आचार्य श्री विजयराजजी ने 11 दिन मौन साधना के बाद कहा- मौन से होता है शक्ति का संचय, वचन शुद्धि से संवरते हैं संबंध

श्री विजयराजजी मसा ने 11 दिवसीय मौन साधना की। साधना पूरी होने पर उन्होंने महामांगलिक श्रवण कराया। उन्होंने मौन साधना के फायदे बताते हुए औरों से भी मौन रहने का आह्वान किया।

आचार्य श्री विजयराजजी ने 11 दिन मौन साधना के बाद कहा- मौन से होता है शक्ति का संचय, वचन शुद्धि से संवरते हैं संबंध
जैन धर्म।

मोहनबाग में आचार्य श्री विजयराजजी मसा से महामांगलिक श्रवण करने उमड़ा जनसैलाब

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । परम पूज्य प्रज्ञा निधि युगपुरुष आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने 11 दिवसीय मौन साधना पूर्ण कर सोमवार को मोहनबाग में महामांगलिक श्रवण कराई। इस मौके पर जन सैलाब उमड़ पड़ा। रतलाम सहित देश के विभिन्न स्थानों से आए अनुयायियों को आशीर्वचन देते हुए आचार्यश्री ने कहा कि मौन से शक्ति का संचय होता है। यह आत्म शक्ति का जागरण करने में भी मददगार है।  

आचार्यश्री का रतलाम में 27 जून को श्री हुक्मगच्छीय साधुमार्गी शान्त क्रांति जैन श्रावक संघ रतलाम के तत्वावधान में चातुर्मास हेतु मंगल प्रवेश होगा। प्रवेश जुलूस सैलाना रोड स्थित मोहन बाग से आरंभ होकर नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ जैन स्कूल पहुंचेगा। यहां धर्मसभा के बाद साधार्मिक भक्ति का आयोजन किया जाएगा। सोमवार को आचार्यश्री ने कहा कि हम सभी के भीतर अनन्त शक्ति है, लेकिन हम उस शक्ति का संचय नहीं कर पाते है। इससे हमारी शक्ति बिखर जाती है और उपयोगी नहीं बन पाती। सूर्य के प्रकाश की किरणे भी जब बादलों की तरफ जाती हैं, तो नया सृजन नहीं कर पाती हैं। नया सृजन करने के लिए ध्यान केन्द्रित करना पड़ता है। जल से भाप बनने के दौरान भी यदि भाप की शक्ति को केन्द्रित कर लिया जाए, तो उस शक्ति से बड़ी-बड़ी रेलगाड़ियां, मालगाड़ियां चलाई जा सकती हैं। जीवन में मौन भी शक्ति का ऐसा ही संचय करता है।

पीढ़ियों के संबंध तोड़ देता है एक हल्का शब्द

आचार्यश्री ने कहा कि आप क्या बोलते हैं? मैं क्या बोलता हूं? वचनों से ही पता चलता है कि हमारे संस्कार कैसे हैं? हमारा खानदान कैसा है? प्रभु महावीर ने मन और काया की अपेक्षा वचन शुद्धि पर अधिक जोर दिया है, क्योंकि संबंध जुड़ते भी वचन शक्ति से और टूटते भी वचन बदौलत ही है। एक हल्का शब्द पीढ़ियों के संबंध तोड़ देता है। इसलिए संबंधों को जोड़ने हेतु शब्दों एवं वचन की गरिमा को समझना चाहिए। महापुरुषों ने भी जीवन में सुख, शांति और समाधि पाने के लिए कम बोलने का संदेश दिया है।

भाग्यवादी नहीं, भाग्यशाली हूं 

आचार्यश्री ने प्रेरणा दी कि प्रतिदिन दो घंटे का मौन रखें। यह संभव न हो तो एक घंटा, नहीं तो कम से कम आधा घंटा तो अवश्य मौन रहें। मौन रखकर आप बहुत बड़ी विजय प्राप्त कर सकते है। उन्होंने बताया कि 11 दिनों में मौन का जो आनंद लिया, उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। आचार्यश्री ने कहा कि वे भाग्यवादी नहीं अपितु भाग्यशाली हैं, क्योंकि उन्हें ऐसा जिनशासन मिला जिसे पाने को देवता भी तरसते हैं। मात्र 14 वर्ष की उम्र में गुरुदेव नानेश ने उन्हें अपनी छत्रछाया में लिया। 17 वर्षों तक उनका सान्निध्य मिला। प्रवचन के आरंभ में ज्योति पिरोदिया ने मौन साधना पर भाव व्यक्त किए।

प्रवेश जुलूस में शामिल होने का आह्वान

श्री संघ के विजेन्द्र गादिया ने स्वागत उद्बोधन दिया। बहूमंडल की सदस्याओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। श्री संघ अध्यक्ष मोहनलाल पिरोदिया एवं सचिव दिलीप मूणत ने बताया कि आचार्य प्रवर रतलाम में उपाघ्याय प्रज्ञारत्न विद्वद्ववरेण्य श्री जितेश मुनिजी मसा आदि ठाणा-13 एवं महासतियांजी आदि ठाणा-15 के साथ वर्षावास करेंगे। उन्होंने धर्मावलंबियों से प्रवेश जुलूस में उपस्थित रहने का आह्वान किया है।