काव्य गोष्ठी : दरकते सौहार्द्र को थामकर प्रेम का पुल बनाती है कविता, गायब हो रही प्राकृतिक संपदा को बचाने का संदेश भी दे ती है

जनवादी लेखक संघ द्वारा रतलाम में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें वक्ताओं ने कविता के महत्व पर प्रकाश डाला। कवियों ने रचना पाठ भी किया।

काव्य गोष्ठी : दरकते सौहार्द्र को थामकर प्रेम का पुल बनाती है कविता, गायब हो रही प्राकृतिक संपदा को बचाने का संदेश भी दे ती है
जनवादी लेखक संघ की काव्य गोष्ठी में रचना पाठ करते रंगकर्मी ओमप्रकाश मिश्र।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । कविता मानवीय संवेदनाओं को उजागर करती है। टूटते रिश्तों को जोड़ती है। दरकते सौहार्द के बीच पुल बनती है। हमारे जीवन से गायब हो रही प्राकृतिक संपदा को बचाने का संदेश देती है और हमें जीवन के शृंगार से परिचित करवाती है।

उक्त विचार जनवादी लेखक संघ रतलाम द्वारा आयोजित काव्य गोष्ठी में उभर कर सामने आए। रचनाकारों ने अपनी विविध रंगी रचनाओं से गोष्ठी को ऊंचाइयां प्रदान की। वर्तमान संदर्भों में मनुष्यता को बचाने, अंधे विश्वासों के नाम पर इंसान को मौत के दलदल में धकेलने और मूलभूत प्रश्नों से मुंह फेरने का काम हो रहा है, जिसका बखान कविताओं में हुआ। प्रस्तुत कविताओं ने आम आदमी के दर्द की अभिव्यक्ति और मानवीय सरोकारों को सामने लाने में अपनी भूमिका निभाती नज़र आई। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि श्याम माहेश्वरी ने की। जनवादी लेखक संघ अध्यक्ष रणजीत सिंह राठौर ने रंगकर्मी ओमप्रकाश मिश्र का अभिनंदन करते हुए संस्था की रचनात्मक गतिविधियों की जानकारी दी।

इन्होंने किया रचना पाठ

गोष्ठी में वरिष्ठ कवि श्याम माहेश्वरी, रतन चौहान, प्रणयेश जैन, नरेन्द्र गौड़, रणजीत सिंह राठौर, ओमप्रकाश मिश्र, रामचंद्र फुहार, हरिशंकर भटनागर, नरेंद्र सिंह डोडिया, श्याम सुंदर भाटी, जितेंद्र सिंह पथिक, हीरालाल खराड़ी, एस. के. मिश्र, मांगीलाल नगावत, आशा श्रीवास्तव, कीर्ति शर्मा, गीता राठौर, जवेरीलाल गोयल, दिलीप जोशी, शिवराज जोशी, एम. के. व्यास, चरणसिंह जाधव ने रचनाओं से गोष्ठी को सार्थक बनाया। संचालन आशीष दशोत्तर ने किया।  आभार जलेसं अध्यक्ष रणजीत सिंह राठौर ने माना। आयोजन में सुधिजन मौजूद रहे।