...ताकि कायम रहे सांप्रदायिक सौहार्द्र : अगर 2009 में ही तत्कालीन कांग्रेस सरकार यह सुझाव गंभीरता से लेती तो सत्ता की चाबी भाजपा के हाथों में नहीं जाती
भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी द्वारा साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए 2009 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के गृह मंत्री को दिए गए सुझावों पर अमल की आवश्यकता बढ़ गई है। झालानी ने मौजूदा गृह मंत्री को पुनः सुझाव प्रेषित किए हैं।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । कांग्रेस पार्टी की मुस्लिम परस्त छवि और भाजपा की हिन्दुत्ववादी छवि के चलते देश में हुए ध्रुवीकरण ने भाजपा को सफलता के शीर्ष पर पंहुचा दिया है। यदि बरसों पहले दिए सुझाव पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अमल कर लिया होता तो आज कांग्रेस का इतना पतन नहीं हुआ होता और भाजपा भी इतनी तेजी से आगे नहीं बढ़ पाती।
देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र बढ़ाने के लिए भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी ने वर्ष 2009 में तत्कालीन गृहमंत्री को यह सुझाव दिया था कि विभिन्न स्थानों पर होने वाले सांप्रदायिक घटनाओं के पीछे के कारणों का अध्ययन किया जाए, जिससे भविष्य में होने वाले दंगों को प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है।
वर्ष 2009 में टाइम्स आफ इण्डिया अखबार में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। इसमें कहा गया था कि तत्कालीन केन्द्र सरकार ने देश की समस्त राज्य सरकारों को सांप्रदायिक दंगों के सम्बन्ध में दिशा निर्देश जारी किए थे। इन दिशा निर्देशों के मुताबिक राज्यों में होने वाले सांप्रदायिक विवादों या दंगों की समस्त जानकारियां एक निश्चित प्रारुप में केन्द्र सरकार को भेजने के निर्देश राज्यों को दिए गए थे। तब भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी ने इस रिपोर्ट को देखने के बाद वर्ष 2009 में ही तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदम्बरम को एक पत्र लिख कर सुझाव दिया था कि राज्यों को प्रेषित दंगों की जानकारी वाले प्रारूप में दंगे के पीछे का मुख्य कारण का भी एक कॉलम जोड़ा जाए। यदि प्रत्येक दंगे के पीछे के कारणों का गहराई से अध्ययन किया जाता, तो भविष्य में इसकी सहायता से दंगों पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता था।
इसके बाद झालानी ने 02 दिसम्बर 2013 को तत्कालीन गृहमंत्री सुशील कुमार शिन्दे को पत्र लिखकर गृह मंत्रालय के अधीन एक सांप्रदायिक सौहार्द्र एवं धार्मिक मामले विभाग का पृथक से गठन करने का सुझाव दिया था। अपने पत्र में झालानी ने कहा था कि देश में धर्म एक सर्वकालिक विषय है। देश में विभिन्न धर्मों के नागरिक निवास करते हैं। इन धर्मों के मतावलंबियों के मध्य सांप्रदायिक घटनाएं होती रहती हैं। दूसरी ओर सरकार सभी धर्मों को सम्मान देती हैं और सांप्रदायिक सौहार्द्र कायम रखने के लिए इस बहुधर्मी देश में इसके गठन की नितांत आवश्यकता है।
प्रथक से मंत्रालय स्थापित करने का भी था सुझाव
झालानी ने अपने पत्र में सुझाव दिया था कि गृह मंत्रालय में एक धर्म एव सौहार्द्रता का पृथक से उपमंत्रालय स्थापित किया जाए। इसमें इस विषय से जुड़े अन्य मंत्रालयों में कार्यरत विभागों को भी संयोजित किया जाना चाहिए। देश के वर्तमान हालातों के मद्देनजर यह नया प्रस्तावित विभाग महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। झालानी के इस सुझाव पत्र पर गृह मंत्रालय के अवर सचिव जसवीर सिंह ने 03 अप्रैल 2014 को झालानी को पत्र लिखकर बताया कि गृह मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सद्भाव प्रतिष्ठान (एनएफसीएच) एक स्वायत्त संस्था के रूप में राष्ट्रीय सद्भाव और राष्ट्रीय एकता के संवर्धन के लिए कार्यरत है।
यदि कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने इन सुझावों पर अमल कर लिया होता तो बहुसंख्यक समाज का विश्वास टूटते हुए देश में ऐसा ध्रुवीकरण नहीं हो पाता। कांग्रेस को सत्ता से बाहर होने का एक बड़ा कारण यही ध्रुवीकरण रहा।
झालानी की सुझाव की तर्ज पर डॉ. भागवत और मदनी में हुई चर्चा
झालानी द्वारा दिए सुझाव की तर्ज पर हाल ही के दिनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत और मौलाना अरशद मदनी के मध्य हुई सांप्रदायिक सौहार्द्र के विषय पर चर्चा हुई। झालानी ने प्रधानमंत्री को 05 सितम्बर 2019 को पुनःपत्र लिखकर गृहमंत्रालय के अधीन सांप्रदायिक सौहार्द्र एवं धार्मिक मामले का उपमंत्रालय गठित कर विभिन्न धर्मों के बीच जनसंख्या अनुपात, धर्मान्तरण, अंतर्धार्मिक विवाह, धर्मिक कार्यों हेतु ध्वनि विस्तारकों का उपयोग, धर्मिक चल समारोह के मार्गों, गौ-हत्या आदि विवाद के विषयों के कारणों पर निरंतर विचार कर उसके स्थायी समाधान के लिए कार्यवाही करने का सुझाव दिया।
अपने इस सुझाव पत्र में झालानी ने कहा कि गृह मंत्रालय में एक उच्चस्तरीय विशेष सेल गठित किया जाए जो कि एक उपमंत्रालय के रूप में हो। जो देश में सांप्रदायिक हिंसा के कारणों का सूक्ष्मता से तह में जाकर वास्तविक कारणों की खोज और विश्लेषण करे। इसके बाद बुद्धिजीवियों, धार्मिक नेताओं और ख्यातनाम हस्तियों को बैठाकर इन निष्कर्षों के ऊपर बहस व विचार-विमर्श हो। इसमें ज्ञात हो चुके कारणों पर सर्वसम्मत उपायों के लिए कार्ययोजना बनाकर इस पर राजनीतिक दलों की सहमति बनाए तथा उचित कानूनी संशोधन और आवश्यक हो तो संविधान संशोधन का प्रावधान करें।
संवाद के निरंतर प्रयासों से हो सकता है समाधान
झालानी ने अपने पत्र में लिखा कि इस प्रकार संवाद के निरन्तर प्रयासों से शनै:शनै: विवादित विषयों का समाधान होता रहेगा और आपसी मतभेद, घृणा और दूरियां कम होती जाएंगी। मुख्य रूप से राजनीति और वोट बैंक से परे हटकर आपसी सौहार्द्र की दिशा में परस्पर सहमति से ठोस और सार्थक प्रयास होते रहेंगे तो इसका सुखद परिणाम यह होगा कि देश की प्रगति में सभी धर्मों के अनुयाईयों का सार्थक योगदान मिलेगा।
यह सही समय है सेल गठित करने के लिए
झालानी ने अपने पत्र में लिखा है कि इस प्रकार का विशेष सेल गठित करने का यही सही समय है। झालानी ने इस पत्र की प्रतिलिपि गृहमंत्री अमित शाह, संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत और मौलाना अरशद मदनी को भी प्रेषित की थी।