मप्र में भारी से भारी बारिश का अलर्ट ! कई जिलों में स्कूलों की छुट्टी घोषित, नर्मदा ने पार किया खतरे का निशान, सीएम ने की समीक्षा
मध्य प्रदेश में भारी बारिश जारी है। अगले कुछ घंटों में छह जिलों में भारी से अति भारी बारिश का अनुमान है। भारी बारिश और बाढ़ प्रभावित इलाकों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश
आपदा प्रबंधन में जन-प्रतिनिधियों का सहयोग लेने और बांधों व जल-संरचनाओं का रोज निरीक्षण कराने के निर्देश
एसीएन टाइम्स @ भोपाल । मध्यप्रदेश के कई इलाकों में भारी भार्श जारी है। इससे जनजीवन प्रभावित है। अगले 24 घंटे में कई जिलों में भारी से अति भारी बारिश होने का अलर्ट मौसम विज्ञान केंद्र ने जारी किया है। इससे 5 जिलों में स्कूलों की छुट्टी घोषित कर दी गई है। 19 से 23 अगस्त तक भी पुनः भारी बारिश की संभावना जताई गई है। इधर, भोपाल, रीवा और नर्मदापुरम संभाग समेत कई जगहों में बीते दो दिनों से लगातार बारिश हो रही है। इससे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान न प्रदेश में आपदा प्रबंधन में जनप्रतिनिधियों का सहयोग लेने, बाढ़ प्रभावित इलाकों से गर्भवती महिलाओं को सरक्षित स्थानों पर पहुंचाने को प्राथमिकता देने व जलस्रोतों का रोज निरीक्षण करने के निर्देश दिए हैं।
मौसम विज्ञान केंद्र द्वारा बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। 17 अगस्त की सुबह 8 बजे तक राजगढ़, नीमच, रतलाम, शाजापुर, आगर, मंदसौर जिलों में भारी से अति भारी बारिश की संभावना जताई गई है। वहीं चंबल एवं ग्वालियर संभागों के जिलों के साथ ही उज्जैन और रायसेन में कहीं-कहीं भारी बारिश का अनुमान है। नीमच, रतलाम, शाजापुर, आगर, मंदसौर, राजगढ़ व चंबल तथा ग्वालियर संभाग के जिलों में गरज के साथ बिजली चमकने और गिरने का भी पूर्वानुमान है। इधर, भारी बारिश के कारण नर्मदापुरम जिले में नर्मदा नदी में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। जिले में नर्मदा नदी खतरे के निशान के ऊपर से बह रही है। बारिश और नर्मदा नदी के जलस्तर को देखते हुए निचले हिस्से में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम तैनात कर दी गई है।
सीएम ने जिलों से अतिवृष्टि और बाढ़ नियंत्रण को लेकर की वर्चुअली समीक्षा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में जारी बारिश से उपजे हालातों की समीक्षा की। उन्होंने कहा है कि प्रदेश में भारी वर्षा के कारण जो परिस्थितियाँ निर्मित हो गई थीं, उन्हें बेहतर प्रबंधन के आधार पर नियंत्रित कर लिया गया है। जनता की जिन्दगी की सुरक्षा राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रदेश में जिला प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीमें सजग हैं तथा स्थिति पर नियंत्रण रखे हुए हैं। सभी जिलों को निर्देश दिए गए हैं कि जिन गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी की तिथि आगामी दो या तीन दिन में है, उन्हें सर्वोच्च प्राथमिकता पर अस्पतालों और सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जाए। मुख्यमंत्री चौहान नर्मदापुरम के एनआईसी से प्रदेश के जिलों से अतिवृष्टि और बाढ़ नियंत्रण के संबंध में वर्चुअली चर्चा कर रहे थे।
प्रदेश में 19 से 23 अगस्त तक पुन: अधिक वर्षा की संभावना
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार आगामी 19 से 23 अगस्त के मध्य भी अधिक वर्षा की संभावना है। नर्मदापुरम् में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा उपस्थित थे। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट बैठक से वुर्चअली जुड़े। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव जल संसाधन एस. एन. मिश्रा मंत्रालय भोपाल से बैठक में वर्चुअली शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने विदिशा, सीहोर, बालाघाट, नर्मदापुरम्, रायसेन, भोपाल, राजगढ़ और नरसिंहपुर जिले के अधिकारियों से जिले में वर्षा की जानकारी प्राप्त की।
बाढ़ नियंत्रण में सहयोगियों को दी बधाई
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि टीम मध्यप्रदेश वैज्ञानिक तरीके से आपदा प्रबंधन में दक्ष है। इसका उदाहरण, कारम डेम आपदा के प्रबंधन से स्पष्ट हुआ है। बेहतर प्रबंधन के परिणामस्वरूप भयावह स्थिति नहीं बन पायी और हम जनहानि के साथ पशुओं को भी बचाने में सफल रहे। मुख्यमंत्री चौहान ने अतिवृष्टि के परिणामस्वरूप बाढ़ नियंत्रण और जल निकासी व्यवस्था में लगे जल संसाधन, नर्मदा घाटी विकास, मौसम विभाग, जिला प्रशासन, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ को बधाई दी।
आपदा प्रबंधन वैज्ञानिक तरीके से होता रहेगा
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि यदि बरगी, बारना, तवा और कोलार का पानी एक साथ छूटता है तो जल-प्लावन की स्थिति बन सकती थी। बुद्धिमता के साथ वैज्ञानिक आपदा प्रबंधन करते हुए क्रमबद्ध रूप से बांधों से जल निकासी का प्रबंधन किया गया। जब तवा और बारना बांधों के गेट खुले थे तो बरगी बंद था। बरगी के गेट खुले तो तवा और बारना के गेट बंद होंगे। इस वैज्ञानिक प्रबंधन के परिणामस्वरूप क्षेत्र को गंभीर स्थिति से बचाने में सफलता मिली है। हमें यह वैज्ञानिक आपदा प्रबंधन निरंतर करते रहना होगा। इससे आपदा प्रबंधन में मध्यप्रदेश देश में उदाहरण प्रस्तुत करेगा। बांधों में 80 प्रतिशत जल भंडारण का निर्णय लिया गया है, 20 प्रतिशत की गुंजाइश छोड़ी गई है।
सभी जिलों में राहत शिविरों की व्यवस्था रखें
मुख्यमंत्री चौहान ने जिलों द्वारा की गई व्यवस्था की सराहना करते हुए कहा कि डूब में आने वाले संभावित स्थानों से लोगों को ऊँचे स्थानों पर शिफ्ट किया गया। नर्मदापुरम में राहत शिविर के निरीक्षण के बाद वहाँ की व्यवस्था पर मुख्यमंत्री चौहान ने संतोष व्यक्त किया। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि सभी जिलों में राहत शिविरों की व्यवस्था रखी जाए। साथ ही पशुओं की सुरक्षा के लिए भी जिला प्रशासन संवदेनशीलता के साथ कार्य करें।
सोशल मीडिया व जनसंचार माध्यम से साझा करें जानकारी
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आपदा प्रबंधन में जन-प्रतिनिधियों तथा नवनिर्वाचित पंचायत और नगरीय निकायों के प्रतिनिधियों को विश्वास में लेकर उनका सहयोग लिया जाए। सोशल मीडिया और जनसंचार के अन्य माध्यमों से अतिवृष्टि तथा बाढ़ की स्थितियों को जनता के साथ साझा किया जाए। इससे जन-सामान्य को सतर्क करने और उनके द्वारा आवश्यक सावधानियाँ बरतने में सहायता मिलेगी। आपदा प्रबंधन में आदर्श समन्वय आवश्यक है। मुख्यमंत्री चौहान ने जिलों को अपना सूचना तंत्र मजबूत रखने के निर्देश भी दिए।
सूक्ष्मतम बिंदुओं पर ध्यान देते हुए विस्तृत कार्य-योजना बनाएं
मुख्यमंत्री चौहान ने जिला प्रशासन को अपने क्षेत्र के सभी बांध, तालाब और जल-संरचनाओं का परीक्षण कराने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि लगातार हो रही वर्षा और आगामी दिनों में भारी वर्षा की संभावना को देखते हुए तकनीकी अमले के साथ जल-संरचनाओं का निरीक्षण और उनमें सीपेज आदि की संभावना पर नजर रखी जाए। आगामी कुछ दिनों तक प्रतिदिन बांधों की मॉनीटरिंग की व्यवस्था सुनिश्चित करें। मौसम के पूर्वानुमान सदैव सटीक नहीं होते, अत: तैयारी आवश्यक है। जिलों के पास पानी डिस्चार्ज का आंकलन पूर्व से ही है। तदनुसार सभी विभाग परस्पर समन्वय कर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहें। जिला प्रशासन बाढ़ राहत के लिए राशन, दवाएँ, नाव, मोटरबोट, गोताखोर, बचाव दल, राहत शिविर, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीमों को तैयार रखें। मुख्यमंत्री चौहान ने अतिवृष्टि के प्रबंधन और राहत के लिए सूक्ष्मतम बिन्दुओं पर ध्यान देते हुए विस्तृत कार्य-योजना बनाने के निर्देश दिए।
बांधों से पानी को इस प्रकार रेगुलेट करें कि बाढ़ की स्थिति निर्मित न हो
मुख्यमंत्री चौहान ने मंगलवार को अतिवृष्टि और नदियों में बढ़ रहे जल-स्तर के दृष्टिगत नर्मदापुरम् जिले के सेठानी घाट एवं नर्मदा महाविद्यालय पहुँच कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है। मौसम विभाग द्वारा जारी भारी वर्षा की चेतावनी को ध्यान में रखते हुए यह तय किया जा रहा है कि बांधों से एक साथ पानी न छोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि बारिश अधिक होने से बरगी, बारना, तवा, कोलार सहित अन्य सभी बांधों से पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे नर्मदा का जल-स्तर बढ़ा है। नीचे के भी अन्य बांधों से पानी छो़ड़ा गया है। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि बारिश रुक गई है। अब स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। अभी बारिश की संभावना बनी हुई है, इसलिए पूरी सावधानी रखने की जरूरत है। विधायक सर्वश्री डॉ. सीतासरन शर्मा, विजयपाल सिंह और ठाकुर दास नागवंशी, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती नीतू यादव एवं पार्षद मौजूद रहे।
माखन नगर ब्लॉक के साढ़े तीन गांव का सड़क से संपर्क कटा
मुख्यमंत्री सिंह ने संभागायुक्त माल सिंह, कलेक्टर नीरज सिंह, पुलिस अधीक्षक डॉ. गुरुकरण सिंह सहित अन्य अधिकारियों को राहत केंद्रों पर स्वास्थ्य, पेयजल, साफ- सफाई तथा शौचालय सहित अन्य व्यवस्थाओं को बनाए रखने एवं सावधानी के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि कोई गाँव बाढ़ की चपेट में तो नहीं है। अधिकारियों ने उन्हें बताया कि माखन नगर ब्लॉक के साढ़े तीन गाँव का सड़क से संपर्क कट गया है। वहाँ पर बोट पहुँचा दी गई हैं। होमगार्ड के जवान भी तैनात किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने मालाखेड़ी और निमसाड़िया गाँव की जानकारी ली। साथ ही सभी निचले क्षेत्र के नागरिकों से संपर्क बनाए रखने के निदेश अधिकारियों को दिए।
राहत केंद्र का लिया जायजा, नपा अध्यक्ष से भी बात की
मुख्यमंत्री चौहान ने शासकीय नर्मदा महाविधालय में बनाए गए राहत केंद्र का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लेकर केंद्र पर चाक-चौबंद व्यवस्थाएँ सुनिश्चित करने के निर्देश जिला प्रशासन को दिए। बताया कि 8 स्थानों को राहत केंद्र के लिए चिन्हित कर वहाँ समुचित व्यवस्थाएँ की गई हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने नगरपालिका अध्यक्ष यादव से भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि जन-प्रतिनिधि एवं जिला प्रशासन आपसी समन्वय से आपदा प्रबंधन के बेहतर कार्य सुनिश्चित करें।