पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण खत्म करना भाजपा की सोची-समझी साजिश, कांग्रेस सड़क से लेकर संसद तक करेगी संघर्ष- गेहलोत

रतलाम जिला कांग्रेस अध्यक्ष हर्षविजय गेहलोत ने शिवराज सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण खत्म करने की सोच-समझ कर साजिश रची गई।

पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण खत्म करना भाजपा की सोची-समझी साजिश, कांग्रेस सड़क से लेकर संसद तक करेगी संघर्ष- गेहलोत
हर्ष विजय गेहलत, जिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं विधायक
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण खत्म करना भाजपा की सोची-समझी साजिश है। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में ओबीसी को अधिकार दिलाने के लिए सड़क से लेकर संसद तक कांग्रेस संघर्ष करेगी। शिवराज सरकार कांग्रेस पर आरोप लगाने के साथ ही उच्चतम न्यायालय में झूठ बोल रही है। मध्य प्रदेश सरकार ने सही ढंग से पक्ष नहीं रखा, इसलिए ओबीसी आरक्षण खत्म हुआ।

यह कहना है कांग्रेस के जिलाध्यक्ष और सैलाना विधायक हर्षविजय गेहलोत का। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में हो रहे पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को समाप्त कर चुनाव कराने का निर्देश दिया है। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने एक बार फिर अदालत में अपना ओबीसी विरोधी चेहरा पेश किया है। अगर मध्य प्रदेश सरकार जोरदार तरीके से न्यायालय में ओबीसी वर्ग का पक्ष रखती तो आरक्षण समाप्त होने की नौबत नहीं आती। उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के मामले का हवाला देते हुए मध्य प्रदेश के पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को निरस्त किया है। शिवराज सिंह चौहान सरकार उच्चतम न्यायालय में यह बात सही तरीके से नहीं रख सकी। आरक्षण निरस्त होने के फैसले से अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को गहरा धक्का पहुंचा है।

आरक्षण विरोधी है भाजपा की सोच

गेहलोत के अनुसार कहा कि भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस की सोच हमेशा से आरक्षण को समाप्त करने की रही है। अपने षड्यंत्र, गलतियों और अन्य पिछड़ा वर्ग विरोधी चरित्र को छुपाने के लिए बीजेपी कांग्रेस पार्टी पर झूठे इल्जाम लगा रही है। मध्य प्रदेश के पंचायत चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट में या उच्च न्यायालय में नहीं गई थी। इस बात को कांग्रेस पार्टी ने 6 दिसंबर को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में स्पष्ट शब्दों में सार्वजनिक कर दिया था। संबंधित पक्षकार निजी हैसियत में माननीय अदालत में गए थे। कांग्रेस पार्टी ने ग्राम पंचायत चुनाव की प्रक्रिया के असंवैधानिक पक्षों का विरोध किया था और उन्हें सार्वजनिक किया था लेकिन कांग्रेस ने चुनाव का विरोध नहीं किया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य निर्वाचन आयोग से यही बात कही है कि चुनाव में संवैधानिक प्रक्रिया का पालन किया जाए।

रोस्टर प्रणाली पर भाजपा का झूठ

उच्चतम न्यायालय में पक्षकारों ने रोटेशन प्रणाली पर सवाल उठाया था जो कि ओबीसी आरक्षण से भिन्न विषय है। इस विषय को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेता सरासर झूठ बोल रहे हैं। जब सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण खत्म करने का फैसला सुनाया तो यह मध्य प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी थी कि वह आरक्षण के समर्थन में उचित तर्क न्यायालय में पेश करती लेकिन मध्य प्रदेश सरकार के वकीलों ने जानबूझकर अदालत में ऐसा नहीं किया। यह एक सुनियोजित षड्यंत्र है।

हर ओबीसी के खिलाफ रही है शिवराज सरकार

गेहलोत ने कहा कि शिवराज सरकार का ओबीसी रवैया पहली बार सामने नहीं आया है। इससे पहले नौकरियों में आरक्षण के मामले में हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई में भी सरकार की ओर से वकील पेश नहीं हुए और मामले की सुनवाई अनिश्चितकाल के लिए टल गई। 2003 में जब कांग्रेस की सरकार ने प्रदेश में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया था, तब भी भाजपा की सरकार ने अदालत में ढंग से पैरवी ना करके आरक्षण को समाप्त हो जाने दिया था। 2019 में जब कमलनाथ की सरकार ने एक बार फिर से ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया तो उसे भी समाप्त कराने के लिए भाजपा सरकार जानबूझकर उच्च न्यायालय में सही तरीके से पैरवी नहीं कर रही है।

जानबूझकर प्रक्रिया में की गलतियां

जिला कांग्रेस अध्यक्ष गेहलोत के अनुसार भारतीय जनता पार्टी ने जानबूझकर चुनाव प्रक्रिया में ऐसी असंवैधानिक गलतियां छोड़ दी थी जिनसे ओबीसी के हित प्रभावित हों। भाजपा सरकार को इस मामले में सभी कानूनी पहलुओं पर विचार करके तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए ताकि ओबीसी वर्ग के लोगों को पंचायत में उनका हक मिल सके। कमलनाथ जी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश के ओबीसी वर्ग को उसका हक दिलवाने के लिए कृत संकल्प है। कांग्रेस सड़क से संसद तक संघर्ष करेगी और सामाजिक न्याय की लड़ाई को जारी रखेगी। ओबीसी आरक्षण को समाप्त करने का भाजपा का षड्यंत्र कभी पूरा नहीं होगा।