आज छोटी-छोटी बातों को कोर्ट की अवमानना मान लेते हैं न्यायाधीश, ब्रिटिश न्याय प्रणाली में विषम परिस्थिति में ऐसी बातों को महत्व नहीं देते थे- एडवोकेट बी.एल. पावेचा

विधि विश्व संस्था द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेशचंद्र अग्रवाल की स्मृति में व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। इस दौरान नए अधिवक्ताओं को विधि की पुस्तकें वितरित की गईं।

आज छोटी-छोटी बातों को कोर्ट की अवमानना मान लेते हैं न्यायाधीश, ब्रिटिश न्याय प्रणाली में विषम परिस्थिति में ऐसी बातों को महत्व नहीं देते थे- एडवोकेट बी.एल. पावेचा
अधिवक्ता स्व. सुरेशचंद्र अग्रवाल की स्मृति में आयोजित व्याख्यानमाला के दौरान युवा अधिवक्ताओं को विधि की पुस्तकें भेंट की गईं।

विधि विश्व संस्था द्वारा अधिवक्ता स्व. सुरेशचंद्र अग्रवाल स्मृति व्याख्यान माला में मप्र उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा 

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । विधि विश्व संस्था द्वारा अग्रसेन वाटिका सगोड रोड पर वरिष्ठ अधिवक्ता स्व. सुरेशचंद्र अग्रवाल के तृतीय पुण्यतिथि पर व्याख्यान माला एवं मार्गदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता बी. एल. पावेचा एवं विशेष अतिथि मध्य प्रदेश अधिवक्ता परिषद के पूर्व सदस्य कुलदीप भार्गव रहे। अध्यक्षता रतलाम बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव ऊबी ने की।

कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियो ने दीप प्रज्जवलन कर की। अतिथियों का शाल एवं स्मृति चिह्न भेंट कर नीता अग्रवाल ने अभिनंदन किया। प्रवक्ता नीलू अग्रवाल ने बताया कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता बी. एल. पावेचा ने न्याय प्रक्रिया से जुड़ी बातें साझा की। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश आज की न्याय प्रणाली में छोटी-छोटी बातों को कोर्ट की अवमानना मान लेते हैं। वहीं ब्रिटिश न्याय प्रणाली में ऐसे कई दृष्टांत हैं जिसमें किसी भी विषम परिस्थिति में ऐसी बातों को महत्व नहीं दिया जाता था।

एडवोकेट कुलदीप भार्गव ने नए अधिवक्ताओं से कहा कि आप केस बनाते समय जो आधार बनाते हैं उनका अच्छे से अध्ययन कर ही बनावे। ऐसा इसलिए कि पूरे केस की अवधि में वही आधार काम आते हैं। इसलिए नए अधिवक्ताओं को चाहिए की केस की शुरुआत में ही बहुत गंभीरता से अध्ययन कर केस का आधार बनाएं।

परिवर्तित संहिताओं का करें व्यापक अध्ययन

हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील जैन ने कहा आजकल न्याय प्रणाली में कई नए प्रयोग हुए हैं। भारत शासन के विधि विभाग ने न्यायालय संहिताओं में जो परिवर्तन किए हैं उनका सभी को व्यापक रूप से अध्ययन करना चाहिए। जिला बार एसोसिएशन अध्यक्ष राजीव ऊबी ने कहा कि आज युवाओं के लिए करियर बनाना जितना  आसान है, भटकना उतना ही आसान है। युवा अधिवक्ताओं को चाहिए कि कोर्ट में सही और गलत के अंतर को समझते हुए जनमानस को अधिकतम लाभ प्राप्त हो, ऐसा कार्य करना चाहिए। 

नए अधिवक्ताओं की मुश्किलों को आसान बनाना है आयोजन उद्देश्य

संस्था एवं कार्यक्रम संयोजक एडवोकेट ऋषि अग्रवाल ने कहा कि इस संस्था के स्थापना स्व. सुरेशचंद्र अग्रवाल ने की थी। उनका उद्देश्य नए अधिवक्ताओं की मुश्किलों को आसान बनाना था। ऐसा इसलिए कि नए अधिवक्ताओं को उनके करियर की शुरुआत में कई प्रकार के मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसलिए यह कार्यक्रम मुश्किलों को आसन बनाने एवं मानसिक रूप से उन्हें मजबूत करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। नए अधिवक्ताओं को चाहिए कि ऐसे कार्यक्रम कार्यक्रमों में विद्वानों के मार्गदर्शन का लाभ उठाएं। समाजसेवी कमलेश अग्रवाल ने भी संबोधित किया।

अधिवक्ताओं को भेंट की विधि की पुस्तक

अंत में अतिथियों एवं वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा युवाओं को विधि की पुस्तक भेंट की गई। संचालन कैलाश व्यास ने किया। वरिष्ठ अभिभाषक निर्मल कटारिया, लालचंद्र ऊबी, सतीश पुरोहित, पंकज बिलाला, समाजसेवी सुभाष जैन, विष्णु बैरागी, प्रवणव व्यास,  सुरेंद्र सुरेखा, महासभा अध्यक्ष वीरेंद्र अग्रवाल, रजनीश गोयल, दीपेश अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।