्पक्ष रूप से आलोचकीय दृष्टि डालने के लिए अन्य सुधिजन ने भी अपनी शुभकामनाएं व्यक्त की।
पुस्तक विमोचन के दौरान ये सभी रहे उपस्थित
इस अवसर पर विष्णु बैरागी, महावीर वर्मा, संजय परसाई 'सरल', नरेंद्र सिंह पंवार, नीरज कुमार शुक्ला, नरेंद्र सिंह डोडिया, विनोद झालानी, कीर्ति शर्मा सहित सुधिजन मौजूद थे।