बड़ी खबर : इतिहास व पुरातत्व के क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्था राजा भोज जनकल्याण सेवा समिति और डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर पुरातत्व शोध संस्थान के मध्य हुआ एमओयू

राजा भोज जनकल्याण सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्रसिंह पंवार ने भोपाल में रतलाम राज्य के सिक्कों पर शोधपत्र पढ़ा। इस दौरान समिति और डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर पुरातत्व शोध संस्थान भोपाल के मध्य एमओयू भी हुआ।

बड़ी खबर : इतिहास व पुरातत्व के क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्था राजा भोज जनकल्याण सेवा समिति और डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर पुरातत्व शोध संस्थान के मध्य हुआ एमओयू
राजा भोज जनकल्याण सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्रसिंह पंवार और डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर शोध संस्थान भोपाल के मध्य हुआ एमओयू दिखाते हुए।

राष्ट्रीय स्तर पर सिक्कों के माध्यम से रतलाम के गौरवपूर्ण इतिहास को किया रेखांकित

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । रतलाम जिले में इतिहास और पुरातत्व के क्षेत्र में राजा भोज जनकल्याण सेवा समिति निरंतर उल्लेखनीय कार्य कर रही है। संस्था का डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर पुरातत्व शोध संस्थान भोपाल के साथ महत्वपूर्ण एमओयू (Memorandum of understanding-समझौता ज्ञापन) हुआ है। शोध संस्थान पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय संचालनालय मध्यप्रदेश के तहत कार्यरत है।

यह जानकारी संस्था के जिला संयोजक नरेन्द्रसिंह डोडिया ने दी। डोडिया ने बताया कि विगत दिनों भोपाल में आयोजित सिक्कों की प्रदर्शनी और शोध-पत्र वाचन समारोह में संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेन्द्रसिंह पंवार और संचनालय पुरातत्व, मध्यप्रदेश की आयुक्त उर्मिला शुक्ला ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। मुख्य अतिथि प्रोफेसर बैधनाथ लाभ (कुलगुरु सांची बौद्ध अध्ययन विश्व विद्यालय), डॉ. मनोज कुमार कुर्मी (अधीक्षक एएसआई- दिल्ली), डॉ. आर. सी. ठाकुर (निदेशक अश्विनी शोध संस्थान महिदपुर) और डॉ. विश्वजीतसिंह परमार (विभागाध्यक्ष प्राचीन इतिहास विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन) थे। अतिथियों का परिचय देने के साथ ही वाकणकर पुरातत्व शोध संस्थान की उपलब्धियों को निदेशक डॉ. पूजा शुक्ला ने अवगत कराया।

एमओयू होना बड़ी बात

डोडिया ने बताया कि डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर पुरातत्व शोध संस्थान और राजा भोज जनकल्याण सेवा समिति के मध्य एमओयू होना अपने-आप में बड़ी बात है। एमओयू होने से रतलाम जिले में इतिहास और पुरातत्व की सुस्त पड़ी गतिविधियों में गति आएगी और जिले का नाम इतिहास और पुरातत्व के क्षेत्र में प्रदेश ही नहीं देश में भी विख्यात होगा। नि:संदेह इसके लिए राजा भोज जनकल्याण सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेन्द्रसिंह पंवार के प्रयास और समर्पण स्तुत्य है। एमओयू हस्ताक्षर के समय संस्था की ओर से राजपूत महापंचायत के अध्यक्ष राघवेन्द्रसिंह तोमर, महामंत्री अभयसिंह परमार, नटवरसिंह परमार एवं शासन की तरफ से डॉ. पूजा शुक्ला (पुरातत्व विभाग की संयुक्त संचालक एवं डॉ. वी. वाकणकर शोध संस्थान के निदेशक), डॉ. ध्रुवेन्द्रसिंह जोधा (शोध अधिकारी डॉ. वी. वाकणकर शोध संस्थान) उपस्थित थे। इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन और अश्विनी शोध संस्थान महिदपुर के साथ भी एमओयू संपन्न हुए।

शिक्कों की प्रदर्शनी लगी, शोध पत्रों का वाचन हुआ

डोडिया ने बताया कि इस महत्वपूर्ण आयोजन में सिक्कों पर आधारित प्रदर्शनी "युगीन-युगीन सिक्कें" और चयनित शोध पत्रों का वाचन भी हुआ। समारोह के प्रारंभ में सरस्वती पूजन के पश्चात शोध अधिकारी डॉ. ध्रुवेन्द्रसिंह जोधा ने संस्थाओं के मध्य होने वाले एमओयू के महत्व को रेखांकित किया। चयनित शोध-पत्र वाचन में संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेन्द्रसिंह पॅंवार ने रतलाम राज्य के रियासतकालीन सिक्कों पर आधारित शोध पत्र का वाचन भी किया। पॅंवार ने रतलाम के इतिहास पर दीपक रायकवार के निजी संग्रह से रतलाम राज्य के चयनित सिक्कों का अध्ययन कर विस्तृत शोध-पत्र तैयार किया। इसमें बताया कि किस प्रकार रतलाम राज्य ने मालवा में प्रथम बार अपने सिक्के ढालने और प्रचलित करने का रुतबा हासिल किया।

रतलाम के गौरवपूर्ण इतिहास को रेखांकित किया

पॅंवार ने मुगलकाल से लेकर अंग्रेजी शासन में कटारयुक्त हनुमान छाप रतलाम राज्य के प्रचलित सिक्कों की विशेषताओं को रेखांकित किया। पॅंवार ने देश के प्रतिष्ठित संस्थान डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर पुरातत्व शोध संस्थान भोपाल में राष्ट्रीय स्तर पर रतलाम के गौरवपूर्ण इतिहास को सिक्कों के माध्यम से विद्वानों के सम्मुख प्रस्तुत कर रतलाम के गौरवपूर्ण इतिहास को रेखांकित किया है। यह हम सभी के लिए गौरव की बात है। शोध पत्रों पर सारगर्भित समरी डॉ. रमेश यादव (पुरातत्व अधिकारी) ने प्रस्तुत की। संचालन उपरित ने किया।